न्यू टैक्स रिजीम से ओल्ड टैक्स रिजीम में स्विच करना कितना…- भारत संपर्क

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न्यू टैक्स रिजीम से ओल्ड टैक्स रिजीम में स्विच करना कितना…- भारत संपर्क

वित्त वर्ष 2024-25 की शुरुआत हो चुकी है. अब टैक्सपेयर्स आईटीआर भरने की तैयार में लग गए हैं. इंडिया में टैक्सपेयर्स अब दो तरह से इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल कर सकते हैं. टैक्सपेयर्स को ओल्ड टैक्स रिजीम के अलावा नए टैक्स सिस्टम का भी ऑप्शन मिल गया है. ऐसे में टैक्सपेयर्स के बीच एक सवाल उभर रहा है कि अगर नए टैक्स सिस्टम के साथ इनकम टैक्स रिटर्न फाइल किया जाता है तो क्या अगली बार पुराने टैक्स सिस्टम से रिटर्न फाइल कर पाएंगे या नहीं. एक सवाल ये भी कि जिन लोगों ने पिछले साल नए टैक्स रिजीम के तहत आईटीआर फाइल किया है क्या अब वह बदलाव कर सकते हैं. आज इसके बारे में पूरी डिटेल जानकारी यहां मिलेगी.

जिन लोगों की इनकम का सोर्स बिजनेस और प्रोफेशन से अलग है, वे हर साल पुरानी टैक्स व्यवस्था और नई टैक्स व्यवस्था के बीच ऑप्शन बदल सकते हैं. आयकर रिटर्न दाखिल करते समय इस ऑप्शन का इस्तेमाल किया जाना चाहिए और इसे हर साल बदला जा सकता है, बशर्ते इनकम टैक्स रिटर्न तय तारीख के अंदर दाखिल किया जाए.

टैक्स सिस्टम बदलने का सिर्फ 1 मौका

हालांकि, बिजनेस और प्रोफेशन से इनकम करने वाले व्यक्तियों के लिए, पिछले टैक्स रिटर्न में चुना गया टैक्स सिस्टम बाद के सालों पर भी लागू होता है. इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 139 (1) के तहत इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की नियत तारीख पर या उससे पहले निर्धारित Form 10IE में एक एप्लिकेशन जमा करके टैक्स सिस्टम को लाइफटाइम में केवल एक बार बदला जा सकता है. इसे आसान भाषा में बताएं तो जिस टैक्स रिजीम के तहत आप अपना आईटीआर फाइल कर रहे हैं. उसमें भविष्य के सालों में सिर्फ एक बार बदलाव हो सकता है.

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इनके लिए बेस्ट है न्यू टैक्स रिजीम

नया टैक्स सिस्टम सीमित छूट के साथ ज्यादा आसान और सरल टैक्स सिस्टम है. कौन सा टैक्स सिस्टम ज्यादा फायदेमंद है, यह किसी टैक्सपेयर के मामले में मौजूद कटौतियों पर निर्भर करता है. इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C के तहत केवल कटौती के साथ सैलरी से पैसा कमाने वाले टैक्सपेयर्स के लिए न्यू टैक्स सिस्टम ज्यादा फायदेमंद होगी.

ओल्ड टैक्स रिजीम की खासियत

होम लोन या होम रेंट अलाउंस (HRA) पर इंटरेस्ट जैसे एलिजिबल डिडक्शन वाले दूसरे टैक्सपेयर्स के लिए पुराना टैक्स सिस्टम ज्यादा फायदेमंद साबित हो सकती है. इसके अलावा, यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि एम्पलायर को डिक्लेरेशन देने के दौरान कर्मचारियों द्वारा चुना गया टैक्स सिस्टम अंतिम नहीं है और इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते समय इसे बदला जा सकता है.

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