भारत ने कहा, नहीं विवाद सुलझे तो डब्लूटीओ पर कौन करेगा…- भारत संपर्क

अंशुमान तिवारी: डब्लूटीओ का एक बेहद महत्वपूर्ण हिस्सा चार साल काम ही नहीं कर रहा है. यह हैरतअंगेज है कि इसकी बड़ी वजह अमेरिका है जो यूं तो मुक्त बाजार का समर्थक है मगर विवाद निस्तारण ढांचे में चार साल से अमेरिकी जज नियुक्त नहीं किये गए हैं.जिसने विवाद निस्तारण प्रक्रिया और ढांचे ही विवादित हो गई. इस वक्त डब्लूटीओ में करीब 30 महत्वपूर्ण अपीलें लंबित हैं जिन पर निर्णय होना है.
डिसप्यूट सेटलमेंट पर चर्चा
अबूधाबी के कन्वेशन सेंटर में आज डिसप्यूट सेटलमेंट पर चर्चा थी. इसके बाद भारत का खासा तीखा बयान सामने आया. भारत ने कहा कि विवाद सुलझाने की व्यवस्था सुधारों में सबसे बड़ी वरीयता पर होनी चाहिए. ऐसा न होने पर डब्लूटीओ की साख ही खतरे में पड़ती जा रही है. भारत ने कहा कि 2022 में जेनेवा की बैठक में तय हुआ था कि 2024 तक सभी सदस्य देशों को औपचारिक और व्यवस्थति विवाद निस्तारण ढांचा मिलेगा तो फिर इसे रोका क्यों जा रहा है.
सहमति बनने की उम्मीद कम
अलबत्ता सूत्रों की मानें तो अबूधाबी में विवाद निस्तारण तंत्र को दुरुस्त करने पर सहमति बनने की उम्मीद कम ही दिखती है. भारत ही नहीं दुनिया के कई देशों के नुमाइंदे भी इस क्षुब्ध दिखे कि अमेरिका के कारण व्यापार संगठन का सबसे जरूरी हिस्सा विकलांग हो गया है. डब्लूटीओ सर्वोच्च न्यायिक संस्था के न चलने से अब विवाद निचले स्तर पर अनौपचारिक तौर पर सुलझाये जा रहे हैं.
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तीन सूत्रीय एजेंडा पेश किया
भारत ने विवाद सुलझाने की व्यवस्था में सुधार के लिए तीन सूत्रीय एजेंडा पेश किया है जेनेवा बैठक की घोषणा के अनुसान इस अनौपचारिक व्यवस्था को औपचारिक किया जाना अनिवार्य है. इस नई व्यवस्था में विकासशील और छोटे देशेां को पर्याप्त स्थान और सुविधा मिलनी चाहिए ताकि यह व्यवस्था पारदर्शी और न्यायपूर्ण हो सके.