ग्लोबल वॉर ने बढ़ाई इंडिया की टेंशन, फियो की रिपोर्ट उड़ा…- भारत संपर्क
क्या ग्लोबल इंजन का लीडर बनेगा भारत?
दुनिया में दो अलग-अलग मोर्चों पर चार देश युद्ध लड़ रहे हैं. इसका प्रभाव लगभग पूरी दुनिया में देखने को मिल रहा है. एक्सपोर्ट यूनियन फियो ने कहा है कि वैश्विक स्तर पर बढ़ते तनाव का असर वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में देश के निर्यात पर पड़ सकता है क्योंकि इससे वैश्विक मांग प्रभावित होने की आशंका है. रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के कारण उत्पन्न वैश्विक अनिश्चितताओं ने वित्त वर्ष 2023-24 में भारत के निर्यात को प्रभावित किया था. निर्यात 2023-24 में 3.11 प्रतिशत की गिरावट के साथ 437 अरब अमेरिकी डॉलर रहा. आयात भी आठ प्रतिशत से अधिक घटकर 677.24 अरब अमेरिकी डॉलर रहा.
फियो ने जारी की रिपोर्ट
भारतीय निर्यातक संगठनों के महासंघ (फियो) के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा कि अगर वैश्विक स्थिति ऐसी ही बनी रही तो इसका असर वैश्विक मांग पर पड़ेगा. पहली तिमाही के आंकड़ों में मांग में सुस्ती दिख सकती है. उन्होंने कहा कि तमाम चुनौतियों के बावजूद माल ढुलाई दरों में नरमी आ रही है. यह संकेत देता है कि आने वाले समय में मांग पर असर पड़ सकता है. सहाय ने आगाह किया कि मौजूदा भू-राजनीतिक तनाव के और बढ़ने से विश्व व्यापार पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है.
उन्होंने कहा कि भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के अलावा बढ़ती महंगाई और उच्च ब्याज दर भी मांग में नरमी के महत्वपूर्ण कारक हैं. महानिदेशक ने कहा कि यूरोप जैसी कुछ उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में और अधिक नरमी देखी जा सकती है. साथ ही उन्होंने कहा कि 2023-24 के दौरान भारत की घरेलू मुद्रा में चीनी युआन के 4.8 प्रतिशत के मुकाबले केवल 1.3 प्रतिशत की गिरावट आई. थाईलैंड मुद्रा 6.3 प्रतिशत और मलेशियाई रिंगिट सात प्रतिशत की गिरावट आई.
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इजराइल-ईरान युद्ध का प्रभाव
इजराइल-ईरान युद्ध के प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इंजीनियरिंग क्षेत्र के कुछ निर्यातकों ने कहा है कि संयुक्त अरब अमीरात और फिर ईरान जाने वाले सामानों की मांग कम हो गई है. आभूषणों की मांग में भी कमी आ सकती है. फियो के महानिदेशक ने सरकार को नकदी के मोर्चे पर निर्यातकों के लिए कुछ कदम उठाने का सुझाव दिया. मांग में कमी के कारण, माल का उठाव कम होगा इसलिए विदेशी खरीदारों को भुगतान करने में भी समय लगेगा. हमें लंबी अवधि के लिए कोष की आवश्यकता है. निर्यातकों को भी ब्याज छूट की जरूरत है.
उन्होंने ब्याज समानीकरण योजना (आईईएस) को जारी रखने का सुझाव दिया. योजना के तहत पात्र निर्यातकों को निर्यात से पहले और बाद में कर्ज की सुविधा मिलती है. इसके अंतर्गत बैंकों को पात्र निर्यातकों को कर्ज उपलब्ध कराने की अनुमति है. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने योजना को 30 जून तक जारी रखने के लिए 2,500 करोड़ रुपये के अतिरिक्त आवंटन को आठ दिसंबर 2023 को मंजूरी दी थी.