Gopalganj Lok Sabha Seat: लालू के गृह जिले में नहीं रही RJD की धमक, बस एक…

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Gopalganj Lok Sabha Seat: लालू के गृह जिले में नहीं रही RJD की धमक, बस एक…
Gopalganj Lok Sabha Seat: लालू के गृह जिले में नहीं रही RJD की धमक, बस एक बार साले साधु जीते, 44 साल से कांग्रेस को भी इंतजार

गोपालगंज लोकसभा में नहीं चला लालू का जादूImage Credit source: tv9 भारतवर्ष

गंडक, गन्ना और गुंडा के लिए मशहूर बिहार का गोपालगंज जिला यूपी से सीमा साझा करता है. मध्यकाल में गोपालगंज चेर राजाओं और अंग्रेजों के समय में हथुआ राज का केन्द्र था. आजादी की लड़ाई में भी यहां के लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. गंडक नदी के दोनों किनारे पर बसा यह जिला कभी गन्ने की खेती के लिए जाना जाता था. गन्ने की खेती से जिले की आर्थिक समृद्धि बढ़ी तो गंडक, गन्ना के बाद इस जिले की पहचान में गुंडा भी जुड़ गया. हालाकि अब अपराध पर पहले की अपेक्षा अंकुश लगा है.

गोपालगंज में जंगलों के बीच स्थित थावे दुर्गा मंदिर पूरे भारत में प्रसिद्ध है. कहा जाता है कि भक्त रहषु के बुलावे पर देवी मां यहां कामख्या से आई हैं. थावे वाली मां को रहषु भवानी के नाम से भी भक्त पुकारते हैं.

राजनीतिक और आर्थिक परिवर्तन की भूमि गोपालगंज

बात राजनीति की करें तो गोपालगंज सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक परिवर्तन की भूमि रही है. राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख लालू यादव का जन्म गोपालगंज के फुलवरिया गांव में ही हुआ है. गोपालगंज बिहार का वह जिला है जहां से सूबे को तीन सीएम मिले हैं. लालू प्रसाद यादव फुलवरिया के रहने वाले हैं तो उनकी पत्नी राबड़ी देवी का मायका सलार गांव है. पूर्व मुख्यमंत्री अब्दुल गफूर भी गोपालगंज के रहने वाले थे. भले ही बिहार के इस जिले की एक समृद्ध राजनीतिक विरासत रही है लेकिन यहां अबतक कोई महिला सांसद नहीं चुनी गई है. इस जिले की बेटी सूबे की सीएम बन गईं लेकिन गोपालगंज लोकसभा ने आजतक किसी महिला को अपना सांसद नहीं चुना है. 2019 में जेडीयू के आलोक कुमार सुमन ने जीत दर्ज की है. 2009 से गोपालगंज अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित है.

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2019 में जेडीयू कोटे में गया गोपालगंज

आलोक कुमार सुमन ने आरजेडी के सुरेंद्र राम को 2,86,434 वोटों से हराया था. आलोक कुमार को जहां 568,150 वोट मिले थे वहीं सुरेद्र राम को 2,81,716 वोट. तीसरे स्थान पर यहां नोटा था. नोटा को 51,660 वोट मिले थे. ये वोट बीएसपी और दूसरे दलों के उम्मीदवार से ज्यादा है. इससे पहले 2014 में बीजेपी के जनक राम ने कांग्रेस पार्टी की डॉ. ज्योति भारती को को हराया था. 2019 में गोपालगंज जेडीयू कोटे में चला गया.

गोपालगंज का चुनावी इतिहास

गोपालगंज में 1952 में हुए चुनाव में कांग्रेस के सैयद महमूद ने जीत दर्ज की. 1957 में भी वह जीत दर्ज करने में कामयाब रहे. इसके बाद 1962, 1967 और 1971 में लगातार तीन बार कांग्रेस पार्टी के द्वारिका नाथ तिवारी सांसद चुने गए. 1977 में द्वारिका नाथ तिवारी ने जनता पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की. द्वारिका नाथ तिवारी यहां से सबसे ज्यादा दिनों तक सांसद रहे हैं. 1980 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आई) के नगीना राय ने जीत दर्ज की.

इंदिरा लहर में निर्दलीय की जीत

1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए चुनाव में सहानुभूति लहर के बाद भी यहां कांग्रेस पार्टी जीत दर्ज नहीं कर पाई. 1984 में यहां से निर्दलीय उम्मीदवार काली प्रसाद पांडे सांसद चुने गए. 1989, 1991 और 1996 मे यहां जनता दल के राजमंगल मिश्र, अब्दुल गफूर और लाल बाबू प्रसाद यादव सांसद बने. 1998 और 1999 में यहां समता पार्टी के सांसद बने. 2004 में यहां आरजेडी ने पहली बार खाता खोला और लालू यादव के साले साधु यादव सांसद बने. लालू यादव के गृह जिले गोपालगंज लोकसभा में आरजेडी की पहली और अबतक की आखिरी जीत है. 2014 में बीजेपी के जनक राम जबकि 2019 में जेडीयू के आलोक कुमार सुमन सांसद बने हैं.

गोपालगंज का वोट गणित

बिहार में लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय मु्द्दों के साथ स्थानीय मुद्दे भी हावी रहे हैं. चुनाव में जीत हार का मुख्य गणित अंत में जाति पर ही टिकता है. गोपालगंज के जातीय समीकरण की बात करें तो इस सीट पर मुस्लिम, यादव के अलावा राजपूत, ब्राह्मण और भूमिहार जाति के वोटरों का दबदबा रहा है. वैश्य, कुर्मी, कुशवाहा और महादलित वोटर की गोलबंदी हार जीत तय करती रही है. बात मुद्दों की करें तो लालू यादव का गृह जिला होने के बाद भी यहां ज्यादा विकास नहीं हुआ. लोगों का कहना है कि लालू एंड फैमिली ने सिर्फ फुलवरिया पर फोकस किया. फुलवरिया तक भले ही रेलवे लाइन पहुंची. सड़क और अस्पताल बनाए गए लेकिन दूसरे हिस्से विकास की दौड़ में पीछे रह गए. यही वजह है कि गोपालगंज के मतदाताओं ने भी लालू यादव और उनकी पार्टी के प्रति कुछ ज्यादा स्नेह नहीं रखा.

गोपालगंज में छह विधानसभा क्षेत्र कुचायकोट, बरौली, बैकुंठपुर, हथुआ भोरे और गोपालगंज है. यहां कुल 18,39,514 मतदाता हैं. इनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 8,98,680 जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 9,40,761 है.

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