पाकिस्तान में गरीबी मचाएगी गदर, एक करोड़ ज्यादा लोगों के…- भारत संपर्क

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पाकिस्तान में गरीबी मचाएगी गदर, एक करोड़ ज्यादा लोगों के…- भारत संपर्क
पाकिस्तान में गरीबी मचाएगी गदर, एक करोड़ ज्यादा लोगों के…- भारत संपर्क
पाकिस्तान में गरीबी मचाएगी गदर, एक करोड़ ज्यादा लोगों के गरीबी रेखा से नीचे जाने की आशंका

पाकिस्तान में गरीबी का कोहरामImage Credit source: Muhammed Reza/Anadolu Agency/Getty Images

वर्ल्ड बैंक ने आने वाले वित्त वर्ष में जहां भारत की इकोनॉमिक ग्रोथ जबरदस्त रहने की बात कही है. वहीं भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के आर्थिक हालातों ने उसकी चिंता बढ़ाई हुई है. वर्ल्ड बैंक की आशंका है कि पाकिस्तान में गरीबी आने वाले दिनों में गदर मचा सकती है. यहां की एक करोड़ से अधिक की आबादी गरीबी रेखा से नीचे जा सकती है.

वर्ल्ड बैंक ने कहा है कि पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति बिगड़ रही है. उसने देश के नकदी संकट को लेकर आगाह किया है. साथ ही पहले से महंगाई की मार से जूझ रहे देश में एक करोड़ से अधिक लोग गरीबी रेखा से नीचे जाने की आशंका व्यक्त की है.

मंद पड़ी है पाकिस्तान की इकोनॉमिक ग्रोथ

वर्ल्ड बैंक के अनुमान के मुताबिक पाकिस्तान 1.8 प्रतिशत की सुस्त आर्थिक वृद्धि दर के साथ बढ़ रहा है, जबकि महंगाई का स्तर इससे काफी ज्यादा है. चालू वित्त वर्ष में पाकिस्तान के अंदर महंगाई दर 26 प्रतिशत पर पहुंच गयी है. विश्वबैंक ने पाकिस्तान के ग्रोथ आउटलुक को लेकर अपनी छमाही रिपोर्ट जारी की है. उसका अनुमान है कि पाकिस्तान सभी मैक्रो इकोनॉमिक पैरामीटर्स को हासिल करने से चूक सकता है.

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विश्वबैंक का कहना है कि पाकिस्तान अपने प्राइमरी बजट लक्ष्य से पीछे रह सकता है. वह लगातार तीन साल तक घाटे में रह सकता है. यह इंटरनेशनल मोनेटरी फंड (IMF) की शर्तों के उलट है. आईएमएफ ने पाकिस्तान को फंड देने के बदले अपना रिवेन्यू बढ़ाने और सरप्लस बजट का लक्ष्य हासिल करने की अनिवार्य शर्त रखी है.

पाकिस्तान के गरीबी मिटाने के प्रयास काफी नहीं

वर्ल्ड बैंक की इस रिपोर्ट को मुख्य तौर पर सैयद मुर्तजा मुजफ्फरी ने लिखा है. उनके मुताबिक पाकिस्तान का रिवाइवल हो रहा है, लेकिन ये काफी शुरुआती अवस्था में है. गरीबी उन्मूलन के जो प्रयास हो रहे हैं, वह काफी नहीं हैं. इसमें कहा गया है कि आर्थिक वृद्धि मामूली रहने का अनुमान है. वहीं लगभग 9.8 करोड़ पाकिस्तानी पहले से ही गरीबी रेखा के नीचे हैं. इसके साथ गरीबी की दर लगभग 40 प्रतिशत पर बनी हुई है.

रिपोर्ट में गरीबी रेखा के ठीक ऊपर रह रहे लोगों के उससे नीचे आने का जोखिम बताया गया है. इसके तहत एक करोड़ लोगों के गरीबी रेखा के नीचे आने का जोखिम है. विश्व बैंक ने कहा कि गरीबों और हाशिये पर खड़े लोगों को कृषि उत्पादन में अप्रत्याशित लाभ से फायदा होने की संभावना है. लेकिन यह लाभ लगातार ऊंची महंगाई तथा निर्माण, व्यापार तथा परिवहन जैसे अधिक रोजगार देने वाले क्षेत्रों में सीमित वेतन वृद्धि से बेअसर होगा.

आमदनी अठन्नी, खर्चा रुपया

रिपोर्ट में कहा गया है कि इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान दिहाड़ी मजदूरों की मजदूरी केवल पांच प्रतिशत बढ़ी जबकि मुद्रास्फीति 30 प्रतिशत से ऊपर थी. वर्ल्ड बैंक ने आगाह किया कि बढ़ती परिवहन लागत के साथ-साथ जीवन-यापन खर्च बढ़ने कारण स्कूल न जाने वाले बच्चों की संख्या में वृद्धि की आशंका है. साथ ही इससे किसी तरह गुजर-बसर कर रहे परिवारों के लिए बीमारी की स्थिति में इलाज में देरी हो सकती है.

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