वीर बाल दिवस पर गुरु नानक चौक में आयोजित समारोह में चार…- भारत संपर्क

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वीर बाल दिवस पर गुरु नानक चौक में आयोजित समारोह में चार…- भारत संपर्क

चार साहिबजादो ने मुगल बादशाह औरंगजेब के खिलाफ लड़ाई में अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे। उनकी कहानी सिख इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय है।

चार साहिबजादे गुरु गोबिंद सिंह जी के पुत्र थे, जो सिख धर्म के दसवें गुरु थे। उनके नाम हैं:

  1. बाबा अजीत सिंह (1687-1705)
  2. बाबा जुझार सिंह (1691-1705)
  3. बाबा जोरावर सिंह (1697-1705)
  4. बाबा फतेह सिंह (1699-1705)

इन चारों साहिबजादों ने अपने पिता गुरु गोबिंद सिंह जी के साथ मिलकर मुगल बादशाह औरंगजेब के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी।

1705 में औरंगजेब की सेना ने अनंदपुर साहिब पर हमला किया, जहां गुरु गोबिंद सिंह जी और उनके साहिबजादे रहते थे। इस लड़ाई में चारों साहिबजादे शहीद हो गए थे।

बाबा अजीत सिंह और बाबा जुझार सिंह ने लड़ाई में बहादुरी से लड़ते हुए अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे। बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह को मुगल सेना ने पकड़ लिया था और उन्हें दीवार में जिंदा चुनवा दिया गया था।

चार साहिबजादों की शहादत सिख धर्म के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय है और उन्हें सिख समुदाय में बहुत सम्मान और आदर दिया जाता है। उन्ही की याद में देशभर में 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के रूप में याद किया जाता है। सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह के चारों साहिबजादों के सम्मान में वीर बाल दिवस को याद किया जाता है।इसी कड़ी में तोरवा गुरु नानक चौक में सिख समाज की ओर से वीर बाल दिवस के अवसर पर गुरु गोविंद सिंह को याद करते हुए शहादत हुए उनके चार साहब जादों को नमन किया गया।गुरुनानक चौक में सभा के दौरान एकत्र हुए सिख समाज ने बताया कि गुरु गोविंद सिंह के साहिबजादों ने धर्म के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया था। जोरावर सिंह और फतेह सिंह की आज ही के दिन शहादत हुई थी। उन्हें सम्मानित करने के लिए हर साल इस दिन को वीर बाल दिवस के रूप में याद किया जाता है।बता दें कि श्री गुरु गोविंद सिंह के चार बेटे अजीत सिंह, जूझार सिंह, जोरावर सिंह और फतेह सिंह थे। उनके छोटे साहिबजादे बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह ने इस्लाम धर्म कबूल करने से इनकार कर दिया था। मुगल शासक सरहिंद के नवाब वजीर खान ने उन्हें दीवार में जिंदा चुनवा दिया था।उनके त्याग, बलिदान और देश प्रेम के अनूठे बलिदान स्वरूप की शहादत को प्रत्येक बच्चे को अवगत कराने के लिए वीर बाल दिवस 26 दिसंबर को याद किया जाता है।


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