Iran Israel Tension: ईरान के इजराइल पर हमले का इंतजार क्यों कर रहा अमेरिका? आखिर किस… – भारत संपर्क

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Iran Israel Tension: ईरान के इजराइल पर हमले का इंतजार क्यों कर रहा अमेरिका? आखिर किस… – भारत संपर्क
Iran Israel Tension: ईरान के इजराइल पर हमले का इंतजार क्यों कर रहा अमेरिका? आखिर किस बात की है खुन्नस

अमेर‍िकी राष्‍ट्रपत‍ि बाइडेन इजराइल का साथ देने का ऐलान कर चुके हैं.

ईरान और इजराइल के बीच सीधी जंग के हालात बन रहे हैं. ईरान ने सीधे तौर पर इजराइल से बदला लेने का ऐलान कर दिया है. इस ऐलान के बाद से सबसे ज्यादा एक्टिव मोड में अमेरिका है. अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन हों, विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन हों. सब इस बात का ऐलान कर चुके हैं कि अगर ईरान ने इजराइल पर हमला किया तो अमेरिका येरुशलम का साथ देगा. अमेरिकी सेना की मध्य कमान के प्रमुख जनरल माइकल कुरिला तो इजराइल पहुंच चुके हैं.

मिडिल ईस्ट में बन रहे ताजा हालातों के बीच अमेरिकी ये तत्परता एक अलग ही दिशा में इशारा कर रही है. माना जा रहा है कि इजराइल और ईरान के बीच इस जंग के बहाने अमेरिका अपनी खुन्नस निकालने का बहाना ढूंढ रहा है. उसे इंतजार तो बस ईरान के हमले का. ईरान का हमला करते ही अमेरिका जंग में कूद पड़ेगा और अमेरिका के साथ अन्य पश्चिमी देश भी इस युद्ध में शामिल हो जाएंगे. दरअसल अमेरिका की खुफिया रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि तेहरान हमले की तैयारी कर रहा है. इसमें ये भी बताया गया है कि ईरान सबसे पहले इजराइल के सैन्य ठिकानों और सरकारी संस्थानों पर मिसाइल और ड्रोन से हमला कर सकता है. इसके बाद माइकल कुरिला का इजराइल पहुंच चुके हैं. बाइडेन भी इस बात का ऐलान कर चुके हैं कि हमला हुआ तो वह इजराइल के साथ मिलकर ईरान को जवाब देंगे.

आखिर क्यों ईरान से खुन्नस खाए है अमेरिका?

अमेरिका और ईरान के बीच खुन्नस को समझने के लिए सबसे पहले इतिहास के कुछ पन्ने पलटने होंगे. दरअसल दोनों देशों में दुश्मनी की शुरुआत सबसे पहले 1953 में हुई थी, जब अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए ने ईरान में तख्तापलट करवा दिया था. अमेरिका की इस हरकत में ब्रिटेन भी उसका साथी था. उस वक्त ईरान के निर्वाचित पीएम मोहम्मद मोसद्दिक को गद्दी से हटाकर शाह रजा पहलवी के हाथों में ईरान की सत्ता सौंप दी गई थी. अमेरिका की इस हरकत का मुख्य कारण तेल को माना गया. यह पहला मौका था जब अमेरिका ने किसी देश में तख्ता पलट किया था. बताया जाता है कि इसी तख्ता पलट के बाद 1979 में ईरान में क्रांति हुई.

एक क्रांति जिसने ईरान से उखाड़ दीं अमेरिका की जड़ें

1979 में एक क्रांति ने ईरान से अमेरिका की जड़ें उखाड़ दीं. दरअसल ईरान में एक पार्टी हुई, शाह की ओर से बुलाई गई इस पार्टी में अमेरिका के उप राष्ट्रपति सिप्रो अग्नेयू, सोवियत संघ के निकोलई पोगर्नी, यूगोस्लाविया, मोनाको और अन्य देशों के शीर्ष नेता बुलाए गए. ईरान से निर्वासन की सजा काट करहे आयतोल्लाह खुमैनी ने इसे शैतानों की पार्टी बताया. खुमैनी ने शाह के खिलाफ झंडा बुलंद किया और इसने एक क्रांति का रूप ले लिया, ईरान में हड़ताल, धरना प्रदर्शन हुए. आखिरकार शाह रजा पहलवी को देश छोड़ना पड़ा. खुमैनी ईरान लौटे और इसी साल अप्रैल में ईरान को इस्लामिक देश घोषित कर दिया गया.

444 दिन तक बंधक रहे अमेरिकी नागरिक

क्रांति के बाद अमेरिका और ईरान के बीच राजनयिक संबंध खत्म हो गए. अमेरिकी दूतावास बंद होता इससे पहले ही ईरान में एक समूह ने उस पर कब्जा कर लिया.52 अमेरिकी नागरिक बंधक बना लिए गए. उस समय अमेरिका के राष्ट्रपति जिमी कार्टर थे. ऐसा कहा जाता है कि ईरान की सत्त पर काबिज खुमैनी ने जानबूझकर कोई कार्रवाई नहीं की. वे उपद्रवी ईरान से भागे शाह पहलवी को देश में वापस भेजे जाने की मांग कर रहे थे. 444 दिन तक अमेरिकी नागरिक बंधक रहे. जब शाह की अमेरिका में मौत हो गई, उसके बाद ईरान ने इन अमेरिकी नागरिकों को छोड़ा.

अमेरिका को मिला खुन्नस निकालने का मौका

80 के दशक में ईराक और ईरान में एक जंग छिड़ी. अमेरिका को मौका मिला तो उसने सद्दाम हुसैन का साथ दिया. 8 साल तक चले इस युद्ध में लाखों ईराकी और ईरानी मारे गए. 2000 की शुरुआत में समीकरण बदले तो अमेरिका ने ही ईराक पर हमला कर दिया. राष्ट्रपति बुश ने ईरान को एक्सिस ऑफ इविल में शामिल कर लिया. यह एक ऐसा मुहावरा था जिसका प्रयोग बुश ऐसे देशों के लिए करते थे जो आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं. इनमें ईरान के साथ ईराक और नॉर्थ कोरिया को को शामिल किया गया था.

ओबामा ने बनाई बात, ट्रंप ने बिगाड़ दी

ईरान परमाणु हथियारों की तैयारी में था. हालांकि जब ओबामा अमेरिका के राष्ट्रपति बने तो उन्होंने जॉइंट कॉम्प्रिहेंसिव प्लान ऑफ ऐक्शन बनाया, जिसे ईरान परमाणु समझौते के तौर पर भी जाना जाता है. इस प्लान में चीन, फ्रांस, रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच 2013 और 2015 तक लंबी बातचीत का परिणाम था. इस प्लान के तहत ईरान गुप्त तौर पर परमाणु हथियार विकसित नहीं कर पाएगा. इसके बाद अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप बने और इस समझौते को रद्द कर दिया और ईरान पर नए प्रतिबंध लगाए. ट्रंप ने यहां तक कहा कि जो ईरान के साथ व्यापार करेगा वह अमेरिका से व्यापारिक संबंध नहीं रख पाएगा. इसके बाद दोनों देशों की तल्खी और बढ़ी. यूरोपीय यूनियन ने परमाणु समझौते को कायम रखना चाहा, लेकिन ट्रंप अड़ गए.

अब बाइडेन ने किया खुला ऐलान, ईरान बोला बीच में न पड़ें

बाइडेन ने खुले तौर पर ऐलान कर दिया है कि वह ईरान के हमला करने पर इजराइल का साथ देंगे. यह बयान उन्होंने सार्वजनिक तौर पर उस वक्त दिया जब उनके साथ जापान के पीएम फुमियो किशिदा भी थे. बाइडेन ने यहां तक कह दिया कि मैंने नेतन्याहू को ये बता दिया है. इससे पहले अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने भी हर हाल में इजराइल का साथ देने का ऐलान किया था. उधर अमेरिकी ऐलान के बाद ईरान के राष्ट्रपति के राजनीतिक मामलों के डिप्टी चीफ़ मोहम्मद जमशीदी ने अमेरिका को बीच में न पड़ने की सलाह दी थी. इसके अलावा अमेरिकी सेना के मध्य मकान के प्रमुख माइकल भी इजराइल पहुंच गए हैं.

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