थर्ड अंपायर पर कितना पैसा होता है खर्च? इन टेक्नोलॉजी की ली जाती है मदद – भारत संपर्क

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थर्ड अंपायर पर कितना पैसा होता है खर्च? इन टेक्नोलॉजी की ली जाती है मदद – भारत संपर्क

DRS के जरिए सही फैसले देने के लिए कई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है.
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच मेलबर्न टेस्ट मैच खत्म हो गया है और ऑस्ट्रेलिया ने 184 रन से जीत दर्ज भी कर ली लेकिन ये मुकाबला थर्ड अंपायर के फैसले के कारण विवाद में आ गया है. मैच के आखिरी दिन टीम इंडिया के युवा बल्लेबाज यशस्वी जायसवाल को थर्ड अंपायर ने कैच आउट दिया था, जबकि बल्ले पर गेंद की आवाज बताने वाली टेक्नोलॉजी स्नीकोमीटर में ऐसा कुछ पता नहीं चला था. इस पर भारी विवाद मच गया. अब क्रिकेट में अंपायर के फैसलों पर विवाद कोई नई बात नहीं है लेकिन इन्हें कम से कम करने के लिए कई तरह की टेक्नोलॉजी और मशीनों का इस्तेमाल किया जाता है, जो थर्ड अंपायर (टीवी अंपायर) की मदद करती हैं. मगर इन पर कितना खर्चा आता है, ये हर कोई नहीं जानता. आज आपको इसके बारे में ही बताते हैं.
क्रिकेट में पिछले कई सालों से डिसीजन रिव्यू सिस्टम यानि डीआरएस का इस्तेमाल हो रहा है. इसके जरिए हर टीम को हर पारी में 2 से 3 बार मैदानी अंपायर के फैसलों पर रिव्यू लेने का मौका मिलता है. अगर रिव्यू सही है तो ये बरकरार रहता है और अगर गलत साबित होता है, तो एक मौका खत्म हो जाता है. इसके जरिए आम तौर पर LBW और बैट के एज पर बॉल लगने जैसे फैसलों में बैटिंग और फील्डिंग टीमें थर्ड अंपायर की मदद लेती हैं. थर्ड अंपायर इन फैसलों के लिए अलग-अलग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हैं, जिनकी कीमत लाखों में होती है.
पूरे DRS पैकेज की कीमत करोड़ों में
एक रिपोर्ट के अनुसार, किसी भी मैच के आयोजक के पास विकल्प होता है कि वो DRS के पूरे टूलकिट का पैकेज ले या नहीं. इसमें बॉल ट्रैकिंग, स्नीको, अल्ट्राएज और हॉटस्पॉट जैसी टेक्नोलॉजी शामिल होती हैं. आज के दौर में किसी भी क्रिकेट मैच में सही फैसलों के लिए ये तीन बुनियादी टेक्नोलॉजी हैं. आम तौर पर इसकी कीमत 60 हजार डॉलर से 1 लाख डॉलर प्रतिदिन तक होती है. यानि करीब 51 लाख रुपये से 85 लाख रुपये प्रतिदिन का खर्चा होता है. इस तरह 5 दिन के टेस्ट मैच के लिए करीब 5 लाख डॉलर यानि करी 4.2 करोड़ रुपये तक का खर्चा आता है.
बॉल ट्रैकिंग से हॉट-स्पॉट तक, इतनी है कीमत
हालांकि हर क्रिकेट ब्रॉडकास्टर या बोर्ड इन पूरा DRS पैकेज एक साथ नहीं लेता है. ऐसे में अगर-अगर टेक्नोलॉजी को लगाया जाए तो उनका खर्चा भी अलग-अलग है. जैसे सिर्फ बॉल ट्रैकिंग टेक्नोलॉजी का खर्चा 50 हजार से 60 हजार डॉलर यानि करीब 40 से 50 लाख रुपये प्रतिदिन का खर्चा होता है. इसमें कई कैमरों का इस्तेमाल किया जाता है. अगर बेसिक DRS का इस्तेमाल किया जाता है तो सिर्फ 4 कैमरों के साथ 12 हजार से 15 हजार डॉलर तक खर्च होता है.
इसके साथ ही अल्ट्राएज भी इसका हिस्सा है, जो किसी भी तरह के बैट या पैड पर बॉल के लगने की जानकारी देता है, जिससे कैच और LBW जैसे मामलों में मदद मिलती है. इसके लिए 15 हजार से 25 हजार डॉलर यानि करीब 20 लाख रुपये तक का खर्चा लगता है.
इसके अलावा हॉटस्पॉट टेक्नोलॉजी भी इसका हिस्सा है, जिसका इस्तेमाल बहुत कम होता है क्योंकि ये महंगा होने के साथ ही इसको ज्यादा भरोसेमंद भी नहीं माना जाता है. इसमें इंफ्रारेड कैमरों का इस्तेमाल होता है जो बल्ले या पैड पर गेंद के टकराव को बताता है. इसके लिए एक दिन का खर्च करीब 10 हजार डॉलर यानी करीब 8 लाख रुपये तक आता है.

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