निमिषा प्रिया को फांसी से बचाने के लिए आगे आए मुस्लिम धर्मगुरु, यमन में बंद कमरे में… – भारत संपर्क

यमन में भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की फांसी की तारीख 16 जून तय है. निमिषा प्रिया को बचाए जाने की सारी कोशिशें नाकाम होती दिख रही हैं. सोमवार को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि निमिषा की फांसी रोकने के लिए सरकार के पास कोई और विकल्प नहीं बचा है. हालांकि भारत के ग्रांड मुफ्ती कंठपुरम एपी अबूबकर मुसलियार के हस्तक्षेप के बाद निमिषा के बचने के एक उम्मीद जगी है.
ग्रांड मुफ्ती के अनुरोध पर यमन में विचार-विमर्श चल रहा है. जिसका नेतृत्व यमन के प्रसिद्ध सूफी विद्वान शेख हबीब उमर कर रहे हैं. शेख हबीब के प्रतिनिधि हबीब अब्दुर्रहमान अली मशहूर ने उत्तरी यमन में एक इमरजेंसी मीटिंग बुलाई, जिसमें उन्होंने यमनी सरकार के प्रतिनिधि, आपराधिक न्यायालय के सर्वोच्च न्यायाधीश, तलाल के भाई और आदिवासी नेताओं से मुलाकात की है. हालांकि इस बैठक में क्या बात हुई अभी इस बारे में जानकारी नहीं है, लेकिन ग्रांड मुफ्ती के हस्तक्षेप के बाद निमिषा के बचने की उम्मीद फिर से जगी है.
यमन में एक बड़ा संकट
इस बीच केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि यमन में एक बड़ा संकट है, जिसमें वहां भारतीय एंबेसी का न होना भी शामिल है, साथ ही कहा कि सरकार के पास इस मामले में हस्तक्षेप करने की सीमित क्षमता है. सरकार मृत्युदंड से बचने की पूरी कोशिश कर रही है. केंद्र सरकार ने अभियोजक को एक पत्र भेजा था और शेख के जरिए से बातचीत करने की कोशिश की थी.
केंद्र सरकार ने यह भी कहा कि जब तक मृतक का परिवार दया दान (Blood Money) स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं होता, तब तक अन्य बातचीत का कोई मतलब नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस मामले पर स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है.
क्यों दी जा रही है निमिषा प्रिया को फांसी?
पलक्कड़ जिले के कोल्लेंगोडे की रहने वाली निमिषा प्रिया 2008 में रोजगार के लिए यमन गई थी. 2020 में यमन के एक शख्स की हत्या के लिए उसे दोषी ठहराया गया था. यह शख्स निमिषा का बिजनेस पार्टनर था. यह घटना जुलाई 2017 में घटी थी. पिछले साल नवंबर में यमन की सर्वोच्च न्यायिक परिषद ने उसकी अपील खारिज कर दी थी और देश के सरकारी अभियोजक ने अब आदेश दिया है कि उसे मंगलवार 16 जुलाई को को फांसी दे दी जाए.