देवरीखुर्द में भीषण जलसंकट, आधी आबादी टैंकरों पर निर्भर,…- भारत संपर्क

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देवरीखुर्द में भीषण जलसंकट, आधी आबादी टैंकरों पर निर्भर,…- भारत संपर्क

बिलासपुर। शहर के देवरीखुर्द क्षेत्र में पानी की भारी किल्लत से लोग रोजमर्रा की जिंदगी में बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। इलाके में पीने के पानी की गंभीर समस्या खड़ी हो गई है। अधिकांश बोरवेल सूख चुके हैं और लोग पानी के लिए घंटों इंतजार करने को मजबूर हैं। स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि क्षेत्र की आधी से अधिक आबादी नगर निगम द्वारा भेजे जा रहे टैंकरों और वॉटर लॉरियों के भरोसे जीवन गुजार रही है।

नगर निगम सुबह और शाम पानी की आपूर्ति के लिए टैंकर और लॉरी भेज रहा है, लेकिन यह प्रयास लोगों की जरूरतों के सामने नाकाफी साबित हो रहे हैं। कई बार टैंकरों के देर से आने, पर्याप्त मात्रा में पानी न मिलने या अनियमित आपूर्ति के कारण स्थानीय निवासियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। महिलाओं और बुजुर्गों को सबसे अधिक मुश्किलें झेलनी पड़ रही हैं, जिन्हें गर्मी में पानी लाने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ रही है।

भूजल स्तर में भारी गिरावट

गर्मी के बढ़ते प्रकोप ने स्थिति को और अधिक गंभीर बना दिया है। भूजल स्तर में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है, जिसके चलते नए बोरवेल की खुदाई भी निष्फल साबित हो रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि इसी तरह भूजल का दोहन और जल संचयन की अनदेखी जारी रही, तो आने वाले समय में पूरे शहर को जल संकट का सामना करना पड़ सकता है।

स्थायी समाधान की मांग

स्थानीय नागरिकों और जनप्रतिनिधियों ने प्रशासन से मांग की है कि इस संकट का स्थायी समाधान जल्द से जल्द निकाला जाए। उनका कहना है कि फिलहाल टैंकरों के सहारे स्थिति को संभालने की कोशिश की जा रही है, लेकिन यह केवल अस्थायी व्यवस्था है। यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो स्थिति पूरी तरह से बेकाबू हो सकती है और आम जनता को भारी संकट का सामना करना पड़ेगा।

प्रशासन की अग्नि परीक्षा

देवरीखुर्द का यह जल संकट न केवल स्थानीय प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती है, बल्कि पूरे शहर को चेतावनी भी है कि जल संरक्षण की दिशा में ठोस रणनीति तैयार की जाए। पानी के स्थायी स्रोत विकसित करने, वर्षा जल संचयन को बढ़ावा देने और अवैध बोरवेल पर कार्रवाई जैसे कदम अब समय की मांग बन चुके हैं।

देवरीखुर्द की हालत यह बता रही है कि जल संकट अब दूर की बात नहीं, बल्कि हमारे दरवाजे पर खड़ा खतरा है। यदि इस संकट से सीख लेकर व्यापक और ठोस नीतियां नहीं बनाई गईं, तो आने वाले दिनों में पूरे बिलासपुर को भी ऐसे ही हालात का सामना करना पड़ सकता है।


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