श्री पीतांबरा पीठ में धूमधाम से मनाया जा रहा गणेशोत्सव, …- भारत संपर्क

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श्री पीतांबरा पीठ में धूमधाम से मनाया जा रहा गणेशोत्सव, …- भारत संपर्क

सरकंडा स्थित श्री पीतांबरा पीठ त्रिदेव मंदिर में विराजित श्री सिद्धिविनायक गणपति जी का पूजन पाठ धूमधाम से किया जा रहा है विगत वर्ष गणेश चतुर्थी के पावन पर्व पर गणेश जी का प्राण प्रतिष्ठा किया गया था जिसका एक वर्ष पूर्ण हुआ इस अवसर पर श्रद्धा पूर्वक प्रतिदिन गणेश जी का पूजन श्रृंगार किया जा रहा है।

पीतांबरा पीठाधीश्वर आचार्य डॉ. दिनेश जी महाराज ने बताया कि गणेश उत्सव भारत का एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार है। यह त्यौहार सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन में सुख, समृद्धि और ज्ञान लाने का प्रतीक है। भाद्रपद मास की के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से मनाए जाने वाले गणेश उत्सव मुख्य रूप से भगवान गणेश के जन्म के उत्सव के रूप में मनाई जाती है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और शुभकर्ता के रूप में पूजा जाता है, जिसका अर्थ है कि वे सभी बाधाओं को दूर करने वाले और सभी कार्यों में सफलता प्रदान करने वाले देवता हैं।गणेश जी को बुद्धि, ज्ञान और सौभाग्य का देवता माना जाता है। किसी भी नए काम या शुभ कार्य की शुरुआत से पहले उनकी पूजा करने से यह माना जाता है कि वह काम बिना किसी रुकावट के सफल होगा।गणेश जी की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और सभी प्रकार के कष्ट दूर होते हैं।

गणेश जी की पूजा प्रथम क्यों की जाती है?

गणेश जी को किसी भी पूजा या शुभ कार्य में प्रथम पूज्यनीय होने का सम्मान मिला हुआ है। इसके पीछे एक पौराणिक कथा है एक बार सभी देवताओं में यह बहस छिड़ी कि उनमें से सबसे श्रेष्ठ कौन है और किसकी पूजा सबसे पहले की जानी चाहिए। इस विवाद को सुलझाने के लिए, भगवान शिव ने एक प्रतियोगिता आयोजित की। उन्होंने सभी देवताओं से कहा कि जो सबसे पहले ब्रह्मांड के तीन चक्कर लगाकर वापस लौटेगा, वही सबसे श्रेष्ठ होगा और उसी की पूजा सबसे पहले होगी। सभी देवता अपने-अपने वाहनों पर सवार होकर ब्रह्मांड का चक्कर लगाने निकल पड़े, लेकिन गणेश जी ने अपनी बुद्धि का उपयोग किया। उन्होंने अपने माता-पिता, भगवान शिव और माता पार्वती, को ही संपूर्ण ब्रह्मांड मानकर उनके चारों ओर परिक्रमा की। उन्होंने श्रद्धापूर्वक कहा, “मेरे लिए मेरे माता-पिता ही पूरा संसार हैं।”गणेश जी की इस बुद्धिमत्ता और माता-पिता के प्रति उनके प्रेम को देखकर भगवान शिव बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने गणेश जी को आशीर्वाद दिया कि भविष्य में किसी भी शुभ कार्य या पूजा से पहले उनकी ही पूजा होगी। तभी से गणेश जी को प्रथम पूज्यनीय माना जाता है।

गणेश जी को कुछ खास चीजें बहुत पसंद हैं, जिनका भोग लगाने से वे प्रसन्न होते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख भोग इस प्रकार हैं:
मोदक: मोदक गणेश जी का सबसे प्रिय भोग माना जाता है। मोदक एक मीठी मिठाई है जो चावल के आटे या गेहूं के आटे से बनती है और इसमें नारियल, गुड़ या ड्राई फ्रूट्स भरे जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि मोदक का भोग लगाने से गणेश जी शीघ्र प्रसन्न होते हैं।
लड्डू: मोतीचूर और बेसन के लड्डू भी गणेश जी को बहुत प्रिय हैं। इन्हें विशेष रूप से पूजा में चढ़ाया जाता है।
केला: केले का भोग भी गणेश जी को लगाया जाता है, क्योंकि यह एक शुभ फल माना जाता है।
नारियल: नारियल को शुभ माना जाता है और यह पूजा में अवश्य शामिल किया जाता है। इसके अलावा, गणेश जी को पंचामृत, मिठाई और ऋतु के अनुसार फल भी चढ़ाए जाते हैं।

गणेश जी को कौन-कौन से फूल और पत्तियां अति प्रिय हैं?

गणेश जी को कुछ खास फूल और पत्तियां विशेष रूप से पसंद हैं, जिन्हें पूजा में शामिल करने का विशेष महत्व है।
लाल गुड़हल का फूल-यह गणेश जी का सबसे प्रिय फूल माना जाता है। लाल रंग का गुड़हल का फूल ऊर्जा, शक्ति और पवित्रता का प्रतीक है।
दूर्वा घास– दूर्वा घास गणेश जी को बहुत प्रिय है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, दूर्वा घास चढ़ाने से गणेश जी की कृपा प्राप्त होती है। यह घास लंबी उम्र और अच्छी सेहत का भी प्रतीक है।
शमी पत्र– शमी के पेड़ की पत्तियां भी गणेश जी को चढ़ाई जाती हैं। शमी के पत्ते चढ़ाने से शनि दोष दूर होता है और जीवन में शांति आती है।
आक का फूल– आक का फूल भी गणेश जी को बहुत प्रिय है। यह फूल चढ़ाने से सुख-समृद्धि और धन में वृद्धि होती है।

मात्रा:
गणेश जी को फूल और पत्तियां चढ़ाते समय मात्रा का विशेष ध्यान रखा जाता है।
दूर्वा घास – 21 दूर्वा घास की गांठ बनाकर चढ़ाना सबसे शुभ माना जाता है। 21 की संख्या का आध्यात्मिक महत्व है।

फूल और पत्तियां– आमतौर पर 5, 7, 11, 21 या अन्य विषम संख्या में फूल और पत्तियां चढ़ाना शुभ माना जाता है। हालांकि, आप अपनी श्रद्धा के अनुसार फूल भी चढ़ा सकते हैं।

महत्व:
इन फूलों और पत्तियों को चढ़ाने से पूजा स्थल में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। दूर्वा घास चढ़ाने से स्वास्थ्य लाभ होता है। गुड़हल का फूल, शमी पत्र और अन्य चीजें समृद्धि और सफलता का प्रतीक मानी जाती हैं।

गणपति पूजा एक ऐसा पर्व है जो हमें सिर्फ धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि सामाजिक और व्यक्तिगत स्तर पर भी बहुत कुछ सिखाता है। यह हमें सिखाता है कि जीवन में आने वाली बाधाओं को बुद्धि और विवेक से कैसे दूर किया जाए, और माता-पिता का सम्मान कितना महत्वपूर्ण है। गणेश जी की पूजा हमें यह भी बताती है कि सादगी, समर्पण और भक्ति से ही हम ईश्वर की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

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