इकोनॉमी में अगर सब कुछ है अंडर कंट्रोल, फिर क्यों इतना गिर…- भारत संपर्क

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इकोनॉमी में अगर सब कुछ है अंडर कंट्रोल, फिर क्यों इतना गिर…- भारत संपर्क
इकोनॉमी में अगर सब कुछ है अंडर कंट्रोल, फिर क्यों इतना गिर रहा रुपया?

रुपए और डॉलर के बीच क्यों छिड़ी हैं जंग

‘रुपया जितना गिरता है, देश की अर्थव्यवस्था उतनी गिरती जाती है…’, संभव है कि किसी रील में आपने भी ये बात सुनी हो, लेकिन अगर आप देश के मौजूदा आर्थिक हालातों को देखेंगे, तो पाएंगे कि देश के तमाम इकोनॉमिक पैरामीटर्स जैसे कि राजकोषीय घाटे का कम होना, महंगाई का नियंत्रण में आना और पूंजीगत निवेश (कैपिटल एक्सपेंडिचर) का बढ़ना इत्यादि सब अंडर कंट्रोल, इसके बावजूद रुपया अपने ऑल-टाइम निचले स्तर पर है. तो आखिर क्या है इसकी वजह…?

रुपए के सबसे निचले स्तर पर चर्चा करने की एक बड़ी वजह कल भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति का आना है. महंगाई को अभी आगे भी नियंत्रित रखने के लिए उम्मीद है कि केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करेगा, हालांकि रुपए को लेकर उसका क्या रुख रहता है, ये देखना होगा.

आखिर क्यों गिर रहा है रुपया?

कुछ साल पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि रुपया नहीं गिर रहा है, बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा है. अगर इकोनॉमिक टर्म में उनकी बात को समझें तो ये अब भी एकदम सही बात है. रुपया कमजोर होने का मतलब होता कि उसकी वैल्यू सिर्फ डॉलर नहीं बल्कि अन्य सभी ग्लोबल करेंसी की तुलना में घट रही हों, लेकिन ऐसा नहीं है. रुपया सिर्फ डॉलर के आगे कमजोर हो रहा है.

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वहीं अगर डॉलर के मजबूत होने के रुख को देखें, तो डॉलर कई मामलों में मजबूत हुआ है. अब एक डॉलर 0.98 यूरो के बराबर हो चुका है. जबकि आने वाले दिनों में डॉलर इंडेक्स 115 तक जा सकता है. इस तरह डॉलर लगातार मजबूत हो रहा है.

इतना ही नहीं, फेडरल रिजर्व ने आने वाले समय में ब्याज दरों में कटौती के संकेत दिए हैं. इससे भी रुपए के मुकाबले डॉलर और मजबूत को सकता है. ईटी की एक खबर के मुताबिक भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति आने वाले दिनों में फेडरल रिजर्व के रुख पर निर्भर करेंगी, ये भी रुपए की वैल्यू पर असर डालेगी.

रिजर्व बैंक बना रहा फॉरेक्स रिजर्व

अगर रुपए के कमजोर होने की गणित को समझें, तो इसकी एक बड़ी वजह ये भी है कि भारतीय रिजर्व बैंक लगातार अपने फॉरेक्स रिजर्व को बढ़ाने पर जोर दे रहा है. इसलिए वह चाहता है कि डॉलर के मुकाबले रुपया नरम रहे.

एक्सपर्ट्स का कहना है कि कमजोर रुपया देश की इकोनॉमी के लिए ठीक है, लेकिन ये लगातार नहीं टूटना चाहिए. इसकी वजह ये है कि एक निश्चित स्तर से नीचे चले जाने के बाद रुपए को दोबारा मजबूत करना बहुत मुश्किल होगा.

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