पाकिस्तान के गले की फांस बनता जा रहा है विदेशों का कर्ज, चुकाने के लिए IMF के आगे… – भारत संपर्क


इंटरनेशनल मोनेटरी फंडImage Credit source: AP
कर्ज के बोझ तले दब चुके पाकिस्तान ने एक बार फिर से अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के सामने हाथ फैलाया है. चर्चा है कि पाकिस्तान अपने पुराने विदेशी कर्जों को चुकाने के लिए आईएमएफ से कम से कम 6 अरब डॉलर का नया लोन लेने की योजना बना रहा है. लोन को हासिल करने के लिए पाकिस्तान ने आईएमएफ की ओर से रखे गए शर्तों को भी मान लिया है. आईएमएफ की शर्तों में बिजली दर को बढ़ाने की भी बात है.
पाकिस्तान ने ऊर्जा क्षेत्र में स्थिति को बनाए रखने के लिए आईएमएफ के मानकों को पूरा किया है – जिसकी वजह से 1.2 अरब अमेरिकी डॉलर की अगली किश्त उनको हासिल करने में मदद मिल सकती है. आईएमएफ का समीक्षा मिशन इस महीने के अंत तक या अगले महीने की शुरुआत में इस्लामाबाद का दौरा कर सकता है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल दिसंबर के अंत तक सर्कुलर डेब्ट के प्रवाह को पाकिस्तानी रुपए 385 बिलियन तक सीमित करने की शर्त के खिलाफ, पाकिस्तानी रुपये 378 बिलियन बढ़ी थी, जो आईएमएफ की आवश्यकता से थोड़ी बेहतर थी. रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान ने आईएमएफ से कहा है कि वो इस वित्तीय वर्ष के अंत तक सर्कुलर कर्ज को जून 2023 के 2.31 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपए के स्तर पर सीमित कर देगा.
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IMF पाकिस्तान की सरकार के साथ काम करने को उत्सुक
हाल ही में, आईएमएफ के एक अधिकारी ने कहा कि वो इस्लामाबाद में नई सरकार के साथ काम करने के लिए उत्सुक हैं. जबकि वहीं जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने IMF से मांग की थी की देश को कोई भी नया लोन दने से पहले ऑडिट किया जाए जिस पर IMF ने फिलहाल चुप्पी साध रखी है.
इमरान खान ने क्या कहा-
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान जो कि इस समय जेल में हैं, उन्होनें IMF को पत्र लिखकर कहा कि पहले चुनाव परिणाम का ऑडिट कराया जाए उसके बाद ही देश को लोन देने की कोई बात की जाए. मगर, आईएमएफ ने उनकी मांग को नजरअंदाज कर दिया है और नई सरकार के साथ काम करने की इच्छा जताई है.
कब तक मिलेगी किश्त
IMF पहले ही कर्ज की दो किश्तें पाकिस्तान को दे चुका है और 1.2 अमेरिकी डॉलर की अंतिम किश्त मार्च के अंत या अप्रैल की शुरुआत तक मिलने की उम्मीद है. बता दें कि पाकिस्तान में हाल ही में आम चुनाव हुए थे, जिसमें किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत हासिल नहीं हुआ. किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिलने की वजह से अभी तक नई सरकार का गठन नहीं हो सका है. गठबंधन की सरकार बनाने के लिए राजनीतिक पार्टियों के बीच में बातचीत चल रही है, लेकिन सरकार बनाने को लेकर अभी तक दावा पेश नहीं कर पाई हैं.