Explainer कभी हां कभी ना, अब भारत चीन क्यों खेल रहे हैं एलन…- भारत संपर्क

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Explainer कभी हां कभी ना, अब भारत चीन क्यों खेल रहे हैं एलन…- भारत संपर्क
Explainer - कभी हां कभी ना, अब भारत-चीन क्यों खेल रहे हैं एलन मस्क, ये है बड़ी वजह

भारत-चीन या कारोबार किससे है मस्क को प्यार

वो कहते हैं न प्यार और कारोबार में सब जायज है.. ऐसा ही कुछ देखने को मिल रहा है दुनिया के तीसरे सबसे अमीर शख्स एलन मस्क के साथ. चीन की सरकार ने ऐसी चाल चली कि एलन मस्क कहां भारत आने वाले थे और कहां पहुंच गए चीन. एलन मस्क और उनकी कंपनी टेस्ला इन दिनों सुर्खियों मे हैं. दरअसल इसकी वजह है भारत और चीन. घटना ही कुछ ऐसी घटी कि एलन मस्क को अचानक चीन जाना पड़ा. आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला

दरअसल एलन मस्क की टेस्ला भारत आने को बेताब है. इसी कड़ी में अचानक कुछ ऐसा हुआ कि वो भारत के बदले चीन पहुंच गए. हालांकि चीन का उनका दौरा कामयाब रहा चीनी सरकार ने टेस्ला पर लगे सभी प्रतिबंधों को हटा दिया. जिससे मस्क ने राहत की सांस ली. तो क्या अब मस्क का अगला कदम फिर से भारत होगा.

अचानक चीन की क्यों आई याद

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ऑटो मार्केट खासकर ईवी मार्केट में चीन के सामने अभी भारत बच्चे के समान है. भारत में टाटा मोटर्स, महिंद्रा और ह्युंडई जैसी कंपनियां ईवी पर अपना फोकस शिफ्ट कर रही है. लेकिन कुल कारों के मुकाबले इसका मार्केट अभी केवल 2% ही है, हालांकि सरकार ने साल 2030 का लक्ष्य रखा है कि भारत में जो भी गाड़ियां बनेंगी उसमें से 30% इलेक्ट्रिक होंगी. लेकिन वहीं चीन की बात करें तो चीन दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा ऑटो मार्केट है. भारत जहां अभी चलना सीख रहा है वहां चीन पहले से अपनी पैर मजबूत कर चुका है. चीन का इलेक्ट्रिक व्हीकल मार्केट इतनी तेजी से बढ़ रहा है कि अमेरिका से लेकर यूरोपीय संघ तक इससे डरा हुआ है. 2022 में चीन की नई इलेक्ट्रिक वाहन बिक्री में 82% की बढ़ोतरी हुई, जो वैश्विक ईवी खरीद का लगभग 60% है. वहीं केवल टेस्ला की बात करें तो मस्क की कंपनी चीन में 17 लाख से ज्यादा कारें बेच चुकी है. ऐसे में एक तरफ नया मार्केट बनाना और दूसरी तरफ बनी बनाई मार्केट को बचाना. आप भी मस्क की जगह होते तो क्या करते. ऐसे में चीन सरकार की ओर से लगे प्रतिबंध को मस्क के लिए हटवाना सबसे पहली प्राथमिकता थी जिसमें वो कामयाब भी हो गए.

टेस्ला को भारत लाना चाहते हैं मस्क!

भारत में टेस्ला के आने की बातें बीते कई सालों से चल रही है. कभी हां कभी न के बीच टेस्ला अगर भारत आती है तो टाटा समेत कई दिग्गज कंपनियों को चुनौती मिल सकती है. वहीं आम जनता के लिए टेस्ला जैसी सुविधा वाली कार भारत में ही मिल सकेगी. तो क्या चीन के बाद अब भारत की डील फाइनल करेंगे मस्क. चीन की तरह ही भारत एलन मस्क के लिए एक बड़ा मार्केट हैं ऐसे में मस्क की पूरी कोशिश रहेगी कि वो जल्द से जल्द भारत का रुख करेंगे. भारत के बाजार में टेस्ला और स्टारलिंक की एंट्री से क्या कुछ बदलेगा आइए समझते हैं.

टेस्ला और टाटा का कनेक्शन

जब ऐसा लग रहा था कि एलन मस्क की टेस्ला अब भारत में एंट्री करने तभी देश के दिग्गज कारोबारी घराने टाटा से एक खबर आई. जिसने सबको चौका दिया. खबर ये थी कि टेस्ला के लिए टाटा सेमीकंडक्टर बनाएगा. दरअसल मस्क के टेस्ला की एंट्री टाटा समेत कई बड़े ऑटो कंपनियों की नींद उड़ा सकता है. वही टाटा भारत की इकलौती ऐसी ऑटो कंपनी है जिसने बीते कुछ सालों में तेजी से भारत समेत दुनिया में अपना लोहा मनवाया है. अब ऐसे में एक म्यान में दो तलवार कैसे रह सकती है. इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक टाटा ग्रुप फर्म टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स ने टेस्ला के साथ एक डील साइन की है. जिसके तहत साल 2026 के अंत तक टाटा का पहला सेमीकंडक्टर प्लांट शुरू हो जाएगा. अगर ऐसा होता है कि तो एक तीर से दो शिकार होंगे. एक तरफ पूरी दुनिया में भारत की साख बढ़ेगी. वहीं दूसरी एक दूसरे को कंपिटिशन देने के बदले दोनों कंपनियों में कारोबारी समझौता हो सकता है.

Tata Tesla

Tata और Tesla की जुगलबंदी

मस्क, अंबानी और मित्तल

टेस्ला के अलावा मस्क की एक और महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है. वो है सैटेलाइट ब्रॉडबैंड का. वो इस सेक्टर में भी भारत आने को बेताब हैं. लेकिन यहां टक्कर में बैठे हैं एशिया के सबसे अमीर शख्स मुकेश अंबानी. दरअसल अंबानी की कंपनी रिलायंस जियो की भारत की टॉप टेलिकॉम कंपनी है. तो वहीं मस्क का स्टारलिंक एक क्रांतिकारी इंटरनेट सर्विस उपलब्ध कराता है. इसमें जमीन पर टावर लगाने की जरूरत नहीं होती है. सीधे सैटेलाइट से इंटनेट सर्विस मिलती है. अब ऐसे में अगर स्टारलिंक भारत आती है तो मुकेश अंबानी को चुनौती मिल सकती है. वहीं दूसरी सबसे बड़ी टेलिकॉम कंपनी एयरटेल को भी तगड़ी टक्कर मिल सकती है.

Elon Musk Mukesh Ambani And Mittal

सुनिल भारती मित्तल, मुकेश अंबानी और एलन मस्क

कहां फंसा है पेंच

एक तरफ टेस्ला को लेकर भारत में पेंच पहले सब्सिडी को लेकर फंस रहा था. हालांकि भारत सरकार और मस्क के बीच कई दौर की बैठकों के बाद मामला संभलता नजर आया. वहीं स्टारलिंक को लेकर सबसे बड़ा पेंच जो है वो है स्पेक्ट्रम आवंटन का. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक स्पेक्ट्रम आवंटन को लेकर मुकेश अंबानी की रिलायंस और मस्क के स्टारलिंक में मतभेद है. इसी वजह से ये प्रोजेक्ट अबतक फाइनल नहीं हो सका है. अब देखना होगा कि जैसे टेस्ला के लिए मस्क टाटा का दामन पकड़ रहे हैं क्या वैसे ही स्टारलिंक में भी अंबानी के साथ कोई गठजोड़ करेंगे.

आपको क्या मिलेगा

भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटो मार्केट है और तेजी के साथ इलेक्ट्रिक व्हीकल का दायरा यहां बढ़ रहा है. टाटा, महिंद्रा, हुइंई, किया मोटर्स, एमजी मोटर्स जैसे बड़े प्लेयर्स लगातार भारत में ईवी पर अपना फोकस बढ़ा रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो मस्क भारत में फैक्ट्री लगाने के लिए 200-300 करोड़ डॉलर निवेश की योजना का ऐलान कर सकते हैं. अगर ऐसा होता है तो सरकार को तो फायदा मिलेगा ही. वहीं भारत में रोजगार के भी नए मौके बनेंगे. सबसे बड़ी बात भारत के लोगों को टेस्ला जैसी कार चलाने का सपना पूरा हो सकेगा. माना जा रहा है कि टेस्ला के भारत आने से पूरी तस्वीर बदल सकती है.लेकिन यहां सवाल है कि भारत में पहले से बड़े दिग्गज क्या आसानी से मस्क को भारत में एंट्री करने देंगे.

क्यों भारत नहीं आ पा रहे थे मस्क

मस्क टेस्ला को बहुत पहले से ही भारत लाना चाह रहे हैं. लेकिन ईवी पॉलिसी के कड़ी शर्तों की वजह से ऐसा मुमकिन नहीं हो पा रहा था. इसी साल मार्च में सरकार ने नई EV पॉलिसी का ऐलान किया, इससे टेस्ला जैसी विदेशी इलेक्ट्रिक कार मेकर्स के लिए भारत आने का रास्ता खुल गया. इसके बाद पीएम मोदी से मस्क की अमेरिका में मुलाकात हुई. फिर मस्क के टॉप अधिकारियों ने भारत का दौरा किया. रेड कार्पेट पूरी तरह से सज चुका था ऐसे में चीन ने ऐसा किया कि मस्क को एक झटके में सब छोड़ के चीन भागना पड़ा. दरअसल अगर मस्क चीन नहीं जाते तो टेस्ला का मार्केट पहले ही डाउन हो रहा था. इसलिए मस्क ने आपाधापी में चीन का दौरा कर टेस्ला को चीन में नया जीवनदान दिया है.

Elon Musk And Pm Modi

पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान एलन मस्क ने उनसे की थी मुलाकात. (फाइल फोटो)

सरकार ने बदली पॉलिसी

ऐसा नहीं है कि केवल मस्क ही भारत आना चाहते हैं बल्कि भारत सरकार की मस्क की टेस्ला को भारत में लाना चाहती है, इसलिए सरकार ने नई ईवी पॉलिसी बनाई. सरकार ने पॉलिसी में बदलाव करते हुई इंपोर्ट करने की कस्टम ड्यूटी घटाई. इसे आसान भाषा में समझे तो पहले टेस्ला जैसी कंपनियों को अपनी इलेक्ट्रिक कार भारत में लाने की 100% का खर्चा करना पड़ता जिसे सरकार ने घटाकर 15% कर दिया. पहले 35000 डॉलर कॉस्ट, इंश्योरेंस और फ्रेट के तय की गई थी. अब एक पूरी यूनिट को बनाकर इंपोर्ट करने के लिए 15% की कस्टम ड्यूटी देनी होगी, जो कि पहले 100% थी. सरकार के इस कदम से टेस्ला जैसी कंपनियों को अपनी कारें भारत में लाकर बेचने का रास्ता खुल सकता है.

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