तेलंगाना में खुला पहला कंटेनर स्कूल, जानें कैसे होगी पढ़ाई
स्कूल आदिवासी गांव बंगारुपल्ली में खोला गया है.
तेलंगाना में पहला कंटेनर स्कूल खोला गया है. स्कूल का उद्घाटन पंचायत राज और ग्रामीण विकास मंत्री दानसारी अनसूया (सीथक्का) की ओर से किया गया. यह स्कूल मुलुगु जिले के कन्नैगुडेम मंडल के कंथानापल्ली ग्राम पंचायत की सीमा के अंदर सुदूर बंगारुपल्ली गांव में खोला गया है. आइए जानते हैं कि इस स्कूल में कैसे पढ़ाई होगी और क्या-क्या सुविधाएं हैं.
इस स्कूल के जरिए राज्य के वन क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों को शिक्षत किया जाएगा. बंगारुपल्ली गांव पहले एक स्कूल था. वह भी झोपड़ी में संचालित था. वन क्षेत्रों में स्थायी इमारतों के निर्माण पर प्रतिबंध के कारण अधिकारी पारंपरिक स्कूल बनाने की अनुमति प्राप्त नहीं कर सके. इन चुनौतियों से निपटने के लिए, मुलुगु विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले मंत्री सीथक्का ने इस क्षेत्र में बच्चों की शिक्षा के लिए एक टिकाऊ और व्यावहारिक समाधान प्रदान करते हुए कंटेनर स्कूल की स्थापना की पहल की.
कितने रुपए की लागत से बना है स्कूल?
कंटेनर स्कूल 25 फीट लंबा और 25 फीट चौड़ा है. 13 लाख रुपए की लागत से इस स्कूल का निर्माण किया गया है. स्कूल पूरी तरह से लोहे की टीन से बनाया गया है. यह पहली बार नहीं है जब मंत्री सीताक्का ने अपने निर्वाचन क्षेत्र में इस तरह का समाधान लागू किया है. इस साल की शुरुआत में दो कंटेनर अस्पताल चालू हो गए हैं. एक ताड़वई मंडल के पोचापुर गांव में और दूसरा वजीदु मंडल के एडगरलापल्ली गांव में.
क्या हैं सुविधाएं?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार राज्य के पहले कंनेटर स्कूल में बिजली, पानी, शौचालय सहित सभी बनुयादी सुविधाएं मौजूद हैं. स्कूल में बेंच के साथ सौर ऊर्चा भी लगाया गया है. मंत्री ने कहां इस स्कूल की सफलता के बाद जिले के अन्य दूर दराज गांवों में इस तरह के और भी स्कूल बनाएं जाएंगे. बंगारुपल्ली आदिवासी गांव है. मंत्री ने कहा कि अब क्षेत्र के आदिवासी बच्चों को पढ़ाई में किसी प्रकार की समस्या का समाधान नहीं करना पड़ेगा और उन्हें अच्छी शिक्षा दी जाएगी.
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