अनंत चतुर्दशी पर भगवान गणेश को दी गई नम आंखों से विदाई,…- भारत संपर्क


10 दिवसीय गणेश उत्सव का समापन अनंत चतुर्दशी के साथ शनिवार को हो गया। बिलासपुर में छोटे- बड़े पंडालो में स्थापित सैकड़ो सार्वजनिक गणेश प्रतिमाओं का इस दिन विसर्जन किया गया, तो वही घरों, कार्यालय, दुकान आदि स्थानों में स्थापित भगवान गणपति को भी इस दिन विदाई दी गई।

वैसे तो गणेश चतुर्थी के दिन से ही विसर्जन का क्रम आरंभ हो गया था। कई स्थानो पर एक दिन के गणपति के विसर्जन की परंपरा है, तो वहीं लगभग हर दिन गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाता रहा। शुक्रवार को भी बड़ी संख्या में लोग प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए बिलासपुर के छठ घाट पहुंचे। इस दिन अरपा नदी का पानी छोड़ दिए जाने के कारण जल स्तर उतर गया था , जिस कारण से लोगों को विसर्जन में परेशानी हो रही थी और कीचड़ में उतर कर विसर्जन करना पड़ रहा था, इसे ध्यान में रखते हुए शनिवार को देवरीखुर्द चेक डैम के द्वारा बंद कर दिए गए जिससे अरपा का जलस्तर बढ़ गया और विसर्जन में सुविधा हुई।

इस दिन लोग स्कूटी, ई रिक्शा से लेकर ट्रैक्टर और बड़े वाहनों में प्रतिमाओं को लेकर पहुंचे । पारंपरिक वस्त्रो में अबीर गुलाल में रंगे लोग गणपति जी की जय जयकार और भजन गाते हुए छठ घाट पहुंचे। यहां गणपति बप्पा मोरया अगले बरस तू जल्दी आ की गूंज के साथ घाट पर विधि विधान के साथ बप्पा की आरती की गई और फिर उनकी प्रतिमा नदी के जल में प्रवाहित कर दी गई , इसी कामना के साथ कि अगले बरस वे एक बार फिर से अपने भक्तों के बीच पधारेंगे।



पौराणिक कथा के अनुसार भगवान गणेश इस समय अपने भाई कार्तिकेय से मिलने गए थे और 10 दिन की यात्रा कर वे वापस कैलाश लौट गए । उसी स्मृति में यह उत्सव मनाया गया।


बिलासपुर के छठ घाट में विसर्जन को लेकर विशेष तैयारी की गई थी। यहां अतिरिक्त प्रकाश व्यवस्था के साथ बड़ी प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए दो क्रेन की भी व्यवस्था की गई, जिनके सहारे विशालकाय प्रतिमाओं को विसर्जित किया गया, तो वहीं मौके पर नगर निगम जोन क्रमांक 7 की टीम और गोताखोर भी मौजूद रहे। पुलिस के जवान भी चप्पे-चप्पे पर तैनात दिखे। सरकंडा थाना प्रभारी भी पूरे घाट का निरीक्षण करते नजर आए।

शनिवार को सुबह से लेकर देर रात तक विसर्जन का क्रम चला, हालांकि अब भी कई बड़े आयोजनों में प्रतिमाओं का विसर्जन नहीं किया गया है। इनका विसर्जन आगामी दिनों में किया जाएगा, हालांकि यह विधि सम्मत नहीं है क्योंकि रविवार को चंद्र ग्रहण है और इस कारण से दोपहर से ही सूतक लग जाएगा तो वहीं सोमवार से पितर पक्ष आरंभ हो रहा है। इस समय प्रतिमाओं का विसर्जन धार्मिक परंपरा अनुसार नहीं है।

