मालेगांव बम ब्लास्ट कांड के आरोपों से बरी होने के बाद…- भारत संपर्क

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मालेगांव बम ब्लास्ट कांड के आरोपों से बरी होने के बाद…- भारत संपर्क






बिलासपुर। पूर्ववर्ती तत्कालीन कांगेस नीत UPA सरकार के इशारे पर सनातन हिन्दु धर्म को बदनाम करने और कुटरचना करके “हिन्दू आतंकवाद” का नैरेटिव स्थापित करने के लिए मेजर रमेश चन्द्र उपाध्याय, साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और कर्नल पुरोहित जैसे देशभक्त सेवा व्रती कार्यकर्ताओं को फंसाया गया था जिससे यह सिध्द किया जा सके कि देश में भगवा आतंकवाद काम कर रहा है। यह बातें सोमवार को बिलासपुर प्रेस क्लब में पत्रकारों से चर्चा करते हुए शाश्वत हिन्दू जागृति संस्थान के राष्ट्रीय स्व संयोजक मेजर रमेश चंद्र उपाध्याय ने कही।

मालेगांव बम ब्लास्ट मामले में कोर्ट से बरी होने के बाद अपनी बातें रखने के लिए मेजर देश के अलग अलग हिस्सों में पहुंच रहे हैं। इसी कड़ी में बिलासपुर भी आए और संगोष्ठी में शामिल हुए। इससे पहले उन्होंने पत्रकारों से चर्चा करते हुए खुद के ऊपर हुए अत्याचार की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बर्बरतापूर्ण कृत्य को सिद्ध करने के लिए निरंतर दस सालों तक उन्हें अकल्पनीय प्रताड़ना केवल इसलिए दी गई कि हिन्दू जन-मानस के हित में उनकी संस्था कार्य कर रही है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के नेताओं का नाम ब्लास्ट मामले में शामिल करने का दबाव बनाया जाता रहा। ताकि वे लोग अपनी राजनैतिक महत्वाकांक्षा पूर्ण कर सके और अपने तथाकयित एक विशेष धर्म के वोटबैंक को संगठित किया जा सके। वे चाहते थे कि किसी भी तरह से सारे झूठे आरोपों में शामिल होने की बात स्वीकार कर लें इसके लिए तरह-तरह की यातनयें भी दी गई। हडडियां तोड दी गयी, जलते हुये सिगरेट से शरीर को दागा गया, करेंट के झटके तक दिए गए और तो और सतत मानसिक प्रताड़ना के बाद भी जब वे (मेजर रमेश चन्द्र उपाध्याय) और अन्य साथी नहीं टूटे तो इन्हें बिना किसी सुनवाई के सालों जेलों में रखकर मानसिक यातनायं दी गई। अंततः वो समय आया और सांच को आंच कहां वाली कहावत चरितार्थ हुई। ‘और अंततोगत्वा 17 वर्षों की पीडा और झंझावातों को झेलते हुए इस वर्ष उनके साथ न्याय हुआ। और स्पेशल कोर्ट ने तीनों मुख्य आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बाइज्जत बरी कर दिया।
पत्रकार वार्ता के दौरान प्रदेश महामंत्री संजय सिंह राजपूत,प्रदेश संयोजक अनुपम उपाध्याय,प्रदेश महासचिव सुनीता दीक्षित के अलावा संगठन के अन्य लोग मौजूद रहे।



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