मंदी भी नहीं बिगाड़ सकेगी बाजार का मूड, 12 महीनों में…- भारत संपर्क

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मंदी भी नहीं बिगाड़ सकेगी बाजार का मूड, 12 महीनों में…- भारत संपर्क

पिछले कुछ महीनों से बाजार में जो ट्रेंड देखने को मिल रहा है, उसे देखकर मार्केट एक्सपर्ट का कहना है कि आने वाले कुछ महीनों तक बाजार में तेजी बरकरार रह सकती है. हाल ही में आई एक रिपोर्ट में अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी मूडीज ने दावा किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का तीसरा कार्यकाल, जो 2029 में समाप्त होगा. उसमें भारत की तेजी से तरक्की देखने को मिलेगी. रेटिंग एजेंसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि भाजपा के नेतृत्व वाले न्यू डेमोक्रेटिक अलायंस (एनडीए) के बहुमत को बनाए रखने का सबसे महत्वपूर्ण चुनौती होगी.

जीडीपी में मजबूती जारी

रिपोर्ट कहती है कि सरकार की निरंतरता के साथ बाजार आगे संरचनात्मक सुधारों की उम्मीद कर सकता है, जिससे हमें इनकम साइकल में अधिक विश्वास मिलेगा. वास्तविक दरों के सापेक्ष बढ़ती जीडीपी वृद्धि के साथ थोड़ी स्थिरता उभरते बाजारों (ईएम) इक्विटी पर भारत के बेहतर प्रदर्शन को आगे बढ़ाएगी. इससे पहले, रेटिंग एजेंसी ने भारत के जीडीपी को 2024-25 के लिए 6.8 प्रतिशत तक संशोधित किया था, जिसमें हेडलाइन सीपीआई वर्ष के लिए लगभग 4.5 प्रतिशत तक घट गया था. महंगाई वर्तमान में 4.75 प्रतिशत पर है.

इस स्पीड से आगे बढ़ेगा मार्केट

रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनियां 2025-26 तक आय वृद्धि को लेकर किए गए अनुमान के साथ बेहतर प्रदर्शन करेंगी, जो आम सहमति से 500 आधार अंक अधिक है. रिपोर्ट ने अनुमान लगाया है कि अगले 12 महीने में बीएसई सेंसेक्स 82,000 के लक्ष्य को हासिल कर लेगा, जिसका मतलब है कि 14 प्रतिशत की वृद्धि देखी जा सकती है.

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रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का शेयर बाजार नई ऊंचाइयों को छू रहा है और अब इस बात पर बहस चल रही है कि बाजार को किस तरह से ऊपर ले जाया जा सकता है. हमारे विचार से सरकार के आदेश के परिणामस्वरूप नीतिगत बदलाव होने की संभावना है. चुनावों के बाद भी भारत के इक्विटी बाजार के लिए कई जोखिम हैं. देश नौकरशाही, न्यायपालिका, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और स्किल ट्रेनिंग में क्षमता की कमी का सामना कर रहा है, जबकि अन्य जोखिमों में भू-राजनीति, टेक इंडस्ट्री पर बढ़ता एआई का प्रभाव, कृषि क्षेत्र में कम उत्पादकता, जलवायु परिवर्तन और पर्याप्त कारक सुधारों की कमी शामिल है.

बजट से है ये उम्मीद

रिपोर्ट में कहा गया है कि निवेशकों को यह भी उम्मीद है कि सरकार जीएसटी दरों में बदलाव करेगी. सीमेंट, हाइब्रिड वाहन और दोपहिया जैसे प्रमुख क्षेत्रों में जीएसटी दरों को कम किया जाना चाहिए. कृषि, भूमि और श्रम सुधार समय की जरूरत हैं, लेकिन इन पर गठबंधन सरकार के निर्णय की संभावना कम है. बाजार कैपिटल गेन टैक्स को युक्तिसंगत बनाने की ओर भी देख रहे हैं.

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