‘हरि’ से होगा ‘हर’ का मिलन, भगवान विष्णु को जगत का भार सौंपेंगे बाबा महाकाल… – भारत संपर्क
बाबा महाकाल
कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी यानी कि देवउठनी ग्यारस से सनातन धर्म के सभी मंगल कार्य शुरू हो गए हैं. घरों में शहनाइयां बजने लगी हैं. भगवान नारायण बैकुंठ लोग में अपनी गद्दी पर बैठकर सृष्टि का संचालन शुरू कर दिया है. हालांकि औपचारिक तौर पर सृष्टि के संचालन का कार्यभार अभी भगवान शंकर के पास ही है. महाकाल नगरी उज्जैन में कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतु्रदशी और पूर्णिमा के मौके पर भगवान महाकाल नारायण को उनका कार्यभार सौंपेंगे. इसके लिए बाबा महाकाल अपनी सवारी से भगवान हरि से मिलने के लिए गोपाल मंदिर पहुंचेंगे.
जहां दोनों ही देवताओं का विशेष पूजन अर्चन होगा और फिर भगवान नारायण को भोलेनाथ सृष्टि का भार सौंप देंगे. इस मौके पर हर साल भव्य उत्सव का आयोजन होता है. इस बार भी हरि-हर मिलन की बड़े स्तर पर तैयार शुरू कर दी गई है. बाबा की सवारी और उनके मार्ग को आकर्षक तरीके से सजाया जा रहा है. बताया जा रहा है कि बाबा महाकाल की सवारी देर रात महाकाल मंदिर से निकलकर गोपाल मंदिर तक जाएगी. भगवान के इस मिलन को देखने के लिए बड़ी संख्या में भक्तों के भी पहुंचने की संभावना है. इसलिए पुलिस और प्रशासन की ओर भीड़ मैनेजमेंट के विशेष इंतजाम किए जा रहे हैं.
ऐसे होगा आयोजन
भगवान महाकाल की सवारी गोपाल मंदिर पहुंचेगी. वहां भगवान महाकाल नारायण को बिल्व पत्र की माला भेंट करेंगे. वहीं गोपाल जी भी महाकाल को तुलसी की माला पहनाएंगे. महाकाल की ओर से गोपालजी को भेंट स्वरूप वस्त्र, फल, मिष्ठान, सूखे मेवे आदि प्रदान किए जाएंगे. इसके बाद पूजा अर्चना होगी और महाआरती के बाद रात में करीब 1 बजे बाबा महाकाल गोपाल मंदिर से वापस लौटेंगे. इस दौरान खूब आतिशबाजी होगी और पुष्प वर्षा किया जाएगा.
हरि-हर मिलन में क्या होगा खास?
बैकुंठ चतुर्दशी पर 14 नवंबर गुरुवार को बाबा महाकाल रात में लगभग 11 बजे सभा मंडप से चांदी की पालकी में सवार होकर गुदरी चौराहा, पटनी बाजार होते हुए रात में करीब 12 बजे गोपाल मंदिर पहुंचेंगे. जहां मंदिर के मुख्य द्वार पर सवारी को गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाएगा. इसके बाद भगवान महाकाल गोपाल मंदिर में प्रवेश करेंगे. जहां लगभग 2 घंटे पूजन और अभिषेक के बाद बाबा महाकाल सृष्टि का भार भगवान विष्णु को सौंप कर रात में एक बजे महाकाल मंदिर के लिए लौट जाएंगे.
इसीलिए निकलती है सवारी
कार्तिक माह की बैकुंठ चतुर्दशी पर बाबा महाकाल (हर) श्री विष्णु भगवान (हरि) को सारी सृष्टि का कार्यभार सौंपते हैं. बैकुंठ चतुर्दशी के मध्य रात्रि में नगर के प्राचीन श्री द्वारकाधीश गोपाल मंदिर में हरि- हर मिलन होता है. बताया जाता है कि जब श्री हरि विष्णु देव शयनी एकादशी पर चार माह के लिए शयन करने जाते है, तब सारी सृष्टि का कार्य भार बाबा महाकाल सौंप कर जाते हैं. देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु के जागने के उपरांत बैकुंठ चतुर्दशी की मध्य रात्रि में बाबा महाकाल भगवान विष्णु को पुन: सारी सृष्टि का कार्यभार लौटकर कैलाश प्रस्थान करते हैं.