हनुमान जन्मोत्सव की बिलासपुर में हर तरफ धूम, विगत वर्षों की…- भारत संपर्क


इस वर्ष हनुमान जन्मोत्सव 12 अप्रैल शनिवार को मनाया जाएगा। बिलासपुर में सभी हनुमान मंदिरो के साथ जगह-जगह धार्मिक अनुष्ठान और भजन संध्या का आयोजन किया जा रहा है। पूर्णिमा तिथि 12 अप्रैल सुबह 3:20 से आरंभ हो रही है। तिथि का समापन 13 अप्रैल सुबह 5:52 पर होगा। हनुमान जन्मोत्सव इस बार हस्त नक्षत्र और व्याघात योग में मनाया जाएगा। वैसे भी मंगलवार और शनिवार का दिन बजरंगबली को समर्पित होता है। शनिवार को हनुमान जन्मोत्सव होने से इसे शुभ संजोग माना जा रहा है। हनुमान जन्मोत्सव पर सुबह से ही मंदिरों में पूजा, रामायण पाठ , रामनाम जप, हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ होगा। जगह-जगह भंडारे लगाए जाएंगे। शोभायात्रा निकाली जाएगी। कहीं सवामणी बूंदी का भोग लगेगा तो कहीं भजन कीर्तन कर प्रसाद बांटा जाएगा। जानकार बता रहे हैं कि 57 साल बाद पंचग्रही योग में हनुमान जी का प्रकट उत्सव मनाया जाएगा।

हनुमान जन्मोत्सव के पावन अवसर पर दुख भंजन हनुमान सेवा समिति चटर्जी गली सरकंडा द्वारा महामाया चौक आर एस के एकेडमी कछवाहा ग्राउंड में भजन संध्या का आयोजन किया जा रहा है, जहां प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ी भजन गायिका गरिमा दिवाकर और स्वर्णा दिवाकर अपनी प्रस्तुति देंगी। विगत वर्षों की भांति इस बार भी दुख भंजन हनुमान सेवा समिति द्वारा भव्य जगराता और भोग प्रसाद वितरण का कार्यक्रम आयोजित किया गया है। शाम 6:30 बजे यहां महा आरती की जाएगी। तत्पश्चात हनुमान चालीसा का पाठ होगा। जिसके बाद प्रसाद वितरण किया जाएगा। सनातन के लिए समर्पित योद्धाओं के लिए यहां सम्मान समारोह का भी आयोजन किया गया है, जिसमें अतिथि के रूप में केंद्रीय राज्य मंत्री तोखन साहू और अन्य गण मान्य अतिथि उपस्थित रहेंगे। संध्या 8:30 से जगराता आरंभ होगा।
हनुमान जी का जन्म:
- जन्म स्थान:
हनुमान जी का जन्म स्थान को लेकर कई स्थानों पर मतभेद हैं, लेकिन सबसे प्रसिद्ध स्थान किष्किंधा (वर्तमान कर्नाटक में) और अंजन पर्वत (झारखंड) को माना जाता है। कुछ लोग महाराष्ट्र के नासिक और तमिलनाडु में अंजनाद्री को भी हनुमान जन्म स्थान मानते हैं। - जन्म कथा:
हनुमान जी के पिता केसरि एक वानर थे और माता अंजना एक अप्सरा थीं जो शापवश वानरी बनी थीं। भगवान शिव की कृपा और वायुदेव के सहयोग से अंजना को हनुमान जी की प्राप्ति हुई। इसलिए हनुमान जी को “पवनपुत्र”, “मारुति”, “केसरीनंदन” आदि नामों से भी जाना जाता है। - हनुमान जी का जन्म एक दिव्य संयोग:
यह माना जाता है कि जब अंजना जी भगवान शिव की आराधना कर रही थीं, उसी समय राजा दशरथ पुत्रेष्टि यज्ञ कर रहे थे। उस यज्ञ का प्रसाद जब पवन देव के माध्यम से अंजना के पास पहुँचा, तब हनुमान जी का जन्म हुआ। इससे यह भी माना जाता है कि हनुमान जी और श्रीराम लगभग एक ही समय जन्मे।
हनुमान जयंती की तिथि:

- उत्तर भारत में:
चैत्र मास की पूर्णिमा को हनुमान जयंती मनाई जाती है (मार्च-अप्रैल के बीच)। 2025 में यह तिथि 12 अप्रैल को पड़ रही है। - दक्षिण भारत में:
तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में मार्गशीर्ष अमावस्या (दिसंबर-जनवरी) को हनुमान जयंती मनाई जाती है। महाराष्ट्र में इसे चैत्र कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को भी मनाया जाता है।
रोचक तथ्य:

- हनुमान जी को अजर-अमर माना जाता है, वे आठ चिरंजीवियों में से एक हैं।
- वे रामभक्त हैं, लेकिन शिव के 11वें रूद्रावतार भी माने जाते हैं।
- उनकी शक्ति, बुद्धि, विनम्रता और भक्ति की मिसाल आज भी दी जाती है।
- हनुमान चालीसा का पाठ करने से भय, बाधा और रोग दूर होते हैं, ऐसा माना जाता है।
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