पति ने जीते जी किया वादा पत्नी ने मौत के बाद निभाया, पार्थिव…- भारत संपर्क

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पति ने जीते जी किया वादा पत्नी ने मौत के बाद निभाया, पार्थिव शरीर को पत्नी ने किया दान, मृतक ने जीवनकाल में ही देहदान का लिया था संकल्प

 

कोरबा। पति ने अपने जीवनकाल में ही देहदान करने की घोषणा कर दी थी। उनके पार्थिव शरीर को दान कर पत्नी ने वादा पूरा किया। उसने मुनिंदर धर्मार्थ ट्रस्ट के माध्यम से देह को मेडिकल कॉलेज प्रबंधन को सौंप दिया है। जिसकी मदद से भावी डॉक्टर चिकित्सा की पढ़ाई कर सेवा कर सकेंगे। दरअसल दीपका के चैनपुर बसाहट में सुजान सिंह पुलस्त 60 वर्ष अपनी पत्नि शकुंतला के साथ निवास करते थे। दंपत्ति ने बहसराम को गोद लिया हुआ था, जो उनकी देखरेख करते थे। बहसराम ने बताया कि बीते कुछ दिनों से उनके पिता की तबीयत ठीक नही थी। वे उपचार भी करा रहे थे, लेकिन सेहत में सुधार नही हुई। सुजान सिंह ने रविवार की मध्यरात्रि अंतिम सांसें ली। श्री सिंह रामपाल गुरूजी के शिष्य थे। वे मुनिंदर धर्मार्ध ट्रस्ट कुरूक्षेत्र हरियाणा से भी जुड़े हुए थे। लिहाजा बहसराम ने ट्रस्ट के पदाधिकारी व सदस्यों को उनकी मौत की खबर दी। वे खबर मिलते ही घर जा पहुंचे। ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. केके सहारे से संपर्क साधा। उन्हें देहदान के संबंध में जानकारी दी। इसके लिए डीन में तैयार हो गए। इसके साथ ही पत्नी व बेटा मृतक के पार्थिव शरीर को लेकर झगरहा स्थित मेडिकल कॉलेज पहुंचे। उनके साथ ट्रस्ट के पदाधिकारी व सदस्य भी मौजूद थे। उनकी मौजूदगी में ही प्रबंधन ने देहदान की प्रक्रिया पूरी की। मृतक की पत्नि शकुंतला ने बताया कि उसके पति गुरूजी के शिष्य थे। उनकी प्रेरणा से ही देहदान किया गया है। इसी तरह ट्रस्ट के सदस्य मुढ़ाली निवासी संतोष दास ने कहा कि मालिक ने कहा है कि मानव शरीर मौत के बाद किसी काम का नही है। इसे जला दिया जाए तो राख हो जाएगा और दफना दिया जाए तो खाक हो जाएगा। इससे अच्छा देह का दान कर देना चाहिए। मालिक के कही गई बातों का अनुशरण करते हुए यह दान किया गया है, जो महादान है। सुजान सिंह के पार्थिव शरीर की मदद से भावी डॉक्टर चिकित्सा की पढ़ाई कर सकेंगे। वे डॉक्टर बनकल सैकड़ों हजारो मरीज की सेवा कर सकेंगे। बहरहाल मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने पार्थिव शरीर को वैज्ञानिक पद्धति से सुरक्षित रख लिया है।
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देहदान महादान- डीन डॉ. सहारे
मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. केके सहारे ने कहा कि देहदान महादान है। इसकी मदद से छात्रों को चिकित्सा की पढ़ाई में मदद मिलती है। यदि किसी इंसान की उम्र 50 व स्वस्थ है और किसी कारण वश उसकी मौत हो जाती है, तो उसके शरीर के दान से कई अन्य जिंदगियां बचाई जा सकती है। मृतक के लीवर, हृदय सहित कुछ अन्य अंग का प्रत्यारोपण कर पीडि़त को नया जीवन दिया जा सकता है।

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