चने की खेती कर के किसान हो सकते हैं माला-माल, वैज्ञानिकों ने बताई तकनीक – भारत संपर्क
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार अधिक से अधिक मोटा अनाज का उत्पादन करने की बात कहते रहते हैं. वहीं इनमें चने की खेती भी आती है. कुछ समय से देखा जाए तो अब किसान पारंपरिक खेती की तरफ ज्यादा ध्यान दे रहे हैं. दालों की खेती के लिए सरकार के द्वारा किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है और इस प्रोत्साहन में हरदोई में जिला कृषि उपनिदेशक किसानों के साथ में बैठक कर उन्हें प्रेरित कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि चने की खेती अगर सही तरीके से की जाए तो यह बंपर उत्पादन के साथ किसानों के लिए नोटों की बारिश करने वाली फसल साबित हो सकती है.
उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के जिला कृषि उपनिदेशक नंदकिशोर ने बताया कि चने की खेती दिसंबर के मध्य तक की जाती है. इसका बीज प्रति एकड़ में 35 से 40 किलोग्राम इस्तेमाल किया जाता है. बुआई करने से पहले बीजों को 12 घंटे तक पानी में भिगोकर कर रखने से बीज की अंकुरण क्षमता बढ़ जाती है. बीज बोने से पहले खेत की अच्छी तरीके से जुताई कर ली जाती है. चना दानेदार दोमट मिट्टी में अच्छा होता है यह रेतीली या चिकनी मिट्टी में भी हो सकता है. मिट्टी का पीएच मान 7 सबसे उपयुक्त माना जाता है. चने को मेढ़ बनाकर बीजों के बीच की दूरी 8 से 10 सेंटीमीटर होनी चाहिए. वहीं बीज के लिए 10 सेंटीमीटर की गहराई ही उपयुक्त मानी गई है. भारत के कई राज्यों में इसकी बुआई पोरा तकनीक से भी की जाती है.
10 गुना मुनाफे वाली फसल
कृषि प्रसार भवन के वैज्ञानिक ने कहा कि चना के बीज को उपचारित करने के लिए ट्राईकोडरमा प्रति एकड़ 2.5 किलो, और गोबर की खाद को मिट्टी में मिला दिया जाता है. ऐसा करने से फसल में फफूंदी से किसान को छुटकारा मिल जाता है. उन्होंने बताया कि समय-समय पर चने के पौधे की देख-रेख से और कृषि वैज्ञानिकों से सलाह लेकर की जाने वाली खेती अच्छी पैदावार देती है. चने की फसल को पानी देने का तरीका अलग-अलग है. बुआई से पहले एक पानी दिया जाता है. इससे किसानों को बीजों के अंकुरण में काफी मदद मिलती है. दूसरा पानी चने के पेड़ में फूल आने के समय दिया जाता है और तीसरा पानी फलियों के आने के समय दिया जाता है और उसके बाद में किसान भाई आवश्यकता अनुसार पानी दे सकते हैं. फसल की कटाई के समय जब पौधा भूरे रंग का दिखाई देने लगता है तो उसे काट कर सूखने के लिए छोड़ दिया जाता है और फिर किसान अपने तरीके से चने की झड़ाई कर सकते हैं. चने की खेती में किसान को 10 गुना मुनाफा होता है. 1 एकड़ चने की खेती में कम से कम एक लाख रुपए की किसान को बचत होती है.
सिर्फ इतने दिनों में तैयार होती है फसल
कृषि वैज्ञानिक सुरेश कुमार ने कहा कि चना कम लागत में अधिक पैदावार देता है. एक एकड़ में चने की खेती में 10 क्विंटल से अधिक पैदावार होती है. कुछ किसान तो अच्छी देख-रेख से 15 कुंटल तक पैदा कर लेते हैं. चने की फसल 100 दिनों में पूरी तरीके से तैयार हो जाती है. किसान हरा चना बाजार में बेचकर लाभ कमा सकता हैं. चने का बंपर उत्पादन किसान को मालामाल कर देता है. यह पौष्टिक और खनिजों, विटामिन से भरपूर अन्न है.
चने में पाये जाते हैं प्रोटीन और फाइबर
आयुर्वेदिक डॉक्टर रेखा वर्मा ने कहा कि चना इंसान के शरीर के लिए ताकत का खजाना है. 100 ग्राम चने में 19 ग्राम प्रोटीन की मात्रा पाई जाती है. इसके बाहरी हिस्से में अत्यधिक प्रोटीन होता है. इसमें विटामिन, फाइबर, आयरन, कार्बोहाइड्रेट जैसे महत्वपूर्ण प्रोटीन पाए जाते हैं. यह ब्लड शुगर के लेवल को मेंटेन रखता है यह हीमोग्लोबिन को भी बढ़ता है. बढ़ती उम्र के साथ चना बॉडी को मेंटेन रखता है. खास बात यह है कि अंकुरित चने में प्रोटीन की मात्रा बढ़ जाती है इसे हर उम्र के व्यक्ति को सेवन करनेकीजरूरतहै.