जिस देश के लोगों को माना जाता है सबसे ज्यादा मेहनती, वहां ऑफिस जाकर भी काम नहीं करना… – भारत संपर्क

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जिस देश के लोगों को माना जाता है सबसे ज्यादा मेहनती, वहां ऑफिस जाकर भी काम नहीं करना… – भारत संपर्क
जिस देश के लोगों को माना जाता है सबसे ज्यादा मेहनती, वहां ऑफिस जाकर भी काम नहीं करना चाहते कर्मचारी

जापान में बढ़ रहा क्वायट क्विटिंग का ट्रेंड

नौकरी में और वर्कप्लेस पर तनाव दुनियाभर में बड़ी संख्या में कर्मचारियों के लिए एक हकीकत की तरह है. इस हकीकत का सामना एक ऐसा देश भी कर रहा है जिसे दुनिया में सबसे ज्यादा बुद्धिमान और मेहनती लोगों का घर कहा जाता है. अपनी मजबूत इकॉनॉमी के लिए वो मशहूर है. हम बात कर रहे हैं जापान की.

गैलप की स्टेट ऑफ़ द ग्लोबल वर्कप्लेस रिपोर्ट के अनुसार जापान में Quiet Quitting का ट्रेंड बढ़ रहा है. यानी वो कर्मचारी सीधे तौर पर तो नौकरी नहीं छोड़ रहे हैं बल्कि उससे ऊब गए हैं. नतीजन एक तिहाई कर्मचारी नई नौकरी की तलाश में है. केवल 6% जापानी कार्यबल कार्यरत है, जो दुनिया में सबसे कम. जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका में 33%, ऑस्ट्रेलिया में 21%, यूनाइटेड किंगडम में 10% और मुख्य भूमि चीन में 19% श्रमिक काम में लगे हुए हैं. हांगकांग में भी ठीक जापान जैसा ही हाल है.

Quiet Quitting क्या है?

इस ट्रेंड को आसान शब्दों में समझें तो इसका मतलब है कि उतना ही काम करना जितने की आपको सैलरी मिलती हो. काम उतना ही हो जिससे कि आपकी नौकरी और निजी जीवन में संतुलन बरकरार रहे. अपनी तरफ से नौकरी में कोई नयापन नहीं लाना. ये ज्यादातर आज के युवा पीढ़ी में देखने को मिल रहा है जो इस मानसिकता का पालन नहीं कर रहे हैं कि काम ही आपका जीवन है. ये इसलिए जापान में ज्यादा बढ़ रहा है क्योंकि जरूरत से ज्यादा काम, नौकरी और निजी जीवन में संतुलन युवापीढ़ी नहीं बैठा पा रहा है.

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बड़े स्तर पर नौकरी से ऊब गए हैं लोग

रिपोर्ट में श्रमिकों को तीन कैटगरी में बांटा गया है. पहले वो जो काम कर रहे हैं, दूसरे वो जो नहीं कर रहे हैं और तीसरे वो जिनका नौकरी से मोह भंग हो चुका है. जो लोग व्यस्त नहीं हैं उन्हें चुपचाप नौकरी छोड़ने वाला माना जाता है. सक्रिय रूप से अलग हुए लोग अपने नियोक्ताओं के की तरफ अच्छे से बर्ताव नहीं करते और अपने सहकर्मियों को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं. जापान में कुल 94% श्रमिक दूसरे और तीसरी कैटेगरी में ही आते हैं.

अंतरराष्ट्रीय रोजगार वकील और जापान एम्प्लॉयमेंट सॉल्यूशंस के अध्यक्ष हीथ हेवी ने कहा कि बॉस अपने कर्मचारियों से इस्तीफा न देने पर जोर दे सकते हैं. वे नौकरी की तलाश में बाधा डालने की धमकी दे सकते हैं, नौकरी छोड़ने वालों पर मुकदमा कर सकते हैं या नई नौकरी नहीं मिल जाने तक इंतजार करने की मांग कर सकते हैं.

आर्थिक नुकसान भी हो रहा है

हीथ हेवी ने ये भी कहा स्थायी कर्मचारियों के पास उनके अधिकार अच्छी तरह से सुरक्षित हैं और वे जानते हैं कि वे अपनी एड़ी-चोटी का जोर लगा सकते हैं, और नियोक्ता उन्हें नौकरी छोड़ने के लिए बड़ी रकम की पेशकश करने के अलावा इसके बारे में कुछ नहीं कर सकते हैं. गैलप के अनुसार, चुपचाप नौकरी छोड़ने वाले और विस्थापित कार्यबल की वजह से लंबी अवधि में महत्वपूर्ण आर्थिक प्रभाव हो सकते हैं. जिसमें पाया गया कि जापानी कंपनियों को 2023 में ¥86 ट्रिलियन ($550 बिलियन) से अधिक का नुकसान हुआ.

नाखुशी से निपटने के तरीके क्या है फिर

गैलप की रिपोर्ट का कहना है कि कई तरीकों से कंपनियां आंतरिक नाखुशी से निपटने में कर्मचारियों की मदद कर सकती हैं. इन तरीकों में कर्मचारियों से बातचीत करना, उनकी परेशानियों को सुनना और उनकी जरूरतों और प्रेरणाओं को बेहतर ढंग से समझने के बारे में सक्रिय होना शामिल है. जैसे-जैसे कर्मचारी विकसित हो रहे हैं, कंपनियों को उनकी ज़रूरतों को भी अच्छी तरह समझना होगा.

अतीत में कार्य शैलियों में टीम की मेहनत पर जोर दिया जाता था, जिसमें आमतौर पर कड़ी मेहनत करने और अच्छा प्रदर्शन करने के लिए बहुत कम प्रोत्साहन होता था. लेकिन अब श्रमिकों का रवैया पहले की तुलना में तेजी से बदल रहा है और इसी तेजी के साथ कंपनियों को भी बदलाव लाने होंगे.

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