भारत में हीट वेव का कहर, बिजनेस से इकोनॉमी तक में कैसे…- भारत संपर्क

0
भारत में हीट वेव का कहर, बिजनेस से इकोनॉमी तक में कैसे…- भारत संपर्क

भारत का वेदर खासकर गर्मियों में देश की इकोनॉमी को काफी प्रभावित करता है. अगर गर्मियां और हीट वेव ज्यादा होती है तो फलों और सब्जियों की फसलों को नुकसान होता है और महंगाई बढ़ती है. पॉवर कंजंप्शन ज्यादा होता है जिससे कोल की खपत बढ़ती है और आम लोगों की पॉवर कंजंप्शन कॉस्ट बढ़ जाती है. बिजनेस के लिहाज से खासकर एयर कंडीशनर की डिमांड में इजाफा होता है. बिजनेस में बढ़ोतरी देखने को मिलती है.

हीट वेव के कारण खराब हुई फसलों की वजह से देश में फूड इंफ्लेशन में इजाफा होता है, जिससे ओवरऑल महंगाई पर असर देखने को मिलता है. जिसकी वजह से आरबीआई को ब्याज दरों में इजाफा करना पड़ता है. हीटवेव के कारण देश की प्रोडक्टीविटी पर भी काफी असर देखने को मिलता है. कई सेक्टर इससे प्रभावित होते हैं. जिसका असर देश की इकोनॉमिक ग्रोथ में देखने को मिलता है.

आइए विस्तार से समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर हीट वेव देश की आम लोगों की जेब के साथ देश की इकोनॉमी पर कैसे असर डालती है? क्योंकि इससे आपकी काफी चीजें जुड़ी हुई हैं. साथ ही ये भी समझने की जरुरत है कि देश जिस इकोनॉमी के घोड़े पर सवार है, उस पर इस हीट वेव की वजह से कैसे लगाम लग सकती है?

ये भी पढ़ें

बिजली पर असर

बिजली मंत्रालय के अनुमान के मुताबिक, इस गर्मी के दौरान देश में अधिकतम डिमांड 260 गीगावॉट तक पहुंच सकती है, जो पिछले साल सितंबर के रिकॉर्ड 243 गीगावॉट से ज्यादा है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बिजली की डिमांड लाइफटाइम हाई होने का अनुमान है. जिसकी वजह से केंद्रीय बिजली मंत्री के अधिकारी रेलवे, कोयला और बिजली कंपनियों जैसे दूसरे मंत्रालयों के साथ देश में अत्यधिक गर्मी की लहर की अनुमानित स्थिति पर समीक्षा बैठकें कर रहे हैं.

भारत आगामी गर्मी के मौसम के दौरान कोयले से उत्पन्न बिजली पर बहुत अधिक निर्भर रहेगा. जबकि रिनुअल एनर्जी की क्षमताओं में भी इजाफा करना जारी रखेगा. अधिकारी पीक डिमांड को पूरा करने के लिए बिजली के प्लांट्स में कोल रिजर्व भी बना रहे हैं. केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) के अनुसार, भारत में लगभग 25 गीगावॉट गैस बेस्ड बिजली उत्पादन क्षमता है. देश में कोयला और लिग्नाइट बेस्ड थर्मल पावर क्षमता लगभग 216 गीगावॉट है और बेस लोड के रूप में कार्य करती है. CEA की फरवरी रिपोर्ट के अनुसार सोलर क्षमता लगभग 76 गीगावॉट है, जबकि विंड एनर्जी 45 गीगावॉट है. इसी तरह, देश में बड़े हाइड्रो (25 मेगावाट से ज्यादा प्लांट) बिजली क्षमता लगभग 47 गीगावॉट है. देश में कुल स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता लगभग 434 गीगावॉट है.

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, पॉवर प्लांट में कोयले का भंडार, जो बिजली उत्पादन का लगभग तीन-चौथाई है, पिछले वर्ष में 38 फीसदी बढ़ गया है और औसतन 18 दिनों तक चल सकता है. फिर भी, इन्वेंट्री अनिवार्य स्तर से नीचे हैं. अत्यधिक गर्मी बिजली उत्पादन पर दबाव डाल सकती है जिससे देश के कुछ हिस्सों में बिजली कटौती हो सकती है. इंडस्ट्रीयल सप्लाई में कटौती से प्रोडक्शन पर असर देखने को मिल सकता है त्. 2022 में, भारत को छह वर्षों से अधिक समय में सबसे खराब बिजली की कमी का सामना करना पड़ा, जिसके कारण कई हिस्सों में घरों के साथ-साथ उद्योग में भी बिजली कटौती हुई.

फूड पर असर

हाई टेंप्रेचर देश में फलों और सब्जियों के उत्पादन को प्रभावित कर सकता है. हीट वेव के कारण फसलें खराब हो सकती हैं, उनकी ग्रोथ में रुकावट पैदा हो सकती है या जल्दी पक सकती हैं जिससे उत्पादन कम हो सकता है और कीमतें बढ़ सकती हैं. हीट वेव से सिंचाई के लिए पानी की मांग बढ़ जाती है, जिससे प्रभावित क्षेत्रों में जल संसाधनों पर दबाव पड़ सकता है.

फसल की पैदावार में कमी, सूखा, कीटों और बीमारियों का बढ़ता दबाव जैसे दुष्प्रभाव देखने को मिल सकते हैं. हीट वेव पशु चारे के उत्पादन को कम करती हैं और साथ ही पशु उत्पादकता को भी कम करती हैं जिससे दूध की कीमतों इजाफा होता है. इसी तरह मुर्गी पालन और मछली पालन भी बढ़ते तापमान से प्रभावित हो रहा है.

समय से पहले आने वाली हीट वेव की वजह से जल्दी पकने वाली सब्जियों की सप्लाई को प्रभावित कर सकती हैं. जिससे कुछ समय के लिए सप्लाई में इजाफा तो कुछ समय के कमी आ सकती है. जिससे फूड इंफ्लेशन में इजाफा होता है. पर्याप्त कोल्ड-चेन इंफ्रा के अभाव में हीट वेव ताजा उपज को नुकसान पहुंचा सकती हैं. पिछले साल दिसंबर में जारी विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में पहले से ही केवल 4 फीसदी ताजा उपज कोल्ड चेन सुविधाओं द्वारा कवर की गई है. जिसकी वजह से एक साल में 13 बिलियन डॉलर का खाद्य सामान खराब हो गया.

यदि हीट वेव खाद्य उत्पादन को नुकसान पहुंचाती हैं तो रूरल डिमांड में सुधार की उम्मीदें खत्म हो जाएंगी. महामारी के खत्म होने के बाद बिजनेस सेक्टर रूरल डिमांड की कमी से जूझ रहा है. कृषि भारत की आबादी के एक महत्वपूर्ण हिस्से को रोजगार देती है, इसलिए कम उत्पादन से खर्च करने की शक्ति कम हो जाती है, जिससे डिमांड में कमी आती है. यह उन एफएमसीजी कंपनियों के लिए एक चुनौती है जो फूड प्रोडक्ट बनाती हैं.

साथ ही उन कंपनियों के लिए भी जिनके प्रोडक्ट की ग्रामीण इलाकों में काफी पहुंच है. ग्रामीण मांग पर कुल मिलाकर नकारात्मक प्रभाव उन कंपनियों की संभावनाओं पर भी पड़ता है जो ट्रैक्टर और दोपहिया वाहन बड़े पैमाने पर ग्रामीण क्षेत्रों में बेचती हैं. पिछले वित्त वर्ष के दोपहिया वाहनों की बिक्री के आंकड़ों से पता चला है कि मांग में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन हीट वेव इस नई डिमांड को पटरी से उतार सकती हैं.

हालांकि, दो साल पहले के विपरीत, अधिकतम तापमान में वृद्धि का कटाई के लिए तैयार गेहूं की फसल पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, भारत मौसम विज्ञान विभाग ने कहा है. गेहूं की फसल पक चुकी है. फसल पकने की स्थिति में अत्यधिक गर्मी से पौधा मुरझा सकता है. 2022 में, भारत में हीट वेव ने गेहूं के उत्पादन को प्रभावित किया, जिसके कारण देश को गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाना पड़ा. लेकिन अन्य फसलें जैसे सब्जियां, दालें और गन्ना अत्यधिक गर्मी की चपेट में रहेंगे. यदि चारे का उत्पादन प्रभावित होता है, तो इससे दूध की कीमतों में वृद्धि हो सकती है.

बिजनेस पर असर

अत्यधिक गर्मी से एयर कंडीशनर और रेफ्रिजरेटर जैसे समर प्रोडक्ट्स की सेल्स में इजाफा होता है. उम्मीदों के विपरीत, एयर कंडीशनर की बिक्री में अपेक्षाकृत धीमी शुरुआत देखी गई है, लेकिन मेकर्स को भरोसा है कि इस साल 11.5 मिलियन यूनिट सेल्स हो सकती है. एसी इंडस्ट्री के टॉप प्लेयसर्स ने कहा कि ज्यादा गर्मी की वजह से सेल्स में इजाफे की संभावना है.

डाइकिन, पैनासोनिक, एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स, ब्लू स्टार, गोदरेज एप्लायंसेज और लॉयड जैसे टॉप मेकर्स को इस साल 25 फीसदी की ग्रोथ की उम्मीद है. साथ ही टियर-III शहरों और छोटे सेटर्स से भी पर्याप्त योगदान मिलेगा, जो बेहतर मार्केट के रूप में उभर रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 5-स्टार इन्वर्टर बिक्री में मेट्रो शहरों और अन्य बड़े बाजारों का अधिक योगदान होगा, जबकि किफायती 3-स्टार एसी सब-अर्बन और रूरल मार्केट पर हावी रहेंगे.

पिछले साल मार्च और अप्रैल में, बेमौसम बारिश के कारण नॉर्थ में एयर-कंडीशनर, रेफ्रिजरेटर, पेय पदार्थ और आइसक्रीम की बिक्री में साल दर साल 26 फीसदी तक की गिरावट आई. कोका-कोला ने जुलाई में अपने ग्लोबल इनकम डिटेल में कहा था कि अप्रैल-जून तिमाही में बेमौसम बारिश के कारण उसका भारतीय कारोबार काफी प्रभावित हुआ. था.

हीट वेव उन कंपनियों के लिए एक बड़ी चिंता होगी जिनका रूरल सेक्टर महत्वपूर्ण कस्टमर बेस है, जिसमें एफएमसीजी, ट्रैक्टर और दोपहिया वाहन कंपनियां शामिल हैं. खाद्य उत्पादन पर गर्मी की लहरों का प्रतिकूल प्रभाव ग्रामीण क्षेत्रों में शुरुआती सुधार को पटरी से उतार देगा, जो महामारी के बाद से कम है.

गर्मियों के मौसम में टेंप्रेरी वर्कफोर्स की डिमांड में इजाफा देखने को मिलेगा. जिसमें प्रोडक्ट मार्केटियर, सर्विस प्रोवाइडर्स और रिटेल की दुकानों में काम करने वाले लोग शामिल है. जिसकी वजह से कूलिंग प्रोडक्ट्स की डिमांड में इजाफा होगा. पिछले साल जब हीट वेव आई थी तो सर्विस टेक्नीशियन की रिक्रूटमेंट में करीब 25 फीसदी का इजाफा देखने को मिला था. स्टोर में वर्कफोर्स की डिमांड 15-20 फीसदी का इजाफा देखने को मिला. सामान्य से अधिक तापमान की आशंका के कारण इस गर्मी के मौसम में आइसक्रीम और डेयरी प्रोडक्ट्स की सेल्स में 15-20 फीसदी का इजाफा देखने को मिल बढ़ने की उम्मीद है.

ब्याज दर पर असर

आरबीआई की एमपीसी ने एक बार फिर से ब्याज दरों में कोई बदलाव ना करने का फैसना लिया है. साथ ही आरबीआई ने महंगाई को कंट्रोल करने पर फोकस किया है. बैंक ऑफ बड़ौदा केमुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने मीडिया रिपोर्ट में कहा है कि महंगाई अभी 5 फीसदी से ज्यादा से ज्यादा है. फूड इंफ्लेशन के मोर्चे पर भविष्य में झटके लगने की संभावना है. जिसकी वजह से आरबीआई ने ब्याज दरों को होल्ड पर रखा है. आने वाले दिनों में यही स्टांस रहने की उम्मीद है.

लेकिन आने वाले महीनों में गर्मी की वजह से खाद्य आपूर्ति को झटका लगने की स्थिति में, महंगाई में इजाफा होगा और साल के अंत में दर में कटौती की संभावना कम हो जाएगी. निर्मल बैंग इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज प्राइवेट लिमिटेड की अर्थशास्त्री टेरेसा जॉन ने ब्लूमबर्ग को बताया, हीट वेव संभावित रूप से डिफ्लेशन प्रोसेस को स्लो कर सकती है और सब्जियों की कीमतें ऊंची रख सकती है.

उन्होंने कहा कि ब्याज दर में कटौती के लिए हमारा बेस जून था, लेकिन अब अगस्त या अक्टूबर में इसकी संभावना अधिक लगती है. एसबीआई का अनुमान है कि आरबीआई वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में ब्याज दर में कटौती का ऐलान कर सकती है.

जीडीपी पर असर

जानकारों की अनुमानों को धता बताते हुए भारत की जीडीपी ने तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में 8.4 फीसदी की मजबूत वृद्धि दर्ज की, जबकि पिछली तिमाही में यह 8.1 फीसदी थी. पहली और दूसरी तिमाही के आंकड़ों को भी संशोधित कर क्रमशः 8.2 फीसदी (7.8 प्रतिशत से) और 8.1 फीसदी (7.6 प्रतिशत से) कर दिया गया. भारतीय स्टेट बैंक की रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2024 की जीडीपी ग्रोथ 8 फीसदी के करीब रह सकती है.

वित्त वर्ष 2025 का आउटलुक भी पॉजिटिव है. एसएंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस ने कहा कि भारत की इकोनॉमी वित्त वर्ष 2025 में 6.8 फीसदी बढ़ेगी, जो पहले अनुमानित 6.5 फीसदी से अधिक है.मॉर्गन स्टेनले ने वित्त वर्ष 2025 के लिए भारत की जीडीपी ग्रोथ का अनुमान पहले के 6.5 फीसदी से बढ़ाकर 6.8 फीसदी कर दिया है.

हालांकि, भले ही हीट वेव भारत की ग्रोथ विकास संभावनाओं के लिए खतरा पैदा न करें, लेकिन वे परेशान करने वाली साबित हो सकती हैं. यदि आप अत्यधिक गर्मी के कारण आर्थिक उत्पादकता के नुकसान को जोड़ते हैं, जब औद्योगिक बिजली की सप्लाई कम हो जाती है और विभिन्न सेक्टर्स में श्रमिक उत्पादकता भी कम हो जाती है, तो इकोनॉमी के कई सेक्टर्स पर दबाव, महंगाई में इजाफे से इकोनॉमिक ग्रोथ में गिरावट आती है. हीट वेव भारत की जीडीपी वृद्धि के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकती हैं. भारत की लगभग 50 फीसदी जीडीपी पहले से ही कृषि, खनन, निर्माण और काफी हद तक मैन्युफैक्चरिंग पर डिपेंड हैं. जिनपर हीट वेव का काफी बुरा देखने को मिल सकता है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

सड़क पर खड़ी ट्रक से बाइक की हुई टक्कर, चालक घायल, ट्रक चालक गाड़ी छोड़ हुआ फरार – भारत संपर्क न्यूज़ …| *प्रियंवदा सिंह जूदेव बनी राज्य महिला आयोग की सदस्य, मुख्यमंत्री विष्णुदेव…- भारत संपर्क| आर्मी बेस वर्कशॉप में बड़ा हादसा, कर्मचारी पर गिरा बोफोर्स तोप का भारी भरकम… – भारत संपर्क| नए कप्तान के ऐलान से पहले ही गैरी कर्स्टन ने छोड़ा पाकिस्तान, बाबर की जगह ल… – भारत संपर्क| सारे दुर्गा उत्सव एक तरफ और बंगाली स्कूल का दुर्गा उत्सव एक…- भारत संपर्क