गाजा नरसंहार में जर्मनी ने की इजराइल की मदद? UN कोर्ट में सुनवाई आज | Germany helped… – भारत संपर्क

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गाजा नरसंहार में जर्मनी ने की इजराइल की मदद? UN कोर्ट में सुनवाई आज | Germany helped… – भारत संपर्क
गाजा नरसंहार में जर्मनी ने की इजराइल की मदद? UN कोर्ट में सुनवाई आज

इजराइल गाजा जंग

संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष अदालत में आज एक मामले में सुनवाई शुरू होगी, जिसमें जर्मनी ने इजराइल को दी जा रही सैन्य और अन्य सहायता बंद करने की अपील की है. शिकायतकर्ता निकारागुआ ने दावा किया है कि जर्मनी गाजा में जारी संघर्ष के दौरान नरसंहार और अंतरराष्ट्रीय कानून के उल्लंघन में इजराइल की मदद कर रहा है.

हालांकि इजराइल ने इस आरोप से इनकार किया है कि उसका सैन्य अभियान नरसंहार के खिलाफ संधि का उल्लंघन करता है. निकारागुआ की अंतरराष्ट्रीय अदालत में दाखिल याचिका जर्मनी पर केंद्रित है. हालांकि, परोक्ष रूप से यह 7 अक्टूबर के घातक हमलों के बाद गाजा में इजराइल के सैन्य अभियान पर निशाना साधता है.

हमले में हजारों लोगों की मौत

7 अक्टूबर को हमास ने इजराइल पर हमला किया था, जिसमें करीब 1200 लोग मारे गए थे. गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक इजराइल की कार्रवाई में अबतक 33 हजार से अधिक फिलिस्तीनी मारे गए हैं. हालांकि, गाजा के प्राधिकारियों ने साफ नहीं किया है कि इनमें से कितने आम लोग और लड़ाके हैं, लेकिन कहा कि मारे गए लोगों में अधिकतर महिलाएं और बच्चे हैं.

हम में रखेंगे अपना पक्ष: फिशर

जर्मनी के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सेबेस्टियन फिशर ने सुनवाई से पहले कहा कि हम कोर्ट में अपना पक्ष रखेंगे. उन्होंने शुक्रवार को बर्लिन में संवाददाताओं से कहा था कि हम निकारागुआ के आरोपों को खारिज करते हैं. फिशर ने कहा कि जर्मनी ने न तो नरसंहार के खिलाफ संधि का और न ही अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का उल्लंघन किया है, और हम इसे इंटरनेशनल कोर्ट के सामने विस्तार से रखेंगे.

आदेश पारित करने का अनुरोध

निकारागुआ ने कोर्ट से अनंतिम उपायों के तहत प्रारंभिक आदेश पारित करने का अनुरोध किया है. उसने अनुरोध किया है कि जर्मनी द्वारा इजराइल को दी जा रही सहायता, विशेष रूप से सैन्य उपकरणों सहित सैन्य सहायता को तुरंत निलंबित करने का आदेश दिया जाए, क्योंकि इस सहायता का इस्तेमाल नरसंहार के खिलाफ संधि और अंतरराष्ट्रीय कानून के उल्लंघन में किया जा सकता है. इंटरनेशनल कोर्ट द्वारा कुछ सप्ताह में प्रारंभिक निर्णय दिए जाने की संभावना है, लेकिन निकारागुआ द्वारा दायर याचिका पर अंतिम फैसला आने में सालों लग सकते हैं.

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