नेहरू से अटल तक, इस कंपनी के डिब्बे में बंद रहती थी देश के…- भारत संपर्क

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नेहरू से अटल तक, इस कंपनी के डिब्बे में बंद रहती थी देश के…- भारत संपर्क
नेहरू से अटल तक, इस कंपनी के डिब्बे में बंद रहती थी देश के बड़े-बड़े नेताओं की किस्मत

नेहरू से अटल के समय तक बैलेट पेपर से होते थे चुनाव

चुनाव की सरगर्मियां तेज हो चुकी हैं. इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) को लेकर पक्ष-विपक्ष के बीच जंग छिड़ी हुई है. लेकिन आज की पीढ़ी को तो पता भी नहीं होगा कि 1998 से पहले कैसे देश में चुनाव बैलेट पेपर से होता था? कैसे देश में 1951-52 के दौरान पहला चुनाव हुआ था? कैसे देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से लेकर 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी की किस्मत तक का फैसला सिर्फ इस एक कंपनी ने किया. जो उस समय से देश में बैलेट बॉक्स बनाती रही है.

आज जब ईवीएम की सुरक्षा और निष्पक्षता को लेकर सवाल उठ रहे हैं, तब एक बार फिर से मतदान पेटी (बैलेट बॉक्स) में मतपत्र डालकर देश में चुनाव कराने की मांग जोर पकड़ रही है. ऐसे में आपको ये कहानी जाननी चाहिए कि देश में पहले चुनाव कैसे हुए?

इस कंपनी ने तैयार किए 12 लाख से ज्यादा बैलेट बॉक्स

साल 1951-52 में जब देश के पहले आम चुनाव हुए, तब देश में लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ ही हुए. एक नए आजाद मुल्क के लिए ये इतने बड़े स्तर पर चुनाव कराने का पहला मौका था. चुनाव आयोग ने इसकी जबरदस्त तैयारी की और बैलेट पेपर्स को इकट्ठे करने के लिए उसे बैलेट बॉक्स की जरूरत पड़ी.

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उस समय देश की अधिकतर कंपनियों के पास ये जानकारी ही नहीं थी कि सेफ्टी फीचर्स से लैस बैलेट बॉक्स कैसे बनाया जाए. तब इस काम को पूरा किया गोदरेज ग्रुप ने जिनकी मुंबई ( उस समय बॉम्बे) के प्लांट-1 में 12.83 लाख बैलेट बॉक्स का निर्माण किया गया.

दरअसल तब देश में गोदरेज ग्रुप ही एकमात्र ऐसा था, जिसे तिजोरी, लॉकर इत्यादि बनाने का अनुभव था. तभी तो 15,000 बैलेट बॉक्स प्रतिदिन बनाकर कंपनी ने महज 4 महीनों में ना सिर्फ अपना 12.24 लाख बैलेट बॉक्स का ऑर्डर पूरा किया, बल्कि उन कंपनियों के ऑर्डर भी पूरे किए जो टाइम पर बैलेट बॉक्स की डिलीवरी नहीं कर सकती थीं.

5 रुपए थी एक बैलेट बॉक्स की कीमत

गोदरेज आर्काइव्स के मुताबिक जब बैलेट बॉक्स के लॉकिंग सिस्टम को तैयार करने की बात आई, तो इंटरनल लॉक्स का इस्तेमाल किया गया. इसमें तिजोरी की तरह आउटर लॉक्स का इस्तेमाल नहीं किया गया, जो महंगे पड़ रहे थे.

सरकार की ओर से हर बैलेट बॉक्स की कीमत 5 रुपए तय की गई थी, इसलिए बैलेट बॉक्स को इतने ही बजट में तैयार करने के लिए कंपनी के शॉप फ्लोर पर काम करने वाले नत्थालाल पांचाल ने इंटरनल लॉक का डिजाइन तैयार किया. उस समय बैलेट बॉक्स के 50 प्रोटोटाइप तैयार किए गए जिनमें से एक फाइनल हुआ, जिसका रंग लंबे समय तक ‘ऑलिव ग्रीन’ ही रहा.

नेहरू से अटल तक की किस्मत का फैसला

भारत में जल्द ही 2024 का लोकसभा चुनाव होने वाला है. इस बार फैसला बीते कई चुनावों की तरह ईवीएम से तय होगा. लेकिन पंडित जवाहर लाल नेहरू से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री बनने के समय तक देश के बड़े-बड़े नेताओं की किस्मत का फैसला ऐसे ही बैलेट बॉक्स से होता आया है.

चुनाव आयोग को बैलेट बॉक्स की सप्लाई करने में गोदरेज हमेशा आगे रही है, हालांकि कई और कंपनियों ने भी इनका निर्माण किया है. इस तरह से देखा जाए, तो देश के चुनावों में बड़े-बड़े नेताओं के भाग्य का फैसला गोदरेज के बैलेट बॉक्स ही करते रहे हैं.

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