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युक्तियुक्तकरण को लेकर को लेकर सर्व शैक्षिक संगठनों में विरोध, शिक्षक संघों के नेतृत्व में सरकार को घेरने की तैयारी शुरू

कोरबा। युक्तियुक्तकरण को लेकर शिक्षक संघों के नेतृत्व में सरकार को घेरने की तैयारी शुरू हो गई है। संघों के प्रमुखों का कहना है कि स्कूलों में लागू सेटअप के अनुसार समायोजन किया जाना चाहिए। क्योंकि यही नियम और विधान है। प्रायमरी स्कूलों में 60 की दर्ज संख्या में प्रधान पाठक सहित दो शिक्षक जबकि कक्षाएं 5 होती हैं। मीडिल स्कूल में 105 की दर्ज संख्या पर प्रधानपाठक सहित 4 शिक्षक जबकि यहां विषय आधारित शिक्षण होता है, जिसमें 6 विषय होते हैं। हाईस्कूल व हायर सेकेंडरी में भी विषय आधारित शिक्षक होते हैं। कम दर्ज वाले स्कूलों का एवं एक ही परिसर में लगने वाली स्कूलों का समायोजन से प्रधानपाठ भी बड़ी संख्या में अतिशेष हो जाएंगे। यह प्रदेश के इतिहास में पहला मौका होगा जब प्रधान पाठक को अतिशेष बनाया जा रहा है। इसे लेकर सर्व शैक्षिक संगठन एक होकर विरोध शुरू कर दिए हैं। जिला स्तर पर छत्तीसगढ़ प्रदेश संयुक्त शिक्षक संघ, छत्तीसगढ़ शिक्षक संघ, छत्तीसगढ़ सर्व शिक्षक संघ, छत्तीसगढ़ राज्य कर्मचारी संघ, छत्तीसगढ़ तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ, छत्तीसगढ़ अपाक्स संघ, छत्तीसगढ़ अजाक्स संघ, छत्तीसगढ़ शिक्षक फेडरेशन समेत अन्य संगठन शामिल हुए। छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के संयोजक कमल वर्मा ने कहा है कि प्रायमरी, मिडिल, हाई व हायर सेकेंडरी स्कूलों के छात्र-छात्राओं को सभी विषयों की शिक्षा के लिए प्रशिक्षित शिक्षक उपलब्ध कराया जाना जरुरी है। इसके विपरीत प्रदेश सरकार द्वारा युक्तियुक्तकरण नीति में विषय कक्षाओं की संख्या को ध्यान में रखने के बजाय दर्ज संख्या को आधार बना रही है, जो युक्तिसंगत व व्यवहारिक नहीं है। सेटअप में परिवर्तन दोषपूर्ण है। इससे शिक्षा में प्रगति न होकर अध्ययन-अध्यापन व्यवस्था बिगड़ जाएगा। जिला स्तर पर छत्तीसगढ़ प्रदेश संयुक्त शिक्षक संघ, छत्तीसगढ़ शिक्षक संघ, छत्तीसगढ़ सर्व शिक्षक संघ, छत्तीसगढ़ राज्य कर्मचारी संघ, छत्तीसगढ़ तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ, छत्तीसगढ़ अपाक्स संघ, छत्तीसगढ़ अजाक्स संघ, छत्तीसगढ़ शिक्षक फेडरेशन समेत अन्य संगठन शामिल हुए। छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के संयोजक कमल वर्मा ने कहा है कि प्रायमरी, मिडिल, हाई व हायर सेकेंडरी स्कूलों के छात्र-छात्राओं को सभी विषयों की शिक्षा के लिए प्रशिक्षित शिक्षक उपलब्ध कराया जाना जरुरी है। इसके विपरीत प्रदेश सरकार द्वारा युक्तियुक्तकरण नीति में विषय कक्षाओं की संख्या को ध्यान में रखने के बजाय दर्ज संख्या को आधार बना रही है, जो युक्तिसंगत व व्यवहारिक नहीं है। सेटअप में परिवर्तन दोषपूर्ण है। इससे शिक्षा में प्रगति न होकर अध्ययन-अध्यापन व्यवस्था बिगड़ जाएगा।वर्ष 2008 में युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया अपना कर लगभग 4 हजार सरकारी स्कूल प्रदेश में बंद किए गए थे। इस बार भी 3 हजार से अधिक स्कूल बंद करने की तैयारी है। स्कूल बंद होने से बच्चों को प्राइवेट स्कूल में एडमिशन लेने विवश होना पड़ेगा वहीं 20 साल से पदोन्नति की राह देख रहे शिक्षकों के पदोन्नति के पद समाप्त हो जाएंगे। इससे शिक्षकों के मन में निराशा पनपेगी और शिक्षा गुणवत्ता प्रभावित होगी।

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