गौतम गंभीर अपनी ही बातों से पलटे, उसी खिलाड़ी के साथ की नाइंसाफी, जिसके लिए… – भारत संपर्क

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गौतम गंभीर अपनी ही बातों से पलटे, उसी खिलाड़ी के साथ की नाइंसाफी, जिसके लिए… – भारत संपर्क

गौतम गंभीर ने भारतीय खिलाड़ी के साथ की नाइंसाफी. (Photo: PTI)
गौतम गंभीर हेड कोच बनने के बाद से एक बार फिर अपनी ही बातों से पलट गए हैं. कभी जिस खिलाड़ी के लिए आवाज उठाया करते थे. प्लेयर ऑफ द सीरीज होने के बाद उस खिलाड़ी के ड्रॉप होने पर उन्होंने नाराजगी भी जाहिर की थी. अब श्रीलंका टी20 सीरीज में सबसे ज्यादा विकेट चटकाने के बावजूद उन्होंने खुद उसे बांग्लादेश के खिलाफ पहले मुकाबले में मौका नहीं दिया. हम यहां बात कर हैं रवि बिश्नोई की. दिसंबर 2023 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ प्लेयर ऑफ द सीरीज बनने के बाद साउथ अफ्रीका दौरे पर बिश्नोई को एक भी टी20 मैच खेलने का मौका नहीं मिला था. तब गंभीर सेलेक्टर्स के फैसले पर काफी गुस्सा हुए थे. अब उन्होंने बिश्नोई के साथ खुद वहीं काम किया है.
1 साल के अंदर 2 बार नाइंसाफी
वनडे वर्ल्ड कप खत्म होने के एक महीने बाद दिसंबर 2023 में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच 5 मैचों की टी20 सीरीज खेली गई थी. इस सीरीज में रवि बिश्नोई ने 5 मुकाबलों में 9 विकेट चटकाए थे. इसके लिए उन्हें प्लेयर ऑफ द सीरीज चुना गया था. इसके बाद भारतीय टीम 3 मैचों की टी20 सीरीज के लिए साउथ अफ्रीका दौरे पर पहुंची, जहां बिश्नोई को एक भी मैच नहीं खिलाया गया था. उस वक्त भी सूर्यकुमार यादव ही टीम के कप्तान थे. वह पहली बार टीम की कप्तानी कर रहे थे. तब गौतम गंभीर ने काफी सख्त लहजे में बिश्नोई को बाहर करने के फैसले की आलोचना की थी.
गौतम गंभीर ने कहा था कि ‘प्लेयर ऑफ द सीरीज होना टीम से ड्रॉप होने का क्राइटेरिया है. इसलिए कभी भी ये हासिल नहीं करना चाहिए.’ वहीं उनके हेड कोच बनने के बाद बिश्नोई ने पहली बार श्रीलंका दौरे पर अपना जौहर दिखाया और टी20 सीरीज में सबसे ज्यादा विकेट लिए. अब गंभीर ने अपनी बात से पलटते हुए उन्हें बांग्लादेश के खिलाफ पहले मुकाबले में ही बेंच पर बैठा दिया और कोलकाता नाइट राइडर्स के लिए खेलने वाले वरुण चक्रवर्ती को मौका दिया. इस तरह एक साल के अंदर बिश्नोई के साथ 2 बार नाइंसाफी हो गई. अच्छा प्रदर्शन करने के बावजूद उन्हें दूसरी बार प्लेइंग इलेवन में जगह नहीं मिली.
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पहले भी पलट चुके हैं गंभीर
गौतम गंभीर हेड कोच बनने से पहले हमेशा भारतीय कोच की वकालत किया करते थे. उनका मानना था कि टीम इंडिया के लिए हर हाल में भारतीय कोच ही चुना जाना चाहिए. विदेशी कोच को लेकर उन्होंने कई बार बीसीसीआई की आलोचना भी की थी. हालांकि, जब वो खुद टीम इंडिया के हेड कोच बने तो अपने कोचिंग स्टाफ में दो विदेशी कोच को शामिल किया. पहले उन्होंने अपने लंबे समय के साथी रेयान टेन डेश्काटे को असिस्टेंट कोच बनाया. फिर उनके साथ आईपीएल में काम कर चुके मोर्न मॉर्कल को बॉलिंग कोच के तौर पर टीम इंडिया में लेकर आए.

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