13 दिन बाद भी एफआईआर दर्ज नहीं, एसएसपी के आदेश की भी अनदेखी,…- भारत संपर्क


बिलासपुर।
सिरगिट्टी थाना क्षेत्र अंतर्गत तिफरा ओवरब्रिज पर नगर निगम के ठेका टेक्नीशियन के साथ हुई लूटपाट को 13 दिन गुजर चुके हैं, लेकिन अब तक पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया है। पीड़ित बार-बार थाने और अफसरों के चक्कर काट रहा है। एसएसपी ने नाराजगी जताते हुए तत्काल एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए थे, इसके बावजूद पुलिस कार्रवाई करने के बजाय पीड़ित पर दबाव डाल रही है कि वह अपने आवेदन से “लूट” शब्द हटाकर “चोरी” लिखे।
घटना कैसे हुई
सरकंडा जबड़ापारा निवासी सुनील गुप्ते (48) नगर निगम में ठेका टेक्नीशियन के पद पर कार्यरत हैं। 11 सितंबर को वे पत्नी के साथ गरियाबंद गए थे। पत्नी को रायपुर स्थित ससुराल छोड़ने के बाद वे 13 सितंबर की रात करीब 12 बजे बिलासपुर लौट रहे थे। जैसे ही वे तिफरा ओवरब्रिज पर पहुंचे, पीछे से एक बाइक और एक स्कूटी में सवार 5-6 युवक पहुंचे।
आरोप है कि बदमाशों ने उनकी बाइक रोक ली। दो युवक चाकू लेकर नीचे उतरे और सुनील को धक्का देकर गिरा दिया। जान बचाने के लिए वे भागे, लेकिन युवकों ने उनका पीछा किया और 50 मीटर दूर पकड़कर जमीन पर गिरा दिया। गले पर चाकू अड़ाकर उनका बैग छीन लिया। बैग में 5 हजार रुपए नकद, आधार कार्ड और जमीन के कागजात थे। बदमाश उनकी बाइक भी लेकर फरार हो गए।
घटना के बाद पीड़ित ने अपने बेटे और भाई को फोन किया। उन्होंने कंट्रोल रूम को सूचना दी। मौके पर 112 की टीम पहुंची, लेकिन मामला सिरगिट्टी थाना क्षेत्र का बताकर उन्हें राजीव गांधी चौक के पास उतार दिया। रात 2.30 बजे सुनील अपने बेटे और भाई के साथ सिरगिट्टी थाने पहुंचे। वहां सिर्फ मुलाहिजा कराया गया, एफआईआर दर्ज नहीं की गई।
पीड़ित ने बताया कि 25 सितंबर को वे एसएसपी कार्यालय पहुंचे और शिकायत दर्ज कराई। एसएसपी ने तत्काल कार्रवाई का निर्देश भी दिया और थानेदार को फटकार लगाई। इसके बावजूद पुलिस रिपोर्ट दर्ज करने से बच रही है।
पीड़ित पर “चोरी” लिखवाने का दबाव
सुनील गुप्ते का कहना है कि उन्होंने अपने आवेदन में “लूट” शब्द का उपयोग किया था, लेकिन थानेदार लगातार दबाव बना रहे हैं कि इसे हटाकर “चोरी” लिखें। इस पर वे सहमत नहीं हुए, इसलिए अब तक मामला दर्ज नहीं हुआ।
पुलिस का तर्क : घटना संदिग्ध
सिरगिट्टी टीआई किशोर केंवट ने कहा कि शिकायत की जांच चल रही है। मामला संदिग्ध प्रतीत हो रहा है क्योंकि टेक्नीशियन बताए गए दिन बाइक से निकलते नजर नहीं आ रहे। लोकेशन की भी जांच की जा रही है। जांच पूरी होने के बाद ही आगे कार्रवाई की जाएगी।
पीड़ित के बयान और मेडिकल जांच के बावजूद एफआईआर क्यों नहीं हुई?
एसएसपी के निर्देश के बाद भी थाने ने आदेश की अनदेखी क्यों की?
क्या पीड़ित से जबरन “लूट” को “चोरी” में बदलने का दबाव बनाया जा रहा है?
लूट जैसी गंभीर वारदात में पुलिस की यह लापरवाही कई सवाल खड़े कर रही है। पीड़ित परिवार न्याय के लिए भटक रहा है और अब पुलिस की जांच पर ही भविष्य की कार्रवाई निर्भर है।