खाने का तेल और दाल पर सरकार का सुपर प्लान, ऐसे कम होगा…- भारत संपर्क
खाने के तेल को लेकर सरकार आने वाले दिनों में कुछ बड़ा फैसला ले सकती है.
नई सरकार का गठन हो चुका है. मंत्रालयों का बंटवारा भी हो गया है. सभी मंत्री अपने-अपने मंत्रालयों का कार्यभार संभाल रहे हैं. जिसके बाद आने वाले 100 दिनों में सरकार ताबड़तोड़ एक्शन ले सकती है. जैसा कि पूरे देश ने सोमवार को भी देखा. पीएम नरेंद्र मोदी ने पद संभालते ही किसानों को राहत देते हुए पीएम किसान सम्मान निधि की फाइल पर सबसे पहले साइन किए. जानकारी के अनुसार अब 100 दिनों के एजेंडे में दाल और खाने के तेल को भी लाया गया है. सरकार के प्लान के अनुसार दालों और खाद्य तेल के इंपोर्ट को कम करने, इथेनॉल सप्लाई बढ़ाने और खाद्य कीमतों को स्थिर करने पर स्पेशल योजना बनाई जा रही है. इसमें पिछले डेढ़ साल में उठाए गए कदमों की तरह ही कड़े नीतिगत उपाय शामिल होंगे.
दाल और तेल पर फोकस क्यों?
घरेलू सप्लाई को बढ़ावा देने के लिए दालों और खाद्य तेल के इंपोर्ट में सरकार के भारी खर्च को कम करने के लिए कृषि मंत्रालय 2027 तक दालों में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए एक नई योजना का मसौदा तैयार कर रहा है, वित्त वर्ष 2023-24 में भारत का आयात बिल वित्त वर्ष वित्त वर्ष 2022-23 में 898 बिलियन डॉलर के मुकाबले 854.8 बिलियन डॉलर था, वित्त वर्ष 2024 में अकेले कृषि निर्यात 48.9 बिलियन डॉलर पर आ गया, जो कि वित्त वर्ष 2023 में 53.2 बिलियन डॉलर से 8 फीसदी कम था.
हालांकि खाद्य तेलों के इंपोर्ट में गिरावट के कारण कृषि इंपोर्ट में गिरावट आई, लेकिन दालों का इंपोर्ट छह साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया. वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, देश ने दालों के आयात पर 3.75 अरब डॉलर और वनस्पति तेलों पर 14.8 अरब डॉलर खर्च किए, जबकि पिछले साल यह क्रमश: 1.94 अरब डॉलर और 20.84 अरब डॉलर था.
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सरकार बढ़ाएगी फोकस
मीडिया रिपोर्ट में एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि हमारा 100-दिन का एजेंडा निश्चित रूप से 14 करोड़ किसानों के कल्याण के अलावा तिलहन, दालों और बायोफ्यूल पर केंद्रित होगा. हालांकि, मुख्य फोकस इंपोर्ट बिल को कम करने पर होगा. अधिकारी के अनुसार हम आने वाले 3-4 सालों में में दालों में आत्मनिर्भरता हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं. हम तिलहन की तरह हर तरह के सपोर्ट के लिए तैयार हैं. दलहन उत्पादन को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देने के लिए विकास पर केंद्रित एक नया कार्यक्रम तैयार किया जा रहा है और अगले कुछ दिनों में इसके सामने आने की उम्मीद है. अधिकारी ने कहा कि हम एसओपी पर काम कर रहे हैं और बजटीय आवंटन के आधार पर हम कार्यक्रम को आगे बढ़ाएंगे. भारत खाद्य तेलों का शुद्ध आयातक है, कुल खाद्य तेलों का 57 फीसदी विभिन्न देशों, विशेष रूप से इंडोनेशिया और मलेशिया से खरीदा जाता है. अधिकारी ने कहा, इससे भारत की विदेशी मुद्रा पर 20.56 अरब डॉलर का नकारात्मक असर पड़ रहा है.
आत्मनिर्भरता की दिशा में उपाय
सरकार ने पाम ऑयल की खेती को बढ़ाने और 2025-26 तक क्रूड पाम ऑयल के उत्पादन को 1.1 मिलियन टन तक बढ़ाने के लिए 2021 में नेशनल मिशन फॉर एडिबल ऑयल्स-ऑयल पाम (एनएमईओ-ओपी) लॉन्च किया. इसी प्रकार, सरकार देश को दालों के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए उपाय कर रही है और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम)-दालें लागू कर रही है.
जनवरी में सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा था कि भारतीय किसानों ने 2013-14 में 19 मिलियन टन दालों का उत्पादन किया जो 2022-23 में बढ़कर 26 मिलियन टन हो गया. लेकिन हमें इससे संतुष्ट नहीं होना चाहिए और हमें एक ऐसी व्यवस्था बनानी होगी जिसमें 2027 तक हम न केवल दालों का इंपोर्ट रोक सकें बल्कि इसका निर्यात भी कर सकें.
भारत तीन प्रकार की दालों- तुअर (अरहर), उड़द (काला चना) और मसूर (मसूर) की लगभग 28 मिलियन टन की अपनी घरेलू मांग को पूरा करने के लिए इंपोर्ट पर निर्भर है, जो मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, रूस, म्यांमार, मोज़ाम्बिक, तंजानिया, सूडान और मलावी से खरीदा जाता है. 2011 के बाद से कुछ सुधार के बावजूद, दालों की मांग और आपूर्ति के बीच का अंतर बढ़ रहा है और पिछले कुछ वर्षों में 2.5-3 मिलियन टन दालों के वार्षिक इंपोर्ट की आवश्यकता हुई है.