श्री पीतांबरा पीठ त्रिदेव मंदिर में चार पहर के शिव पूजन के…- भारत संपर्क

महाशिवरात्रि पर पूजा अर्चना कर शिव को अर्पित रुद्राक्ष का वितरण श्रद्धालुओं में किया गया। श्री पीतांबरा पीठ सरकंडा में इस अवसर पर बड़ी संख्या में शिव भक्त उपस्थित हुए।

कहा जाता है कि महादेव के अश्रु से रुद्राक्ष की उत्पत्ति हुई है, यही कारण है कि रुद्राक्ष में चमत्कारी गुण है। रुद्राक्ष धारण करने मात्र से ही जातक को शारीरिक, आध्यात्मिक और सांसारिक फल की प्राप्ति होती है। बिलासपुर के सरकंडा सुभाष चौक स्थित श्री पीतांबरा पीठ त्रिदेव मंदिर में स्थापित 108 किलो वजनी श्री पारद शिवलिंग का रुद्राभिषेक और महाशिवरात्रि महोत्सव का आयोजन किया गया, यहां चारों पहर विधि विधान के साथ पूजा अर्चना की गई। मंदिर के आचार्य डॉक्टर दिनेश चंद्र महाराज ने बताया कि उनके गुरुदेव शारदानंद सरस्वती 1100 रुद्राक्ष धारण कर शिव आराधना करते थे। उनके उस दिव्य स्वरुप को शिव स्वरूप बताते हुए अपने गुरुदेव से प्रेरणा पाकर देव आदेश से पारद शिवलिंग का नामकरण शारदेश्वर पारदेश्वर महादेव रखा। महाशिवरात्रि पर शिवलिंग की 1100 रुद्राक्ष धारण करा कर रुद्राभिषेक किया गया। साथ ही वेद मंत्रो से इन रुद्राक्ष को अभिमंत्रित किया गया, जिससे वे चमत्कारी बन गए। शनिवार को इन्हीं रुद्राक्ष को श्रद्धालुओं और जातकों के बीच वितरित किया गया।

इस अवसर पर उपस्थित अखिल भारतीय संत समिति धर्म समाज राष्ट्रीय प्रमुख श्री सुभेष शरमन जी महाराज ने रुद्राक्ष की महिमा बताते हुए कहा कि रुद्राक्ष असाध्य रोगों को शांत करता है। नियमित रूप से रुद्राक्ष धारण करने से सभी कार्यों में सफलता मिलती है तो वही सांसारिक और आध्यात्मिक चेतना का विकास होता है। रुद्राक्ष अभिमंत्रित जल औषधिय प्रभाव उत्पन्न करती है।

त्रिदेव देव मंदिर में महाशिवरात्रि पर चार पहर की पूजा की गई। संध्या प्रदोष काल से शुरू होकर यह पूजा अगले दिन ब्रह्म मुहूर्त तक चली। इस पूजा अर्चना में सुभेष जी महाराज, आचार्य दिनेश चंद्र जी, नीतीश सलूजा, दीपक खंडेलवाल यजमान के रूप में उपस्थित रहे। इधर शनिवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालु रुद्राक्ष ग्रहण करने पहुंचे, जिनके बीच 1100 रुद्राक्ष का वितरण किया गया।