प्रतिमाओं के अवशेष से बदरंग हुआ छठ घाट, विसर्जन के बाद यहां-…- भारत संपर्क


विसर्जन के बाद बिलासपुर छठ घाट बदहाल स्थिति में दिखाई पड़ रहा है। बिलासपुर में सभी धार्मिक आयोजनो के बाद पचरी घाट और तोरवा स्थित छठ घाट में प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाता है। वर्तमान में छठ घाट अधिक सुविधाजनक होने से यहां सर्वाधिक प्रतिमाओं का विसर्जन किया जा रहा है।

इस बार भी गणेश चतुर्दशी के बाद से ही यहां प्रतिमाओं के विसर्जन का क्रम आरंभ हो गया था। अनंत चतुर्दशी पर छोटे -बड़े सैकड़ो प्रतिमाओं का विसर्जन घाट पर किया गया, लेकिन अब विसर्जन की बाद पूरे घाट में प्रतिभाओं के अवशेष बिखरे पड़े हैं।

जगह-जगह प्रतिमाओं के निर्माण में प्रयुक्त लकड़ी के बत्ते, पैरा, मिट्टी आदि बिखरे पड़े हैं। अरपा नदी से निकालकर इन्हें घाट और यहां मौजूद मैदान में फेंक दिया गया है। मवेशी इन्हें फैलाने का काम कर रहे हैं।
वहीं नदी में अब भी बड़ी संख्या में प्रतिमाओं के अवशेष मौजूद है। साथ ही विसर्जन के दौरान फेंके गए पूजन सामग्री आदि भी नदी को गंदा कर रही है।
अवशेषों को हटाने का काम नहीं हुआ आरंभ

प्रतिमा विसर्जन के करीब एक सप्ताह बाद भी तोरवा छठ घाट से अवशेषों को हटाने का काम आरंभ नहीं किया गया है। खानापूर्ति के लिहाज से कुछ प्रतिमाओं को नदी से निकाल कर घाट पर ही छोड़ दिया गया है, जिससे यहां गंदगी फैल रही है। छठ घाट में हर दिन सुबह- शाम बड़ी संख्या में लोग सैर सपाटे और टहलने के लिए आते हैं। वहीं आसपास के बच्चों के लिए यह खेल का मैदान भी है। बहुत सारे लोग धार्मिक अनुष्ठान के लिए तो कुछ घूमने और फोटोग्राफी के लिए भी यहां पहुंचते हैं, जिनका सामना इन दिनों प्रतिमाओं के अवशेषों से फैली गंदगी से हो रहा है।

यह गंदगी धीरे-धीरे पूरे घाट में फैल रही है। नियमानुसार इन्हें नदी से निकालकर कहीं और ले जाया जाना चाहिए था, लेकिन इस काम में लापरवाही बरती जा रही है, जिसके कारण फिलहाल छठ घाट बदरंग बना हुआ है।

छठ घाट घूमने आए लोगों ने कहा कि यह अवशेष जल्द ही हटा दिये जाने चाहिए ताकि घाट सुंदर और स्वच्छ रहे, जिससे कि यहां आने वालों और खेलने वाले बच्चों को कोई परेशानी ना हो।
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अब भी जारी है विसर्जन का क्रम

लोग नगर निगम सफाई कर्मियों को दोषी ठहरा रहे हैं जिन्होंने विसर्जन के बाद प्रतिमाओं के अवशेष को हटाने का काम अब तक पूरा नहीं किया है। लोगों का कहना है कि विसर्जन के एक सप्ताह बाद का समय बहुत होता है। इतने समय में नदी की सफाई हो जानी चाहिए थी लेकिन इस पूरे मामले का दूसरा पहलू भी है। कुछ लोगों ने सनातन को मजाक बना डाला है। जहां हर सभी कार्य शुभ मुहूर्त में करने की परंपरा है वहां कुछ लोगों ने ईश्वर से डरना बंद कर दिया है। उनके लिए गणेश जी शायद मजाक है। तभी तो अनंत चतुर्दशी के करीब एक सप्ताह बाद भी विसर्जन का क्रम जारी है । छठ घाट में अभी भी गणेश विसर्जन समाप्त नहीं हुआ। नियम अनुसार ग्रहण और पितर पक्ष में प्रतिमाओं के विसर्जन का विधान नहीं है लेकिन इस वर्ष ग्रहण के दिन भी यहां विसर्जन हुआ और अब भी पितर पक्ष में विसर्जन किया जा रहा है।

भगवान गणेश की पूजा अर्चना 10 दिनों तक की जाती है लेकिन यहां तो जिसकी जो मर्जी वह वैसा ही कर रहा है। यानी कुछ लोगों ने पूरे पखवाड़े तक प्रतिमाओं को पंडाल में बिठा रखा जाहिर इस दौरान उनकी पूजा अर्चना नहीं हुई होगी। इस तरह से सनातन परंपराओं का मजाक बनाया जा रहा है। वही ऐसे ही लोगों की वजह से अरपा नदी की भी सफाई नहीं हो पा रही, क्योंकि निगम के कर्मचारी भी इस बात को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नहीं है कि गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन का क्रम समाप्त हो चुका है।

यहां रोजाना कोई ना कोई प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए अब भी पहुंच रहा है। शायद यही कारण है कि निगम के कर्मचारी घाट की सफाई को लेकर गंभीरता नहीं बरत रहे, क्योंकि उन्हें भी पता है कि नदी की सफाई के बाद भी उसमें प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाएगा और उन्हें दोबारा नदी की सफाई करनी होगी। शायद इसी वजह से वे प्रतीक्षा कर रहे हैं लेकिन जानकारों का मानना है कि वर्तमान में मौजूद प्रतिमाओं के अवशेष को नदी से निकाल कर घाट पर फैलाने की बजाय उन्हें नष्ट करने कहीं और ले जाना उचित होगा, ताकि घाट की सुंदरता और स्वच्छता बनी रहे।

इसके बाद दुर्गा प्रतिमाओं का भी विसर्जन होना है ।अगर यह प्रतीक्षा उतनी लंबी हुई तो फिर तो छठ घाट तब तक यूं ही बदरंग बना रहेगा।