पर्यावरण को लेकर ICJ का ऐतिहासिक फैसला, दुनिया भर की सरकारों की बढ़ सकती है चिंता – भारत संपर्क

दुनिया की सबसे बड़ी अदालत ने एक ऐसा ऐलान किया है, जिसके बाद कई देशों की सरकारों की चिंता बढ़ सकती है. इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) ने बुधवार को जलवायु परिवर्तन पर एक ऐतिहासिक सलाहकार राय देते हुए ऐलान किया कि साफ, स्वस्थ और टिकाऊ पर्यावरण का अधिकार एक मौलिक मानवाधिकार है. ICJ के इस फैसले को पूरी दुनिया में पर्यावरण कानून के लिहाज से एक संभावित मोड़ के रूप में देखा जा रहा है.
पूरी दुनिया में लगातार हवा का स्तर गिर रहा है, जिससे नागरिकों कई तरह की बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है. ICJ के अध्यक्ष युजी इवासावा ने अदालत का फैसला सुनाते हुए कहा, “इसलिए स्वच्छ, स्वस्थ और टिकाऊ पर्यावरण का मानव अधिकार अन्य मानवाधिकारों की तरह जरूरी है.”
MULTIMEDIA: Photos and videos of the reading of the #ICJ Advisory Opinion on States Obligations in Respect of Climate Change are available here: pic.twitter.com/wslE8AJ1MT
— CIJ_ICJ (@CIJ_ICJ) July 23, 2025
लोगों का अस्तित्व दांव पर है
यह मामला वानुअतु की ओर से चलाया गया था, जो एक प्रशांत द्वीपीय देश है और बढ़ते समुद्र स्तर से गंभीर रूप से खतरे में है. इस मामले को 130 से ज्यादा देशों का समर्थन प्राप्त था. वानुअतु के अटॉर्नी जनरल अर्नोल्ड कील लॉघमैन ने पिछली सुनवाई के दौरान अदालत को याद दिलाया था, “दांव इससे ज्यादा बड़ा नहीं हो सकता. मेरे लोगों और कई अन्य लोगों का अस्तित्व दांव पर है.”
सिर्फ एडवाइजरी, पालन करना जरूरी नहीं
इस फैसले को एडवाइजरी की तरह पारित किया गया है, किसी देश की सरकार को इसका पालन करना जरूरी नहीं है. लेकिन कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि इससे मुकदमों और नीतिगत बदलावों की झड़ी लग सकती है. 500 पन्नों की यह राय दो प्रमुख प्रश्नों का उत्तर देती है, जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिए अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत राज्यों की कानूनी रूप से क्या बाध्यता है? और कार्रवाई न करने पर उन्हें क्या परिणाम भुगतने होंगे? इस बारे में कुछ साफ नहीं है.
हालांकि इस फैसले के दौरान हेग स्थित न्यायालय खचाखच भरा हुआ था और कार्यकर्ता तख्तियां लिए हुए थे जिन पर लिखा था, “अदालतों ने फैसला सुना दिया है, कानून स्पष्ट है- राज्यों को अभी कार्रवाई करनी चाहिए.”