जिस देश में कभी एक महिला देती थी 6 बच्चों को जन्म अब वहां एक के भी पड़े लाले, क्या है… – भारत संपर्क

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जिस देश में कभी एक महिला देती थी 6 बच्चों को जन्म अब वहां एक के भी पड़े लाले, क्या है… – भारत संपर्क
जिस देश में कभी एक महिला देती थी 6 बच्चों को जन्म अब वहां एक के भी पड़े लाले, क्या है वजह?

प्रतिकात्मक Image Credit source: freepik

एशिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश दक्षिण कोरिया दशकों से घटती आबादी से जूझ रहा है. लगातार कम होती आबादी से निपटने के लिए सरकार कई जतन भी कर रही है लेकिन हाथ लग रही है तो बस नाकामी. अब नए आंकड़ों ने तो वहां की सरकार को सकते में ही डाल दिया है. दक्षिण कोरिया के राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक साल 2023 में जन्म दर में 8% की और गिरावट आई है, जो अब जाकर 0.72 पर पहुंच गई है. इसका मतलब यह है कि एक महिला अपने जीवनकाल में औसतन 0.72 बच्चे पैदा करेगी. एक बच्चा पैदा करने के भी लाले पड़े हैं. 2022 में यह 0.78 थी. साउथ कोरिया की आबादी 5.17 करोड़ है लेकिन जन्मों की संख्या 7.7% घटकर यानी 2 लाख 30 हजार हो गई. आबादी के लिहाज से यह गिरावट का सबसे निचला स्तर है.

अगर यही ट्रेंड जारी रहा तो वर्ष 2100 तक कोरिया की जनसंख्या आधा होने का अनुमान है. ऐसा नहीं है कि सिर्फ साउथ कोरिया में ही जन्म दर में गिरावट देखी जा रही है, बल्कि कई विकसित देशों जापान, चीन में भी ऐसी ही स्थिति है. पर दक्षिण कोरिया जैसी स्थिति किसी देश की नहीं है. पहले इस देश में कभी एक महिला 6 बच्चों को जन्म देती थी लेकिन अब के अनुमान है कि ज्यादा गंभीर है. कामकाजी उम्र के लोगों की संख्या आधी हो जाएगी, देश की सैन्य सेवा में भाग लेने के योग्य लोगों की संख्या 58% कम हो जाएगी, और लगभग आधी आबादी 65 वर्ष से अधिक उम्र की होगी. आइए जानते हैं कि साउथ कोरिया में इस गिरावट का क्या असर पड़ेगा और महिलाएं बच्चे पैदा क्यों नहीं करना चाहती?

साउथ कोरिया के सामने हैं ये चुनौतियां

अब जितने बच्चे किसी देश में कम पैदा होंगे उतना ही देश बूढ़ा होता जाता है. बूढ़ों की संख्या बढ़ती है. अगर युवाओं की आबादी घटी तो देश की अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर पड़ेगा. कोई भी देश नहीं चाहेगा युवाओं की आबादी कम हो क्योंकि किसी भी देश को आगे बढ़ाने के लिए युवाओं की जरूरत होती है. साउथ कोरिया के सामने अब सार्वजनिक पेंशन और स्वास्थ्य देखभाल के बढ़ते वित्तीय बोझ की चिंताए मुंह बाए खड़ी है. चिकित्सा सेवाओं से लेकर कल्याण तक, खर्च की मांग बढ़ेगी वहीं युवा लोगों की संख्या घटने की वजह से टैक्स कलेक्शन में कमी आएगी यानी आय में भी गिरावट होगी.

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परिवारों पर भारी दबाव

देश में इस साल अप्रैल महीने में होने वाले चुनाव के लिए भी तैयार है. पार्टियों ने अपने इलेक्शन कैंपन में जनसंख्या में गिरावट पर ध्यान देने का मुद्दा उठाया है. साउथ कोरिया की सरकार इस समस्या से निपटने के लिए लगातार कोशिश भी कर रही है. माता-पिता को हर महीने नकद राशि देने और रियायती आवास योजनाओं जैसी कई कदम उठाए हैं लेकिन नाकामी ही हाथ लग रही है. 2006 के बाद से चाइल्डकैअर सब्सिडी जैसे क्षेत्रों में 360 ट्रिलियन वॉन यानी करीब 22 लाख करोड़ खर्च किए जा चुके हैं.

दक्षिण कोरिया के सेंट्रल बैंक की एक रिपोर्ट कहती है कि देश की घटती प्रजनन दर के पीछे मूल कारणों में रोजगार, आवास और बच्चों की देखभाल से जुड़ी चुनौतियाँ शामिल हैं. लंबे समय तक काम करने की वजह से साउथ कोरिया में युवा जोड़ों के लिए वर्क लाइफ बैलेंस बनाना बहुत मुश्किल होता है. देश में शिक्षा और चाइल्डकैअर की लागत बहुत अधिक है जिसकी वजह से कपल्स बच्चा करने से बचते हैं. जिन युवाओं को अच्छी तनख्वाह वाली नौकरी नहीं मिल पाती उन्हें पार्ट-टाइम नौकरी करनी पड़ती है. इसका सीधा असर परिवार शुरू करने जैसी योजनाओं पर पड़ता है.

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