अतुल सुभाष केस के 10 दिन… कहां तक पहुंची पुलिस की जांच, 30 दिसंबर के बाद…

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अतुल सुभाष केस के 10 दिन… कहां तक पहुंची पुलिस की जांच, 30 दिसंबर के बाद…
अतुल सुभाष केस के 10 दिन... कहां तक पहुंची पुलिस की जांच, 30 दिसंबर के बाद क्या होगा निकिता सिंघानिया का?

अतुल सुभाष केस.

9 दिसंबर का वो दिन… बिहार का एक बेटा, नाम- अतुल सुभाष मोदी. उस वक्त किसी ने नहीं सोचा होगा कि बेंगलुरु (Bengaluru) में जॉब कर रहा पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर अतुल सुभाष (Atul Subhash Case Update) अपनी जिंदगी खत्म कर देगा. साथ ही छोड़ जाएगा कई ऐसे सवाल, जो कि रिश्तों और कानून को घेरे होंगे.

अतुल ने आज से ठीक 10 दिन पहले जो खौफनाक कदम उठाया उससे पूरा देश सन्न है. मरने से पहले 24 पन्नों का सुसाइड नोट और एक घंटे से ज्यादा का वीडियो बनाकर अतुल ने जो भी सवाल छोड़े हैं, उनका जवाब हर कोई जानना चाहता है. अतुल के माता-पिता ही नहीं, पूरा देश चाहता है कि उसे न्याय मिले. आज जानेंगे इन 10 दिनों में पुलिस जांच कहां तक पहुंची.

अतुल का शव 9 दिसंबर को बेंगलुरु स्थित उसके घर में मिला. वीडियो वायरल हुआ तो केस पूरे देश में फैल गया. अतुल ने मरने से पहले वीडियो बनाकर कहा- मेरी मौत के जिम्मेदार 5 लोग हैं. पत्नी नीकिता सिंघानिया, सास निशा सिंघानिया, सासा अनुराग और चाचा ससुर सुशील सिंघानिया. साथ ही जौनपुर फैमिली कोर्ट की जज रीता कौशिक और उनका पेशकार माधव भी. इन सभी ने मिलकर मुझे यह कदम उठाने के लिए मजबूर किया है. निकिता ने मेरे खिलाफ 9 झूठे मुकदमे दर्ज करवाए हैं.

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कहा- निकिता खुद मुझे छोड़कर गई है. मेरे साढ़े चार साल के बेटे व्योम को भी ले गई है. मुझे उससे बात तक नहीं करने दी जाती. मेरे बेटे को औजार बनाकर ये लोग मुझसे पैसे ऐंठ रहे हैं. मुझसे पहले सेटलमेंट के लिए 1 करोड़ की डिमांड की गई. फिर यह रकम बढ़ाकर 3 करोड़ कर दी गई. मुझसे हर महीने बेटे के नाम पर 80 हजार रुपये देने को कहा गया है. जबकि, मेरी कुल सैलरी ही 80 हजार प्रति महीना है. जब मैंने इसका विरोध किया तो इन लोगों ने कहा कि तुम सुसाइड क्यों नहीं कर लेते. जज साहिबा भी मेरी पत्नी की इस बात पर हंस रही थीं. उन्होंने खुद मुझसे सेटलमेंट कराने के लिए 5 लाख रुपये मांगे.

अतुल ने इसी के साथ 24 पन्नों का सुसाइड नोट, बेटे व्योम के लिए लेटर और एक गिफ्ट छोड़ा. साथ ही अपील की कि कानून का गलत इस्तेमाल करने वाले ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए. मेरे मरने के बाद बेटे व्योम की कस्टडी मेरे माता-पिता को मिले. कहा- अगर मुझे न्याय नहीं मिलता तो मेरी अस्थियां गटर में बहा दी जाएं.

15 दिन की न्यायिक हिरासत में आरोपी

10 दिसंबर को अतुल के भाई ने विकास ने चार लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करवाया. बेंगलुरु पुलिस जब जौनपुर पहुंची जहां निकिता का घर है, तो पाया कि वहां ताला लटका है. पुलिस ने गोपनीयता को बरकरार रखते हुए. सभी आरोपियों की तलाश शुरू की. 13 दिसंबर को निकिता को हरियाणा के गुरुग्राम से गिरफ्तार किया गया. अतुल की सास और साले को प्रयागराज से. फिर कोर्ट में पेश कर उन्हें 15 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. अभी आरोपियों को न्यायिक हिरासत में गए हुए 5 दिन हुए हैं.

हाईकोर्ट से जमानत मिली

30 दिसंबर को आरोपियों की न्यायिक हिरासत खत्म होगी. लेकिन सिर्फ निकिता, निशा और अनुराग की ही गिरफ्तारी हो पाई है. चाचा ससुर अभी भी फरार है. जब चारों फरार हुए थे तो इन लोगों ने हाईकोर्ट में जमानत याचिका लगवाई थी. उसकी सुनवाई सोमवार, यानि 16 दिसंबर को होनी थी. लेकिन उससे पहले ही तीनों गिरफ्तार हो गए. सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया. जमानत मंजूर कर ली. लेकिन इसका फायदा सिर्फ चाचा ससुर को मिला. क्योंकि वो तब तक गिरफ्तार नहीं हुआ था.

अतुल को मिलेगा न्याय?

उधर दूसरी तरफ, बिहार के समस्तीपुर में रह रहा अतुल का परिवार अभी भी सदमे में है. मां अंजू का लगातार रो-रोकर बुरा हाल है. पिता ने कहा- मेरे बेटे को न्याय दो. नहीं तो मैं उसकी अस्थियां गटर में बहाकर आत्मदाह कर लूंगा. भाई विकास ने कहा- मेरे भतीजे व्योम की कस्टडी हमें मिलनी चाहिए. हम उसका अच्छे से पालन-पोषण करेंगे. मेरे भाई की ये अंतिम निशानी है. फिलहाल व्योम निकिता के किसी रिश्तेदार के यहां है. निकिता ने खुद ये बाद बेंगलुरु पुलिस को बताई है. साथ ही पुलिस पूछताछ में अपने ऊपर लगाए गए सभी आरोपों को भी गलत बताया है. अब देखना ये होगा कि आगे इस केस में क्या होता है. क्या अतुल को न्याय मिलेगा या नहीं?

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