हीटवेव बनेगी आम लोगों की जेब की दुश्मन, बढ़ सकती है महंगाई |…- भारत संपर्क

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हीटवेव बनेगी आम लोगों की जेब की दुश्मन, बढ़ सकती है महंगाई |…- भारत संपर्क

पूरा देश में हीटवेव से परेशान है. ये परेशानी और भी ज्यादा बढ़ने वाली है. अर्थशास्त्रियों का कहना है कि गर्मी बढ़ने से एग्रीकल्चरल प्रोडक्शन में बुरा असर देखने को मिल सकता है. अगर ऐसा होता है तो देश की महंगाई दर में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है. जानकारों की मानें तो हीटवेव की वजह से देश में महंगाई दर 0.30 से 0.50 फीसदी तक बढ़ सकती है. जानकारों की मानें तो सब्जियों की कीमतों में पहले से ही बढ़ोतरी देखी जा रही है. जून तक महंगाई ऊंची रहने की संभावना है. सामान्य मानसून से कुछ मिलती दिख सकती है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर इस बारे में देश के अर्थशास्त्रियों का कहना है.

सब्जियों की कीमत में इजाफे की संभावना

डीबीएस ग्रुप में की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर और सीनियर इकोनॉमिस्ट राधिका राव ने कहा कि हीटवेव का प्रभाव खराब होने वाली फूड वैरायटीज स्पेशली सब्जियों पर सबसे ज्यादा देखने को मिलेगा. सब्जियों की महंगाई ओवरऑल महंगाई को बढ़ाने का काम करता है. वित्त वर्ष 2024 में फूड इंफ्लेशन लगातार ऊपर बना हुआ है. राव ने कहा कि सब्जियों की महंगाई की स्पीड सीजनल महंगाई की स्पीड के मुकाबले 50-100 फीसदी ज्यादा है तो ओवरऑल महंगाई में 0.30 से 0.50 फीसदी का इजाफा हो सकता है.

28 फीसदी रह सकती है सब्जियों पर महंगाई

केयरएज की चीफ इकोनॉमिस्ट रजनी सिन्हा ने कहा कि हीटवेव का असर एग्रीकल्चर इनकम, फूड इंफ्लेशन और जनरल हेल्थ कंडीशन पर देखने को मिल सकता है. मार्च में जहां मंज्यूमर इंफ्लेशन घटकर 10 महीने के निचले स्तर 4.9 फीसदी पर आ गया था. वहीं फूड इंफ्लेशन 8.5 फीसदी के उच्चतम स्तर पर थी. खास बात तो ये है कि फूड इंफ्लेशन को बढ़ाने में 28 फीसदी महंगाई का योगदान सब्जियों का था. सब्जियों की महंगाई लगातार पांच महीने से डबल डिजिट में है.

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जानकारों का मानना है कि चालू तिमाही में भी इसके औसतन 28 फीसदी के आसपास रहने की संभावना है. विशेषज्ञों के मुताबिक सिर्फ सब्जियां ही नहीं, बल्कि फलों की भी महंगाई बढ़ सकती है. सिन्हा ने कहा कि हीटवेव की वजह से सब्जियों और फलों जैसे जल्दी खराब होने वाले उत्पादों की उपज और शेल्फ लाइफ पर असर पड़ेगा और सप्लाई कम होगी. जिसकी वजह से सब्जियों और फलों की कीमतों में इजाफा देखने को मिलेगा. कुल महंगाई बास्केट में फलों और सब्जियों का वेट 8.9 फीसदी है.

खरीफ सीजन पर असर

पिरामल ग्रुप के चीफ इकोनॉमिस्ट देबोपम चौधरी ने कहा कि भीष्ण गर्मी की वजह से लॉजिस्टिक इश्यू भी काफी हद कम महंगाई को बढ़ाने में योगदान करता है. साथ ही मानसून सामान्य से कम रहता है तो गर्मी का असर खरीफ सीजन पर भी पड़ सकता है. इस हीटवेव और सामान्य से कम मानसून की संभावना के कारण जलाशयों के लेवल में और गिरावट आने की संभावना है.

क्या कम होगी ईएमआई?

अगर ओवरऑल महंगाई में इजाफा होता है तो आरबीआई के लिए काफी मुश्किल हो सकती है. रिजर्व बैंक ब्याज दरों में कटौती को आगे के लिए खिसका सकता है. कुछ जानकारों की मानें तो जिस तरह से देश में महंगाई है, ऐसा लगता है कि मौजूदा वित्त वर्ष में ब्याज दरों में कटौती की कोई संभावना नहीं है. वैसे कुछ लोगों का ये कहना है कि अक्टूबर या महीने दिसंबर की साइकिल में ब्याज दरों में कटौती की जा सकती है. महंगाई को कम करने के लिए ही आरबीआई मई 2022 से लेकर फरवरी 2023 तक ब्याज दरों में 2.50 फीसदी का इजाफा किया था. उसके बाद से आरबीआई ने कोई बदलाव नहीं किया.

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