सामने आए खामेनेई के इरादे, परमाणु डील पर अमेरिका-यूरोप को ऐसे मात देगा ईरान – भारत संपर्क


ईरान ने परमाणु समझौते को लेकर बनाया ये प्लान
ईरान ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि वह अपने परमाणु अधिकारों से पीछे नहीं हटेगा. इसके साथ ही उसने अमेरिका और यूरोपीय ताक़तों की संयुक्त रणनीति को मात देने के लिए रूस और चीन के साथ कूटनीतिक गठबंधन को मजबूत कर लिया है.
सोमवार को तेहरान में तीनों देशों – ईरान, रूस और चीन की उच्च स्तरीय बैठक हुई, जिसमें शुक्रवार को होने जा रही E3 (ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी) मीटिंग से पहले संयुक्त रणनीति पर चर्चा की गई.
ईरान की है ये प्लानिंग
1. ईरानरूसचीन की त्रिपक्षीय बैठक
तेहरान में हुई यह त्रिपक्षीय बैठक, JCPOA (Joint Comprehensive Plan of Action) को लेकर पश्चिमी दबाव का जवाब देने की दिशा में अहम मानी जा रही है.
ईरान ने स्पष्ट किया कि वह अब मांग आधारित कूटनीति अपनाएगा, न कि दबाव आधारित. मांग आधारित कूटनीति का मतलब है कि जैसे भारत यह कहता है कि अपने लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए रूस से तेल खरीदता रहेगा.
2. E3 देशों के साथ न्यूक्लियर टॉक
ईरान की यूरोपीय देशों के साथ इस्तांबुल में शुक्रवार को बैठक प्रस्तावित है. यह बातचीत अमेरिका के परोक्ष दबाव में हो रही है, जिसमें पश्चिम चाहता है कि ईरान को JCPOA उल्लंघन का दोषी ठहराया जाए.
3. ईरान का रुख: अधिकारों से समझौता नहीं
ईरान के विदेश मंत्री ने दो टूक कहा है — हम संवर्धन (enrichment) का अपना अधिकार नहीं छोड़ेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि अब आरोप लगाने वालों को अपने आचरण का जवाब देना होगा.
पश्चिमी देशों की रणनीति
अमेरिका, इज़राइल, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी मिलकर ईरान को एक बार फिर दोषी ठहराने की तैयारी में हैं.उनका प्रयास है कि ईरान को UN या IAEA के स्तर पर दबाव में लाकर उसके परमाणु कार्यक्रम को सीमित किया जाए. इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू इसे लीबिया मॉडल का नाम दे चुके है.
रूस और चीन को ढाल बनाकर आगे बढ़ना
ईरान जानता है कि अगर उसे JCPOA या किसी भी डिप्लोमैटिक फोरम में दबाव से बचना है तो उसे एक मजबूत रणनीतिक समर्थन चाहिए. ईरान के लिए यही भूमिका अब रूस और चीन निभा रहे हैं.। ईरान ने संकेत दिए हैं कि अगर E3 देशों ने दबाव की भाषा अपनाई तो वह बातचीत को स्थगित कर सकता है या नया ढांचा बनाने की बात करेगा.
मध्यपूर्व के लिए निर्णायक घड़ी
JCPOA से अमेरिका 2018 में बाहर हो चुका है, लेकिन अब वह E3 के माध्यम से फिर से ईरान को सीमाओं में बांधना चाहता है. रूस और चीन के समर्थन से ईरान एकध्रुवीय वैश्विक व्यवस्था को चुनौती देना चाहता है. इजराइल की चिंता यह है कि ईरान यदि स्वतंत्र रूप से संवर्धन करता रहा, तो वह परमाणु हथियार बनाने की ओर बढ़ सकता है.
अगर दोनों पक्षों में बात नहीं बनी तो ईरान और इसराइल के बीच दूसरे राउंड का विध्वंसक जंग शुरू हो जाएगी जो पूरे मध्य-पूर्व को झुलसा देगा.