जहर सेवन करने वाले युवक को अस्पताल ले जा रहे डायल 112 का…- भारत संपर्क
जहर सेवन करने वाले युवक को अस्पताल ले जा रहे डायल 112 का हाथियों से हुआ सामना, जवानों ने सूझबूझ का परिचय देते हुए समय पर पहुंचाया अस्पताल
कोरबा। पारिवारिक विवाद की वजह से एक व्यक्ति ने आत्मघाती कदम उठाते हुए कीटनाशक का सेवन कर लिया। जिसके बाद उसकी हालत बिगडऩे लगी। सूचना पर डायल 112 की टीम मौके पर पहुंची और व्यक्ति को इलाज के लिए अस्पताल ले आई। इस बीच रास्ते में उनका सामना हाथियों के झुंड से हुआ, जहां डायल 112 के जवानों ने सूझबूझ का परिचय देते हुए समय पर व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाया।जानकारी के अनुसार जिले के बाँगों थाना अंतर्गत ग्राम नवापारा (जटगा) निवासी बीरबल गोड़ पिता रामेश्वर गोड़ उम्र 50 वर्ष ने मंगलवार की शाम पारिवारिक विवाद के चलते फसलों ने छिडक़ाव करने वाले कीटनाशक दवाई का सेवन कर लिया। कीटनाशक सेवन के बाद उक्त व्यक्ति की स्थिति बेहद गंभीर हो गई थी। सूचना पर पहुंची डायल 112 के द्वारा उक्त व्यक्ति को आनन- फानन में डायल 112 वाहन में बैठाकर नजदीकी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए रवाना हुए। घटनास्थल से लगभग 10 किलोमीटर जंगली रास्ता होते हुए ग्राम-पचरा के समीप मार्ग पर टीम का सामना लगभग 48 जंगली हाथियों से हो गया। कुछ देर रुकने उपरांत टीम ने देखा कि उक्त आहत व्यक्ति की स्थिति बिगड़ती नजर आ रही है टीम द्वारा सूझबूझ का परिचय देते हुए वापस डायल 112 वाहन को दूसरे रास्ते से समय रहते सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पोड़ी उपरोड़ा में ले जाकर भर्ती कराया गया। जहां डॉक्टरों की मौजूदगी में पीडि़त का इलाज किया गया जा रहा है। डायल 112 वाहन में पदस्थ आरक्षक रामसिंह श्याम और चालक नीरज पाण्डेय ने पीडि़त को बड़ी हिम्मत और सूझबूझ के साथ सही समय पर इलाज के लिए अस्पताल पहुंचाया जिससे उसकी जान बच पाई।
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चोटिया नेशनल हाईवे के बीच जमे रहे हाथी
जिले में कटघोरा से चोटिया नेशनल हाईवे के बीच ग्राम मड़ई के पास का दृश्य लोगों की सांस थाम कर रखने वाला रहा। बच्चों सहित दंतैल और हाथियों का दल इस पार से सडक़ पार कर उस पार के जंगल की जाने निकला था। जानकारी होने पर दोनों तरफ से आवागमन रुकवाया गया। दोपहिया से लेकर चार पहिया और भारी वाहनों के पहिये थमे रहे। इतनी संख्या में हाथियों को नजदीक से देखने का रोमांच के साथ भय भी रहा कि जरा से कोई गड़बड़ी हुई और हाथी बिदक गए तो भगदड़ के हालात बन कर जान जोखिम में पडऩा तय था। लोगों ने सूझबूझ का परिचय दिया और बिना उग्र हुए, बिना धैर्य खोए हाथियों को छेड़छाड़ किए बगैर सडक़ पार करने दिया। हालांकि थोड़ा बहुत शोर होता रहा लेकिन सभी हाथी बिना नुकसान पहुंचाए जंगल के भीतर चले गए।