छत्तीसगढ़ राज भाषा आयोग के आठवें प्रांतीय अधिवेशन में नगर के…- भारत संपर्क

यूनुस मेमन
रतनपुर -----छत्तीस गढ़ी भाखा को पाठ्य क्रम, कार्यालयों व आम बोल बोलचाल के रूप में अधिकतम प्रयोग करने के लिए चर्चा व योजना बनाने के लिए छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के द्वारा दो दिवसीय आठवां प्रांतीय अधिवेशन 1 मार्च व 2 मार्च को रायपुर में किया गया । जहां पूरे राज्य से छत्तीसगढ़ी में कार्य करने वाले साहित्यकार पहुंचे। इसी क्रम में छत्तीसगढ़ी भाषा पर कार्य करने वाले नगर के वरिष्ठ साहित्यकार दिनेश पांडेय, शुकदेव कश्यप, बलराम पांडेय ,दोस्त कुमार दुबे व रामेश्वर शांडिल्य ने इस अधिवेशन में अपनी जोरदार उपस्थिति दर्ज कराए । इस कार्यक्रम का उद्घाटन राज्य के मुख्यमंत्री माननीय विष्णु देव साय ने किया ।उनके कर कमलो से कई पुस्तकों का विमोचन, रचनाकारों का सम्मान करने के बाद अपने उद्बोधन में कहा कि छत्तीसगढ़ी भाषा को पूरे सम्मान के साथ राजकीय भाषा बनाने के लिए पूरा प्रयास होगा।।छत्तीसगढ़ी साहित्य के मनीषियों ने विचार मंथन कर छत्तीसगढ़ी को संविधान के आठवीं अनुसूची में जोड़ने के लिए शासन से मांग की और दो दिन तक विभिन्न कार्यक्रम हुए । प्रांतीय कवि सम्मेलन में मञ्च संचालन का कार्य नगर के साहित्यकार कवि दिनेश पांडेय ने भी किया।

द्वितीय दिवस को छत्तीसगढ़ी भाषा के कुछ विशेष शब्दों के मानकीकरण पर विशेष जोर देते हुए व्याख्यान दिया गया ।सभी अपने घरों में छत्तीसगढ़ी को अनिवार्य रूप से बोलने के लिए आव्हान किया गया। इस सम्मेलन में राज्य भर से भारी संख्या में साहित्यकार शामिल हुए। रतनपुर के साहित्यकारों ने अगला 9 वा सम्मेलन रतनपुर में आयोजित करने के लिए अनुरोध किया। नगर के कवियों ने भी रात भर चले कवि सम्मेलन में बेहतरीन कविता प्रस्तुत कर खूब वह वाही लूटी। बिलासपुर जिले के समन्वयक विवेक तिवारी के नेतृत्व में जिले के सभी साहित्यकार गए ।राजभाषा आयोग के सचिव डॉ अभिलाषा बेहार से मुलाकात कर बलराम पांडे की कृति को भेंट किए। आयोग द्वारा सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र दिया गया।राज्य स्तरीय सम्मेलन में सहभागिता करने के लिए इन साहित्यकारों को नगर के कवियों, साहित्यकारों व नगर वासियों ने हर्ष व्यक्त करते हुए बधाइयां दी है ।
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