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शाम होते ही शहरी क्षेत्र के स्लम एरिया में छा जाता है धुआं, झुग्गी बस्तियों में जल रही सिगड़ी परेशानी की वजह

कोरबा। पूर्व कलेक्टर ने स्मोकलेस कोरबा का सपना देखा था। उनके कार्यकाल में बकायदा लोगों को सिगड़ी नहीं जलाने की हिदायत के साथ जागरूक किया गया। अब हालत यह है कि शाम होते ही पूरे क्षेत्र में सिगड़ी का धुंआ फैल रहा है।सिगड़ी कोयला की उपयोगिता सबसे अधिक रेलवे लाइन से लगे आसपास की बस्तियों में सबसे अधिक हो रहा है। इसमें शहरी क्षेत्र के सीतामणी, इमलीडुग्गू, मोतीसागरपारा, पुरानी बस्ती, रामसागरपारा, राताखार, तुलसीनगर, मुड़ापार, कुआंभ_ा, पंपहाउस, मानिकपुर, पोड़ीबहार, सर्वमंगला नगर, शांतिनगर, फोकटपारा, रिस्दी सहित अन्य क्षेत्रों में सबसे अधिक कोयला सिगड़ी का उपयोग हो रहा है। उपनगरीय क्षेत्रों के झुग्गी व झोपड़ी इलाकों में भी यही स्थिति है। ठेलों व टपरों में भी कोयले का उपयोग होता है। जिले के कुछ बस्तियों और ठेले टपरी में सिगड़ी के उपयोग की वजह से पूरे शहर के लोग परेशान हो रहे हैं। धुआं हवा में घुलकर मुय मार्ग सहित अन्य क्षेत्रों तक पहुंच रही है। यह लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल रहा है। इससे खांसी, दमा सहित अन्य श्वांस संबंधी समस्या से परेशानी के मरीज अस्पतालों में बढ़ रहे हैं। जिले में मौसम का मिजाज बदल रहा है। कुछ दिनों पहले बदली, हल्की बूंदाबांदी और सर्द हवा चली। इस कारण तापमान में भारी गिरावट दर्ज की गई है। मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में मौसम में बदलाव के साथ तापमान में गिरावट का अनुमान लगाया है। इस ठंड से राहत पाने के लिए झुग्गी-बस्ती, ठेले व गुमटियों में कोयला सिगड़ी जलाना शुरू कर दिए हैं। महिलाएं खाना बनाने के लिए सिगड़ी का उपयोग कर रहीं हैं। मुख्य मार्गों पर दृश्यता कम रह रही है। लोगों को सामने कुछ मीटर की दूरी तक साफ नजर नहीं आता। इससे चालको को वाहन में काफी परेशानी हो रही है। इससे दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। बावजूद इसके जिला प्रशासन की ओर से जिले में घरेलू उपयोग के लिए कोयला की उपयोगिता को कम करने पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। हालांकि जिला प्रशासन ने पहले भी शहर को धुंआ रहित बनाने के लिए कई प्रसाय किए हैं, लेकिन अधिकांश प्रयास विफल साबित हुए हैं।
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250 रुपए बोरी तक खरीदी
लोगों को कोयला आसानी से 100 रुपए से लेकर 250 रुपए बोरी में मिल जाती है। इस कारण झुग्गी-झोपड़ी व श्रमिक बाहुल्य क्षेत्रों में सुबह व शाम होते ही खाना पकाने के लिए कोयला-सिगड़ी सुलगाते हैं। इस सुलगते सिगड़ी से निकलने वाली धुंआ हवा में घुल रही है। इसका असर लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। सबसे अधिक परेशानी बच्चे, महिला, बुजुर्ग व अस्वस्थ्य लोगों को हो रही है, लेकिन प्रशासन इसे लेकर गंभीर नहीं है।

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