तोहफों के लालच ने कैसे इमरान बुशरा बीबी को सलाखों के पीछे पहुंचाया? पढ़ें क्या है…
तोशाखाना मामले में इमरान और उनकी पत्नी बुशरा बीबी को 14 सााल की सजा सुनाई गई है.
पाकिस्तान में आम चुनाव से पहले पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. पहले सायफर केस में उन्हें 10 साल की सजा सुनाई गई. अब तोशाखाना मामले में इमरान खान और उनकी पत्नी बुशरा बीबी को 14 साल की सजा सुनाई गई है. बुशरा बीबी ने अडियाला जेल में प्रशासन के सामने खुद को सरेंडर कर दिया है. तोशाखाना मामला उस समय तक जब इमरान खान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री थे. इस पद पर रहते हुए उन्हें विदेशी यात्राओं के दौरान तोहफे मिले थे. इसको लेकर विवाद हुआ था.
पाकिस्तान की असेंबली में विपक्ष ने यह मामला रह-रहकर उठाया गया. ऐसे में सवाल है कि कहां से आया तोशाखाना शब्द, क्या है यह विवाद और कैसे तोहफों के लालच ने सलाखों के पीछे पहुंचा दिया?
कहां से आया तोशाखाना शब्द?
तोशाखाना पर्शियन भाषा का शब्द है, जिसका मतलब है ऐसी जगह जिसका इस्तेमाल खजाना रखने के लिए होता है. आम भाषा में कहें तो ट्रीजर हाउस. पाकिस्तान में सरकारी खजाने को तोशाखाना के नाम से जाना जाता है. हालांकि अलग-अलग देशों में इसे अलग-अलग नाम से जाना गया. तोशाखाना का इस्तेमाल देश के प्रमुख को मिलने वाले उपहारों को रखने के लिए भी होता है.
ये भी पढ़ें
दुनिया के ज्यादातर देशों में यह नियम है कि जब वहां के नेता विदेश यात्रा पर जाते हैं तो उन्हें मिलने वाले तोहफों को सरकारी खजाने में जमा करना होता है. यह एक अनिवार्य प्रक्रिया है. इमरान खान के मामले में इसमें धांधली हुई है. उन पर कई आरोप लगे.
इमरान खान पर क्या-क्या आरोप लगे?
2018 में जब इमरान खान प्रधानमंत्री बने तो उन्हें यूरोपीय देश की यात्राओं के दौरान कई महंगे गिफ्ट मिले. उनमें से कई तोहफे ऐसे थे जिसे उन्होंने जमा नहीं कराए. आरोप यह भी लगा कि उन्होंने कई तोहफों को बेच डाला. तोहफों को बेचने के मामले में उनकी पत्नी बुशरा बीबी का नाम भी चर्चा में रहा.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बतौर पीएम, इमरान को तीन साल के कार्यकाल के 58 तोहफे मिले. इनकी कीमत 14 करोड़ रुपए बताई गई. विपक्ष ने रह-रहकर यह मामला उठाया कि इमरान खान ने विदेशी दौरे पर मिलने वाले तोहफों को अधिक दामों पर बाजार में बेच दिया. इमरान की बेगम पर यही काम करने का आरोप लगा.
कैसे चर्चा में आया मामला?
लगातार विपक्ष के आवाज उठाने के बाद नेशनल असेंबली के तत्कालीन अध्यक्ष राजा परवेज ने मामला संज्ञान में लेते हुए पाकिस्तान के चुनाव आयोग से अनुरोध किया कि वो इस मामले में दखल दे. इस दौरान इमरान आरोपों को खारिज करते रहे.
इमरान का तर्क था कि विपक्ष अपने फायदे के लिए मनगढ़ंत आरोप लगा रहा है. उनकी सियासी छवि को नुकसान पहुंचाना चाहता है. इस मामले की सुनवाई और चुनाव में आयोग ने उनकी असेंबली की सदस्यता ही रद कर दी. फिर इमरान की गिरफ्तारी को लेकर मामला पुलिस तक पहुंचा और पाकिस्तान में बवाल हुआ.
यह भी पढ़ें: कैसे बनती है पॉलिटिकल पार्टी, क्या है सुपरस्टार विजय की तैयारी?