साय सरकार में शासन के आदेश का हो गया है टांय-टांय….शासन के…- भारत संपर्क
साय सरकार में शासन के आदेश का हो गया है टांय-टांय….शासन के आदेश की नाफरमानी, एकतरफा भारमुक्त, फिर भी फाइलों में हो रही है साइन, उप संचालक पंचायत जुली तिर्की ने अभी तक नहीं सौंपा प्रभार
कोरबा। छत्तीसगढ़ शासन के आदेश की नाफरमानी का मामला सामने आया है। जिले में 5 साल से पदस्थ कार्यालय उप संचालक पंचायत जुली तिर्की को एकतरफा भारमुक्त कर दिया गया है। एकतरफा भारमुक्त का आदेश 20 जनवरी 2025 को के०पी० नेताम अवर सचिव छत्तीसगढ़ शासन पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा जारी करने के बाद भी उप संचालक पंचायत जुली तिर्की पद पर जमी हुईं हैं, यहां तक कि सुश्री तिर्की बकायदा विभागीय फाइलों में साइन भी कर रही हैं। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि सुश्री तिर्की किस अधिकार से कोरबा जिला में रह कर फाईलों पर हस्ताक्षर कर रही हैं। जिला प्रशासन भी इस मामले में शासन के आदेश का पालन कराने में गंभीरता नहीं दिखा रहा है।उप संचालक पंचायत जुली तिर्की का कार्यकाल विवादों में रहा है। उनके खिलाफ पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर भी शिकायत कर चुके हैं। पूर्व में जब सुश्री तिर्की का तबादला आदेश जारी किया गया था तो नियमों का हवाला देते हुए उन्हें भारमुक्त नहीं किया गया। अब एकतरफा भारमुक्त आदेश के बाद भी कोरबा में जमे रहकर शासन के आदेशों की धज्जियां उड़ाई जा रही है। जबकि एकतरफा भारमुक्त आदेश जारी हुए एक माह से भी अधिक समय गुजर चुका है। 20 जनवरी 2025 को छत्तीसगढ़ शासन पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग,के०पी० नेताम अवर सचिव छत्तीसगढ़ शासन पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि दिनांक 24.10.2024 द्वारा निम्नलिखित अधिकारियों/कर्मचारियों को उनके नाम के सम्मुख नवीन पदस्थापना किया गया है। राज्य शासन एतद्वारा सामान्य प्रशासन विभाग के परिपत्र क्रमांक एफ 1-01 /2024/एक/6 दिनांक 25.11.2024 के परिपालन में उक्त अधिकारियों / कर्मचारियों को नवीन पदस्थापना स्थान में कार्यभार ग्रहण किये जाने हेतु तत्काल प्रभाव से एकपक्षीय रूप से भारमुक्त किया जाता है। ज्ञात रहे कि सुश्री तिर्की का तबादला कार्यालय, उप संचालक, पंचायत, जिला सारंगढ़-बिलाईगढ़ किया गया है। जबकि साय सरकार में सांय-सांय होने वाले काम,अब तो दूर की बात हो गई है। क्योंकि उनके ही सरकार के आदेश को कोरबा जिले में उनके ही अधिकारी मान नहीं रहे हैं। इसलिए अब ऐसा लगता है कि साय सरकार में बैठे अधिकारियों का आदेश अब सांय-सांय होने की जगह टांय-टांय होने लगा है। वहीं शासन के आदेश का पालन नहीं करने वाले अधिकारियों के लिए सरकार को जवाबदेही तय करनी चाहिए।