Indore: अब तक 12000 चूहे मारे, फिर भी खत्म नहीं हुआ आतंक… इस अस्पताल में … – भारत संपर्क

महाराजा यशवंतराव (एमवाय) अस्पताल में चूहों का आतंक
मध्य प्रदेश के इंदौर में महाराजा यशवंतराव (एमवाय) अस्पताल है. इस अस्पताल के बारे में यूं कहें कि यहां चूहों ने कब्जा जमा लिया है, तो हैरानी नहीं होगी. इस अस्पताल में चूहों का आतंक है. ताजा मामले में चूहों ने शिशु वार्ड में भर्ती दो नवजातों पर हमला कर उनके अंग कुतर दिए, जिनमें एक की मौत हो गई है. अस्पताल प्रबंधन का दावा है कि कई बार बड़े स्तर पर चूहों के सफाया के लिए अभियान चलाए गए, लेकिन अब तक सभी प्रयास नाकाम साबित हुए हैं. चूहों की संख्या पर कोई फर्क नहीं पड़ा. स्थिति यह है कि अस्पताल की नींव और दीवारों में चूहों ने 10 हजार से ज्यादा बिल बना लिए हैं, जिससे उनकी पकड़ और भी मजबूत हो गई है.
इस सरकारी अस्पताल में रोज हजारों मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं. लेकिन अस्पताल की व्यवस्थाओं की पोल बार-बार चूहों की बढ़ती संख्या खोल रही है. प्रबंधन दावा करता है कि अब तक 12 हजार से ज्यादा चूहों को मारा जा चुका है. बावजूद इसके, अस्पताल परिसर से चूहों का खौफ खत्म नहीं हो रहा है. 1994 में तत्कालिन कलेक्टर सुधी रंजन की ओर से एक अभियान चलाया गया और अस्पताल में 12000 से अधिक चूहे मारे गए. इसके बाद भी कई बार चूहों के सफाया के लिए अभियान चलाया गया, लेकिन अस्पताल से चूहे खत्म नहीं हुए.
दो नवजातों को चूहों ने कुतरा
ताजा घटना बेहद चौंकाने वाली और चिंताजनक है. अस्पताल के शिशु वार्ड में भर्ती दो नवजात शिशुओं को चूहों ने जख्मी कर दिया. एक नवजात का हाथ बुरी तरह कुतरा गया है, जबकि दूसरे शिशु के कंधे पर गहरे जख्म आए हैं. इनमें से एक की मौत हो गई. यह घटना सामने आते ही लोगों में आक्रोश है. लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब बच्चों की सुरक्षा ही अस्पताल में सुनिश्चित नहीं है, तो फिर आम मरीजों की हालत का अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है.
इस मामले के बाद अस्पताल प्रबंधन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं. बच्चों की सुरक्षा को लेकर जो लापरवाही सामने आई है, उसने पूरे सिस्टम पर प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया है. सोशल मीडिया पर भी इस घटना ने तूल पकड़ लिया है. एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें साफ दिखाई दे रहा है कि जिस बॉक्स में नवजात शिशुओं को रखा जाता है, उसी बॉक्स में चूहे आराम से घूमते नजर आ रहे हैं.
चूहों पर काबू पाने के लिए उठाए गए कदम नाकाफी
अस्पताल में आए एक मरीज ने कहा कि इस घटना से प्रतीत होता है कि चूहों पर काबू पाने के लिए उठाए गए कदम नाकाफी साबित हुए. अस्पताल प्रबंधन का दावा और जमीनी हकीकत में काफी फर्क है. हर दिन हजारों मरीज यहां इलाज कराने आते हैं और ऐसी घटनाएं सीधे उनके जीवन को खतरे में डाल रही हैं.
वहीं, एक अन्य मरीज ने कहा कि स्पष्ट है कि यह सिर्फ लापरवाही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं पर सीधा प्रश्नचिह्न है. अब समय आ गया है कि अस्पताल प्रशासन केवल कागजों पर कार्रवाई दिखाने के बजाय जमीन पर ठोस कदम उठाए. जब तक चूहों के आतंक को खत्म करने के लिए सख्त और प्रभावी उपाय नहीं किए जाते, तब तक मरीजों की सुरक्षा सुनिश्चित करना मुश्किल रहेगा.
जांच समिति का गठन
मामला सामने आने के बाद एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन डॉक्टर अरविंद घनघोरिया ने तत्काल जांच समिति गठित की है. डॉ अरविंद घनघोरिया ने बताया कि बच्चों को गम्भीर स्वास्थ्य परेशानियों का चलते इलाज के लिए भर्ती किया गया था. आईसीयू में भर्ती दो बच्चों को चूहे ने काट लिया था. इस दौरान एक बच्चे की इलाज के दौरान मौत हो गई. लापरवाही बरतने वाली दो नर्सों को निलंबित कर दिया गया है, वहीं दो अन्य को शोकाज नोटिस जारी किया गया है. वहीं, चूहों को भगाने के लिए अस्पताल में तैनात पेस्ट कंट्रोल टीम पर एक लाख का जुर्माना लगाया गया है.