क्रेडा के चैयरमेन भूपेन्द्र सवन्नी पर 3% कमीशन मांगने का…- भारत संपर्क

शशि मिश्रा

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में ऊर्जा विभाग के अंतर्गत काम करने वाली संस्था क्रेडा (छत्तीसगढ़ अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण) एक बार फिर विवादों के घेरे में आ गई है। इस बार क्रेडा के नवनियुक्त चेयरमैन भूपेन्द्र सवन्नी पर वेंडरों से 3 प्रतिशत कमीशन मांगने का सनसनीखेज आरोप लगा है। इस मामले की शिकायत मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय तक पहुंची है, जिस पर मुख्यमंत्री सचिवालय ने गंभीरता से संज्ञान लेते हुए ऊर्जा सचिव से रिपोर्ट तलब की है।
वेंडरों का आरोप: सवन्नी बना रहे दबाव
वेंडर सुरेश कुमार समेत लगभग एक दर्जन वेंडरों ने हस्ताक्षरित शिकायत में लिखा है कि वे वर्षों से क्रेडा में पंजीकृत वेंडर के रूप में कार्य कर रहे हैं। टेंडर प्रक्रिया के तहत उन्हें विभिन्न सोलर प्रोजेक्ट आवंटित होते हैं जिन्हें वे समय पर पूरा करते हैं। लेकिन भूपेन्द्र सवन्नी के पदभार ग्रहण के बाद पुराने एवं पूर्ण हो चुके कार्यों के बिलों के एवज में 3% कमीशन देने का दबाव बनाया जा रहा है।
निज सहायक के जरिए वसूली का आरोप
शिकायत में आरोप लगाया गया है कि सवन्नी यह दबाव अपने निजी सहायक वैभव दुबे के माध्यम से बना रहे हैं। अगर कोई वेंडर कमीशन देने से इनकार करता है, तो विभिन्न बहानों से जांच, नोटिस, और ब्लैकलिस्ट करने की धमकी दी जाती है। इससे वेंडरों में भय और असुरक्षा का माहौल बन गया है।
पूर्ववर्ती कार्यकाल भी विवादित
शिकायत में यह भी उल्लेख किया गया है कि भूपेन्द्र सवन्नी का पूर्व कार्यकाल छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड में भी विवादों से घिरा रहा है। उन पर 132 करोड़ रुपये की भविष्य निधि और पेंशन की हेराफेरी, साथ ही सरकारी धन से खरीदी गई वस्तुओं को गायब करने जैसे गंभीर आरोप लगे थे। उस समय भी लिखित शिकायत दी गई थी, लेकिन वह शिकायत फाइलों में दबकर रह गई।
मुख्यमंत्री सचिवालय ने लिया संज्ञान
वेंडरों की शिकायत पर मुख्यमंत्री सचिवालय के अवर सचिव अरविंद कुमार खोब्रागड़े ने ऊर्जा सचिव से विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है। इससे संकेत मिलते हैं कि शासन इस मामले को हल्के में नहीं ले रहा और संभावित जांच की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
वेंडरों की मांग
शिकायती पत्र में वेंडरों ने मुख्यमंत्री से अपील की है कि:
ऐसे भ्रष्ट आचरण की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए।
वेंडरों को मानसिक प्रताड़ना से राहत दी जाए।
भविष्य में ऐसे अधिकारियों की नियुक्ति से पहले उनका ट्रैक रिकॉर्ड खंगाला जाए।
भूपेन्द्र सवन्नी पर लगे गंभीर आरोपों ने न केवल क्रेडा की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि छत्तीसगढ़ सरकार के सुशासन के दावे को भी चुनौती दी है। अब देखना यह होगा कि शासन इस मामले में कितनी तेजी और पारदर्शिता से कार्रवाई करता है।
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