ईरान में भारत की तरह कोई भी नहीं लड़ सकता चुनाव, 12 मौलानाओं की मोहर लगने पर ही मिलता… – भारत संपर्क

ईरान में 2022 के हिजाब आंदोलन के बाद पहली बार चुनाव हो रहे हैं. इस चुनाव पर ईरानी लोगों के साथ-साथ पूरी दुनिया की नजर है क्योंकि ईरान की सरकार पर हाल ही के दिनों में मानव अधिकारों के उल्लंघनों के कई आरोप लगे हैं. साल 2022 में देश के कठोर शरिया और महिला कानूनों के खिलाफ उठी आवाजों को ईरान ने तानाशाह तरीके से कुचलने की कोशिश की थी. इस साल दुनियाभर के कई देशों के लिए चुनाव का साल है, ईरान में भी इसी साल चुनाव हो रहे हैं, लेकिन ईरान में लोग अपने नेता का चुनाव और देशों की तरह नहीं करते हैं, न ही यहां कोई भी ईरानी नागरिक चुनाव लड़ सकता है. ईरान में आपको चुनाव में खड़े होने के लिए भी धार्मिक गुरुओं की इजाजत चाहिए होती है.
दरअसल, ईरान में चुनाव तो होते हैं पर उसकी चुनावी प्रक्रिया थोड़ी अलग है. ईरान भारत की तरह ‘रिपब्लिक ऑफ इंडिया'(Republic of India) नहीं बल्की इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान (Islamic Republic of Iran) कहलाया जाता है. इसलिए ईरान के कानून में धर्म का दखल बना रहता है, ईरान के चुनाव में देश की इंटीरियर मिनिस्ट्री और गार्जियन काउंसिल (Velayet-e Faqih) का खास दखल रहता है. किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने से पहले गार्जियन काउंसिल से क्लीयरेंस लेना होता है. गार्जियन काउंसिल जब किसी उम्मीदवार को पास कर देती है तभी वे चुनाव लड़ सकता है.
क्या है गार्जियन काउंसिल?
गार्जियन काउंसिल ईरान के 12 इमामों की एक संस्था है, जिसमें 6 इमाम सीधे तौर पर ईरान के सुप्रीम लीडर द्वारा चुने जाते हैं. यह संस्था सीधे तौर पर ईरान की आर्मी, न्यायपालिका, चुनावों की देखरेख करने और संसद में पास हुए कानूनों को मंजूरी देने या अस्वीकार करने की ताकत रखती है. साथ ही ईरानी अर्थव्यवस्था से जुड़े अहम फाउंडेशनों की देखरेख करती है. ईरान में कौन चुनाव लड़ेगा इसकी मंजूरी भी यहीं 12 इमाम देते हैं.
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अली खामेनेई 1989 से ईरान के सुप्रीम लीडर के पद पर 35 सालों से बने हुए हैं. इस संस्था के 6 इमाम अली खामेनेई खुद चुनते हैं, जबकि बाकी के 6 न्यायपालिका चीफ द्वारा नियुक्त किए जाते हैं. न्यायपालिका चीफ को भी सुप्रीम लीडर ही चुनते हैं, ऐसे में आरोप लगता है कि ईरान के 12 इमामों को अली खामेनेई ही नामित करते हैं. इसी वजह से इस संस्था पर अपनी मनमानी करने के कई आरोप भी लगते रहते हैं.
काउंसिल ने दिए सबसे ज्यादा महिलाओं के नाम
गार्जियन काउंसिल ने इस साल चुनाव आयोग को 15,200 उम्मीदवारों के नामों को भेजा है. ईरान के कानून के मुताबिक, किसी भी उम्मीदवार को पहले अपना नाम गार्जियन काउंसिल को भेजना होता है. यहां से पास होने के बाद नाम चुनाव आयोग के पास जाता है. इस साल काउंसिल की लिस्ट में 1,713 महिला उम्मीदवार शामिल हैं, इससे पिछले 2020 चुनाव में सिर्फ 819 महिलाएं शामिल थीं. ईरान के चुनाव 1 मार्च को होंगे और नई संसद मई के आखिर तक गठन हो जाएगी.