किसान आंदोलन का असर: 300 करोड़ के कारोबार का नुकसान, कपड़ा…- भारत संपर्क

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किसान आंदोलन का असर: 300 करोड़ के कारोबार का नुकसान, कपड़ा…- भारत संपर्क
किसान आंदोलन का असर: 300 करोड़ के कारोबार का नुकसान, कपड़ा मार्केट ठप

किसानों के प्रदर्शन का कारोबार पर असर

किसान आंदोलन का असर कारोबार पर भी दिखने लगा है. देश के कारोबारियों की संस्था कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के आंकड़ों के मुताबिक किसानों के प्रदर्शन से कारोबार प्रभावित हो रहा है. किसान आंदोलन से अबतक करीब 300 करोड़ के कारोबार का नुकसान अकेले दिल्ली को झेलना पड़ रहा है. वहीं अंबाला शहर का कपड़ा मार्केट ठप हो चुका है.

दरअसल आस-पास के राज्यों से दिल्ली के लिए खरीदारी करने के लिए प्रतिदिन आमतौर पर लगभग 5 लाख व्यापारी अन्य राज्यों से दिल्ली खरीदारी करने आते हैं. किसान आंदोलन के चलते इन कारोबारियों का दिल्ली आना बंद हो गया है.

महंगाई का बोझ

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कैट के मुताबिक रोड ब्लॉक क्षेत्रों के पास स्थित दुकानों को व्यापार का बहुत बड़ा नुकसान हो रहा है, क्योंकि हाईवे ब्लॉक न केवल ग्राहकों को प्रभावित करता है बल्कि लॉजिस्टिक कार्यों को भी प्रभावित करती है. इस आंदोलन का बोझ अब मंहगाई के रुप में आम जनता पर भी पड़ने वाला है. दरअसल ट्रकों की आवाजाही प्रभावित होने से सप्लाई-डिमांड गैप का खेल शुरु हो जाता है. जिसके चलते रोजमर्रा की चीजें आम लोगों तक आसानी से नहीं पहुंच पाती. अगर ये पहुंचती भी है तो उनके दाम आसमान पर जा चुके होते है. बाजार में पहले ही लहसुन और प्याज जैसी रोज इस्तेमाल होने वाली चीजे महंगी हो चुकी है, अगर आंदोलन नहीं थमा तो आने वाले दिनों में मंहगाई का बोझ और ज्यादा बढ़ सकता है.

अंबाला कपड़ा मार्केट पर असर

दिल्ली, नोएडा, ग्रेटर नोएडा के अलावा इस आंदोलन का असर अंबाला के कपड़ा मार्केट में भी देखा जा रहा है. एमएसपी गारंटी कानून को लेकर अपनी मांग पर अडे किसानों ने अंबाला के शंभू टोल प्लाजा पर भी प्रदर्शन कर रहे हैं. जिसके चलते यहां का कपड़ा मार्केट ठप पड़ गया है. दरअसल कपड़ा मार्केट पहुंचने वाले टोल को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है. लिहाजा आवाजाही पूरी तरह से बंद होने के कारण कारोबारियों को दुकानें बंद करनी पड़ रही है.

क्या है पेंच

किसान एमएसपी गारंटी कानून को लेकर अपनी मांगों पर अड़े है. वही अगर सरकार ये मांगे मान लेती है तो सरकारी खजाने पर 10 लाख करोड़ का बोझ पड़ सकता है. आंकडों के मुताबिक साल 2020 के लिए कुल msp खरीद 2.5 लाख करोड़ रुपए है. जो कुल कृषि उपज का करीब 25 परसेंट के बराबर होता है. अगर ऐसे में सरकार एमएसपी गारंटी कानून लाती है तो इसके सरकारी खजाने पर तगड़ा बोझ पड़ने वाला है. इस पूरे पेंच को समझने के लिए यह भी जरूरी है कि पहले समझा जाए कि सरकार हर फसल पर एमएसपी नहीं देती. सरकार की ओर से 24 फसलों पर भी एमएसपी तय की जाती है.

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