सभी बंधकों की रिहाई और तुरंत युद्धविराम… UNSC में भारत ने बताया गाजा पर समाधान,… – भारत संपर्क


UN में भारतीय राजदूत हरीश
न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि, राजदूत पर्वथानेनी हरीश ने फिलिस्तीन मुद्दे समेत मिडिल ईस्ट में चल रही अशांति पर बातचीत की. इस दौरान उन्होंने भारत का पक्ष भी रखा. उन्होंने युद्धविराम लागू करने और बातचीत के ज़रिये शांति स्थापित करने पर जोर दिया. इसके साथ ही बंधकों की रिहाई की बात भी कही.
भारत के स्थायी प्रतिनिधि, राजदूत हरिश पी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में मध्य पूर्व के हालात पर चर्चा करते हुए मानवीय संकट को रोकने, युद्धविराम लागू करने और बातचीत के जरिये शांति स्थापित करने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि मानवीय सहायता सुरक्षित और समय पर पहुंचाना जरूरी है. शांति के लिए बातचीत और कूटनीति ही एकमात्र समाधान है.
उन्होंने कहा, आगे का रास्ता साफ है और भारत इस संबंध में निरंतर साथ रहा है. जो भी इस समय मानवीय पीड़ा जारी है उसे किसी भी हालत में जारी नहीं रहने देना चाहिए. इसको बंद करने के लिए जरूरी कदम उठाने चाहिए. उन्होंने कहा कि मिडिल ईस्ट में दूसरे देशों की सहायता बहुत मायने रखती है. इसीलिए इसे समय पर और सही तरीके यानी सुरक्षित पहुंचाना बहुत जरूरी है.
#WATCH | New York: India’s Permanent Representative to the United Nations, Ambassador Harish P., delivered India’s statement at the UN Security Council Quarterly Open Debate on the Situation in the Middle East, including the Palestinian question.
He said, “… The way ahead is pic.twitter.com/nGS5Fd8jhQ
— ANI (@ANI) July 24, 2025
शांति स्थापित करने युद्धविराम ही विकल्प
मिडिल ईश्ट में शांति का कोई दूसरा विकल्प नहीं है. शांति स्थापित करने के लिए युद्धविराम लागू किया जाना चाहिए. इसके साथ ही इस दौरान जितने लोगों को भी बंधक बनाया गया है उन सभी को रिहा किया जाना चाहिए. इन सभी बातों को अपने लक्ष्य पर पहुंचाने के लिए बातचीत और कूटनीति ही एकमात्र रास्ता हैं. इसके अलावा कोई अन्य समाधान नहीं है. इसीलिए हमें इन सभी पहलुओं पर ध्यान देना हेागा”
भारतीय राजूदत ने कहा कि भारत हमेशा सबको साथ लेकर चलता है. आज भी भारत किसी को भी पीछे न छोड़ने की अपनी प्रतिबद्धता पर अडिग है.
गाजा मे ज्यादातार अस्पताल खत्म
विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि गाजा के लगभग 95% अस्पताल इस युद्ध के कारण नष्ट हो चुके हैं. मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय की रिपोर्ट के अनुसार, 6,50,000 से अधिक बच्चे 20 महीनों से अधिक समय से स्कूली शिक्षा से वंचित हैं. आगे का रास्ता स्पष्ट है और भारत इस संबंध में लगातार आगे बढ़ रहा है. इसमानवीय पीड़ा को जारी रहने नहीं दिया जाना चाहिए.