माह ए रमजान का तीसरा अशरा शुरू, गुनाहों की माफी को लेकर…- भारत संपर्क

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माह ए रमजान का तीसरा अशरा शुरू, गुनाहों की माफी को लेकर अल्लाह की इबादत में मशगूल रोजेदार

कोरबा। रमजान का तीसरा अशरा 21 मार्च से शुरू हो गया। इसके साथ ही रोजेदार गुनाहों की माफी को लेकर अल्लाह की इबादत में मशगूल हो गए। इस अशरे में रातों में जागकर शब ए कद्र की तलाश की जाएगी। मान्यता है कि इस अशरे में इबादत करने से जन्नत नसीब होती है। इसमें इबादत करने से लोगों के गुनाह माफ हो जाते हैं। अल्लाह भी इबादत करने वालों के लिए जन्नत के द्वार खोल देते हैं। इसी अशरे में एतकाफ भी किया जाता है, जो गुनाहों के माफ होने का एक बड़ा जरिया है। रमजान में 20वें रोजे के मगरिब से शुरू होकर चांद की रात तक मस्जिद में रहकर अल्लाह की इबादत करने को एतकाफ कहते हैं। कहा जाता है कि जिस व्यक्ति ने दस दिनों का एतकाफ किया, उसने दो हज और दो उमरे के बराबर सवाब हासिल किया। मुस्लिम धर्म गुरु बताते हैं कि मुकद्दस रमजान में एतकाफ का बड़ा महत्व है। इसे नियम से करना होता है। इस दौरान रब भी अपने बंदे का ख्याल रखता है। रमजान के 20वें रोजे की इफ्तार के साथ तीसरा अशरा शुरू हो गया है। इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार यह जहन्नुम (नर्क) की आग से मुक्ति पाने का अशरा माना जाता है।रमजान के महीने में तीन अशरे होते हैं। पहला रहमत (दया) का, दूसरा मगफिरत (माफी) का, और तीसरा जहन्नुम से निजात का होता है। इस अशरे में शबे कद्र की रात भी आती है। यह रात 21वें, 23वें, 25वें या 27वें रोजे की रातों में से किसी एक को होती है। इस रात में की गई दुआएं कुबूल होती हैं। श्रद्धालु इस दौरान मस्जिद में एतकाफ करते हैं। वे ईद की चांद रात तक मस्जिद में ही रहकर इबादत करेंगे। एतकाफ के दौरान लोग 9 दिन तक मस्जिद में रहकर विशेष दुआएं करते हैं।इमाम के अनुसार यह रमजान का सबसे आखिरी और महत्वपूर्ण अशरा है। इस दौरान मुसलमान अधिक से अधिक दुआएं करने की कोशिश करते हैं।

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