मौसम वैज्ञानिक कैसे बनते हैं, क्या होती है पढ़ाई, कैसे मिलती है IMD में नौकरी?…
12वीं साइंस स्ट्रीम के छात्र मौसम विज्ञान से जुड़े कोर्स कर सकते हैं. Image Credit source: freepik
इस समय उत्तर भारत में भीषण गर्मी पड़ रही है. मानसून आने वाला है. कहां कितना तापमान रहा और आने वाले दिनों में कितना रहेगा? मानसून कब तक किस इलाके में पहुंचेगा? ये सारी जानकारी मौसम वैज्ञानिक देते हैं. आइए जानते हैं कि मौसम वैज्ञानिक कैसे बनते हैं, क्या पढ़ाई करनी पड़ती और कोर्स कौन-कौन से होते है. कोर्स के बाद जाॅब के कहां-कहां मौके होते हैं.
मौसम वैज्ञानिक वायुमंडल का अध्ययन करते हैं. इसको मौसम विज्ञान कहा जाता है. मौसम विज्ञान पूरी तरह मौसम की प्रक्रिया और उसके पूर्वानुमान पर केंद्रित होता है. यह एक ऐसा विषय है, जो हमारे वातावरण को समझने में हमारी मदद करता है. इसी के जरिए मौसम वैज्ञानिक धूप, गर्मी, बारिश और सर्दी के बारे में बताते हैं, तो वायुमंडल और वातावरण के साथ ही धरती पर इनके प्रभाव और नतीजों का अध्ययन भी करते हैं.
कौन बन सकता है मौसम वैज्ञानिक?
मौसम वैज्ञानिक बनने के लिए सबसे जरूरी है कि आपके मन में विज्ञान के प्रति रुचि हो. देश-विदेश में मौसम वैज्ञानिकों की मांग को देखते हुए कॉलेजों और दूसरे शिक्षा संस्थानों में मौसम विज्ञान के खास कोर्स संचालित होते हैं. इनमें दाखिला लेकर यूजी और पीजी की पढ़ाई कर मौसम वैज्ञानिक बन सकते हैं. इसके लिए जरूरी है कि 12वीं में फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ की पढ़ाई की हो. इसके लिए फिजिक्स एवं मैथ में पीजी पहली शर्त है. साइंस मीडियम के छात्र-छात्राएं ही मौसम विज्ञान यानी मीट्रियोलॉजी से जुड़े कोर्सों में एडमिशन ले सकते हैं. अगर साइंस में ग्रेजुएशन यानी बीएससी कर लें तो सीधे मीट्रियोलॉजी में पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई के लिए एडमिशन मिल सकता है.
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क्या होती है पढ़ाई?
मीट्रियोलॉजी के छात्रों को एग्रीकल्चर मीट्रियोलॉजी, फिजिकल मीट्रियोलॉजी, क्लाइमेटोलॉजी, अप्लाइड मीट्रियोलॉजी, डायनेमिक मीट्रियोलॉजी या सिनॉप्टिक मीट्रियोलॉजी में से कोई एक ब्रांच चुनकर अपना करियर बनाना होता है. फिजिकल मीट्रियोलॉजी में सोलर रेडिएशन, पृथ्वी में विलयन और वायुमंडल की व्यवस्था आदि की पढ़ाई होती है. क्लाइमेटोलॉजी में किसी स्थान विशेष की पढ़ाई होती है और इसका वैज्ञानिक किसी क्षेत्र विशेष या खास स्थान की जलवायु का अध्ययन करते है.
सिनॉप्टिक मीट्रियोलॉजी के जरिए किसी क्षेत्र में कम दबाव के क्षेत्र, पानी, हवा, अन्य मौसम तंत्र, चक्रवात और दबाव के स्तर को बताने वाले मैप का अध्ययन होता है. डाइनेमिक मीट्रियोलॉजी में गणित के सूत्रों के जरिए वायुमंडल की प्रक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है. एग्रीकल्चर मीट्रियोलॉजी में वैज्ञानिकों की ओर से फसलों के उत्पादन और उससे होने वाले नुकसान में मौसम के योगदान का आकलन किया जाता है. अप्लाइड मीट्रियोलॉजी में वैज्ञानिक एअरकॉफ्ट डिजाइन, वायु प्रदूषण और नियंत्रण आर्किटेक्चरल डिजाइन, एअर कंडिशनिंग, टूरिज्म डेवलपमेंट और अर्बन प्लानिंग आदि पर रिसर्च करते हैं.
कहां से कर सकते हैं कोर्स ?
आईएमडी के पूर्व एडिश्नल डायरेक्टर जनरल डॉ. आनंद शर्मा बताते हैं कि आज देश में मौसम विज्ञान की पढ़ाई के लिए कई कॉलेज और संस्थान हैं पर इनमें सबसे पुराना संस्थान आंध्र विश्वविद्यालय है. इसके अलावा आईआईटी दिल्ली, आईआईटी खड़गपुर, पश्चिम बंगाल,भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान, पुणे, मणिपुर विश्वविद्यालय, इंफाल, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर, पंजाब विश्वविद्यालय, पटियाला, भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु, सेंट पीटर्स इंजीनियरिंग कॉलेज चेन्नई, आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान अनुसंधान संस्थान उत्तराखंड, कोचीन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कोचीन, सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय और शिवाजी विश्वविद्यालय जैसे अग्रणी संस्थानों से पढ़ाई कर सकते हैं.
कहां-कहां हैं जाॅब के मौके?
मौसम विज्ञान की पढ़ाई के बाद कोई भी रिसर्चर और प्रोफेसर के रूप में काम कर सकता है. इसके अलावा भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD), भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO), रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में नौकरी का अवसर भी मिलता है. रेडियो और दूरदर्शन, सैन्य विभाग, औद्योगिक मौसम अनुसन्धान संस्थाओं, पर्यावरण से जुड़ी एजेंसियों और विश्व मौसम केंद्र में भी अच्छे पैकेज पर जॉब मिल सकती है.
IMD में कैसे मिलती है नौकरी?
डॉ. शर्मा बताते हैं कि IMD में पहले यूपीएससी के जरिए भर्ती होती थी, लेकिन पर अब यह व्यवस्था समाप्त हो गई है. वर्तमान में सीधे पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की ओर से मौसम वैज्ञानिकों के लिए भर्ती निकाली जाती है. फिजिक्स में एमएससी या मैथ में एमएससी होने पर भी इसके लिए अप्लाई कर सकते हैं. अब ज्यादातर हर स्तर पर सीधी भर्ती होती है. इसकी जानकारी IMD की वेबसाइट पर भी मिल जाती है. मौसम विज्ञान पर रिसर्च कर रहे लोगों को IMD में आसानी से जॉब मिल सकती है. आमतौर पर IMD में मौसम वैज्ञानिक के रूप में लगभग एक लाख रुपए वेतन से शुरुआत होती है.