Explainer : कैसे इकोनॉमी के लिए बूस्टर डोज का काम करती है…- भारत संपर्क

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Explainer : कैसे इकोनॉमी के लिए बूस्टर डोज का काम करती है…- भारत संपर्क
Explainer : कैसे इकोनॉमी के लिए बूस्टर डोज का काम करती है स्थिर सरकार, ये है 4 बड़े कारण

स्थिर सरकार से बूस्ट होती है इकोनॉमी

किसी भी देश की इकोनॉमी के लिए वहां की सरकार की नीतियां काफी अहम भूमिका निभाती हैं. सरकार की नीतियों से ही तय होता है कि देश में किस सेक्टर का विकास होने वाला है. देश का फ्यूचर किस दिशा में आगे बढ़ने वाला है. ऐसे में अगर देश के अंदर एक स्थिर सरकार हो तो वह इकोनॉमी को भी बूस्टर डोज देने का काम कर सकती है. इसकी कई वजह भी हैं…

मौजूदा समय में देश के अंदर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार काम कर रही है. अगर बीते दो लोकसभा चुनाव के अंकगणित को समझें, तो दोनों बार देश को बहुमत की सरकार मिली है. वहीं सरकार के फैसलों पर नजर डालें तो पता चलता है कि फ्यूचर में ग्रीन एनर्जी, इंफ्रास्ट्रक्चर, मैन्यूफैक्चरिंग और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी जैसे कुछ प्रमुख सेक्टर हैं जिन पर सरकार और इकोनॉमी का फोकस रहने वाला है. इसी तरह अब जब देश में एक बार फिर लोकसभा चुनाव का माहौल है, तो ये समझना जरूरी हो जाता है कि इकोनॉमी की ग्रोथ में स्थिर सरकार कैसे मदद करती हैं?

इकोनॉमी और स्थिर सरकार का संबंध

अगर आप स्थिर सरकार और इकोनॉमिक ग्रोथ के संबंधों को समझना चाहते हैं, तो इसकी 4 बड़ी वजहों को समझना होगा.

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नीतियों के निर्माण में तेजी और स्पष्टता

अगर देश में स्थिर सरकार होती है, तो वहां नीतियां बनाना आसान होता है. सरकार को कानून पास कराने के लिए संसद में आसानी होती है. सरकार को नीतियां बनाने या उन्हें पास कराने के लिए अन्य राजनीतिक दलों के साथ गणित नहीं बैठाना पड़ता और सरकार स्पष्ट नीतियां बना सकती हैं. वहीं बिजनेस घरानों से लेकर विदेशी निवेशकों तक के लिए सरकार से संपर्क करना आसान होता है, जिससे वह अपनी बात और चिंताए सरकार तक आसानी से पहुंचा पाती हैं.

निवेशकों के लिए साफ रोडमैप

अगर देश में स्थिर सरकार होती है और वह लंबे समय तक बनी रहती है. तब घरेलू और विदेशी निवेशकों दोनों के लिए ही अपनी इंवेस्टमेंट प्लानिंग बनान आसान हो जाता है. वह मार्केट में पैसा लगाते हैं. इस बारे में उद्योग मंडल फिक्की के पूर्व महासचिव और भारत वेब-3 एसोसिएशन के चेयरमैन दिलीप चिनॉय ने हमारे सहयोगी चैनल News9 Plus के एक शो में बताया, ” अगर आप भारत के इतिहास को देखें, तो हम सरकार के लिए 5 साल की बात करते रहे हैं. लेकिन अगर पिछले 5 या 7 साल को देखें तो अब हम सरकारों को अगले 10 साल, 15 साल यहां तक कि 2047 तक की नीतियों के बारे में बात करते देख रहे हैं.”

उन्होंने कहा, ” 2047 तक की नीतियां बनाने के लिए कई सिविल सर्वेंट और मंत्रालयों ने मेहनत करके एक स्पष्ट रोडमैप तैयार किया है. इससे एक घरेलू और विदेशी निवेशक को ये पता रहता है कि अगले कुछ सालों तक नीतियों में बदलाव नहीं होने वाला है और इसलिए वह लॉन्ग टर्म की प्लानिंग करके निवेश कर सकते हैं. मेरा मानना है कि इस वजह से अब ज्यादा से ज्यादा इंवेस्टर्स भारत की ओर देख रहे हैं.”

सुधारों को मिलती है तेज गति

देश में स्थिर सरकार होने का एक और फायदा आर्थिक सुधारों को तेजी से आगे बढ़ाने में होता है. इस बारे में पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के पूर्व अध्यक्ष और पैरामाउंट केबल्स ग्रुप के चेयरमैन संजय अग्रवाल कहते हैं कि देश के अंदर आर्थिक सुधार 1991 में शुरू हुए. मौजूदा समय में सरकार ने अस्थिरता को इकोनॉमी से दूर करने का काम किया है, इसलिए कई स्तर पर सरकार ने सक्रियता दिखाते हुए इकोनॉमिक सुधार वाले निर्णय लिए हैं. बीते 10 साल को देखें तो देश में इकोनॉमिक गवर्नेंस बेहतर हुई है. इसका असर हमारी अर्थव्यवस्थ्सा पर दिख रहा है और हम एक ऐसा देश बन गए हैं, जो हर साल अपनी ग्रोथ स्टोरी को बरकरार रखे हुए हैं. भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 600 अरब डॉलर के पार पहुंच गया है.

चीन से बढ़त बनाने में मदद मिली

भारत को इकोनॉमी के लेवल पर सबसे ज्यादा चुनौती का सामना पड़ोसी देश चीन से करना पड़ रहा था. कोविड के बाद जब दुनिया के कई देशों का चीन से मोहभंग हुआ, तो स्थिर सरकार की बदौलत ही देश में तुरंत ऐसी नीतियां बनाई जा सकीं, जो भारत को आज एक सबसे ज्यादा निवेश आकर्षित करने वाला देश बनाती है. भारत ने सेमीकंडक्टर से लेकर बैटरी मेकिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स और मोबाइल फोन मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में उल्लेखनीय ग्रोथ दर्ज की है. इतना ही नहीं, चीन की ऐप्स पर बैन लगाने से लेकर चीन की कंपनियों पर कार्रवाई करने तक का काम स्थिर सरकार की बदौलत ही हो सका है.

वैसे, भारत में बीते 10 साल की स्थिर सरकार का एक नतीजा शेयर बाजार में बेहतर रिटर्न के तौर पर भी देखने को मिला है, क्योंकि मौजूदा सरकार की छवि उद्योग फ्रेंडली है. 10 साल पहले जब 16 मई 2014 को लोकसभा चुनाव के परिणाम घोषित हुए थे, तब सेंसेक्स करीब 25,000 पॉइंट पर था, जो आज 75,000 पॉइंट पर पहुंच चुका है.

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